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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के विस्थापित सरकार से नाराज - रेल लाइन परियोजना के विस्थापित रोजगार नहीं मिलने पर आक्रोशित हैं

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के विस्थापित रोजगार नहीं मिलने पर आक्रोशित हैं.

Rudraprayag News
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना
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Published : Sep 28, 2020, 8:09 PM IST

रुद्रप्रयाग: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के विस्थापित सरकार की कार्यप्रणाली से गुस्से में हैं. बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य प्रगति पर है. इसके लिए सरकार ने पहाड़ के लोगों की जमीन अधिग्रहण की और मुआवजा भी दिया. लेकिन रोजगार को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ रेल परियोजना निर्माण मात्र से विकास संभव नहीं है. ऐसे में विस्थापित लोगों को रोजगार मिलना चाहिए. स्थानीय लोगों का कहना है कि साठ प्रभावितों की जगह महज दो लोगों को ही रोजगार मिला है. जबकि निर्माण कार्य में लगी एजेंसियां बाहरी लोगों को रोजगार दे रही है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड: तीन सालों में पकड़ी गई 27 करोड़ की ड्रग्स, निशाने पर नौजवान

प्रधान नरकोटा चंद्रमोहन ने कहा कि हमारे स्तर से जिला पंचायत अध्यक्ष और जिलाधिकारी की मध्यस्थता में वार्ता हुई थी. जिसमें साफ कहा गया था कि प्रभावित गांव के लोगों को प्राथमिकता के तौर पर पहले रोजगार से जोड़ा जाएगा. मगर आरबीएनएल और ठेकेदार की मनमर्जी के चलते स्थानीय बेरोजगारों को कोई रोजगार नहीं दिया जा रहा है. जिससे ग्रामीण आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं और अनशन करने को भी तैयार हैं.

रुद्रप्रयाग: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के विस्थापित सरकार की कार्यप्रणाली से गुस्से में हैं. बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य प्रगति पर है. इसके लिए सरकार ने पहाड़ के लोगों की जमीन अधिग्रहण की और मुआवजा भी दिया. लेकिन रोजगार को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ रेल परियोजना निर्माण मात्र से विकास संभव नहीं है. ऐसे में विस्थापित लोगों को रोजगार मिलना चाहिए. स्थानीय लोगों का कहना है कि साठ प्रभावितों की जगह महज दो लोगों को ही रोजगार मिला है. जबकि निर्माण कार्य में लगी एजेंसियां बाहरी लोगों को रोजगार दे रही है.

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प्रधान नरकोटा चंद्रमोहन ने कहा कि हमारे स्तर से जिला पंचायत अध्यक्ष और जिलाधिकारी की मध्यस्थता में वार्ता हुई थी. जिसमें साफ कहा गया था कि प्रभावित गांव के लोगों को प्राथमिकता के तौर पर पहले रोजगार से जोड़ा जाएगा. मगर आरबीएनएल और ठेकेदार की मनमर्जी के चलते स्थानीय बेरोजगारों को कोई रोजगार नहीं दिया जा रहा है. जिससे ग्रामीण आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं और अनशन करने को भी तैयार हैं.

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