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घंटों बर्फ के बियावान में फंसी रही ये 'मर्दानी',  कड़कड़ाती ठंड और टूटा पैर फिर भी नहीं हारी हिम्मत

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Published : Jun 29, 2019, 7:13 PM IST

रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने के लिए लोग पहाड़ों का ओर बड़ी संख्या में रुख करते हैं. यहां की कुदरती खूबसूरती के साथ रोमांचक खेल और ट्रेक पर्यटकों को लुभाते हैं. जिसके कारण दूर महानगरों में बैठे लोग यहां खींचे चले आते हैं. पहाड़ों की खूबसूरती और ट्रेकिंग का दिवानापन दिल्ली की रहने वाली प्रतिमा गर्ग के सिर ऐसा चढ़ के बोला के वे अकेले ही वासुकी ताल ट्रेक पर निकल पड़ी.

डर के आगे जीत.

रुद्रप्रयाग: आज के युवा एडवेंचर के नाम पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. चाहे इसके लिए उन्हें किसी हद तक क्यों ना जाना पड़े. ताजा मामला केदारनाथ से सामने आया है. जहां नई दिल्ली की रहने वाली एक 22 वर्षीय युवती प्रतिमा गर्ग अकेले ही वासुकी ताल के ट्रेक पर निकल गई. लेकिन रास्ता भटकने के कारण प्रतिमा चोराबाड़ी ग्लेशियर से दो किलोमीटर ऊपर फंस गई. जहां वे कई घंटों तक फंसी रही. बावजूद प्रतिमा ने हार नहीं मानी.


रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने के लिए लोग पहाड़ों का ओर बड़ी संख्या में रुख करते हैं. यहां की कुदरती खूबसूरती के साथ रोमांचक खेल और ट्रेक पर्यटकों को लुभाते हैं. जिसके कारण दूर महानगरों में बैठे लोग यहां खींचे चले आते हैं. पहाड़ों की खूबसूरती और ट्रेकिंग का दिवानापन दिल्ली की रहने वाली प्रतिमा गर्ग के सिर ऐसा चढ़ के बोला के वे अकेले ही वासुकी ताल ट्रेक पर निकल पड़ी.

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दिल्ली से केदारनाथ पहुंची प्रतिमा ने ट्रेकिंग शुरू करने से पहले कभी नहीं सोचा होगा कि अब जो उनके साथ होने वाला है वो वे जिंदगी भर नहीं भूल पाएगी. कड़कड़ाती ठंड के बीच वासुकी ताल ट्रेक पर निकली प्रतिमा कुछ दूर जाने के बाद रास्ता भटक गई और चोराबाड़ी ग्लेशियर से दो किलोमीटर ऊपर पहुंच गई. जब प्रतिमा को सफेद चादर से ढकी चट्टानों के बीच रास्ते का नामो-निशां नहीं दिखा तो प्रतिमा समझ गई की वे रास्ता भूल गई है और अब उनकी समस्याएं बढ़ने वाली हैं. सफेद बर्फ पर धीमे-धीमे कदमों से आगे बढ़ते हुए प्रतिमा ने रास्ता ढूंढने की लाख कोशिश की, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाई. इस बीच प्रतिमा का पैर भी टूट गया वे लगातार टूटे पैर के सहारे अपने डर को मात दे रही थी.

पढ़ें-मॉडलिंग में भविष्य तलाश रही महिलाओं के लिए सुनहरा मौका, मिसेज इंडिया के लिए ऑडिशन शुरू

करीब नौ घंटे बर्फ से घिरे ग्लेशियरों के बीच फंसी प्रतिमा ने फोन के जरिए पीआरडी जवानों को फंसे होने की सूचना दी. जिसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू अभियान चलाया गया. रात के नौ बजे एसडीआरएफ की टीम कड़ी मशक्कत के बाद प्रतिमा तक पंहुची. इस दौरान उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी. प्रतिमा बोल्डरों के बीच फंसी हुई थी और उसका एक पैर भी टूट चुका था. एसडीआरएफ की टीम ने प्रतिमा को केदारनाथ स्थित चिकित्सालय पहुंचाया. जहां प्रतिमा की हालत अब स्थिर बताई जा रही है.

पढ़ें-नैनीताल HC ने खारिज की सभासद की विशेष अपील, मुख्य सचिव को दिया कार्रवाई का आदेश

हमेशा जोश और जुनून से सराबोर रहने वाली युवा पीढ़ी देश का भविष्य होती है. आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का दमखम और दुनिया को अपनी मुठ्ठी में करने का साहस लिए प्रतिमा ने चुनौतियों को मात देते हुए अनजान रास्ते पर भी डिगी नहीं.

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रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने के लिए लोग पहाड़ों का ओर बड़ी संख्या में रुख करते हैं. यहां की कुदरती खूबसूरती के साथ रोमांचक खेल और ट्रेक पर्यटकों को लुभाते हैं. जिसके कारण दूर महानगरों में बैठे लोग यहां खींचे चले आते हैं. पहाड़ों की खूबसूरती और ट्रेकिंग का दिवानापन दिल्ली की रहने वाली प्रतिमा गर्ग के सिर ऐसा चढ़ के बोला के वे अकेले ही वासुकी ताल ट्रेक पर निकल पड़ी.

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करीब नौ घंटे बर्फ से घिरे ग्लेशियरों के बीच फंसी प्रतिमा ने फोन के जरिए पीआरडी जवानों को फंसे होने की सूचना दी. जिसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू अभियान चलाया गया. रात के नौ बजे एसडीआरएफ की टीम कड़ी मशक्कत के बाद प्रतिमा तक पंहुची. इस दौरान उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी. प्रतिमा बोल्डरों के बीच फंसी हुई थी और उसका एक पैर भी टूट चुका था. एसडीआरएफ की टीम ने प्रतिमा को केदारनाथ स्थित चिकित्सालय पहुंचाया. जहां प्रतिमा की हालत अब स्थिर बताई जा रही है.

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हमेशा जोश और जुनून से सराबोर रहने वाली युवा पीढ़ी देश का भविष्य होती है. आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का दमखम और दुनिया को अपनी मुठ्ठी में करने का साहस लिए प्रतिमा ने चुनौतियों को मात देते हुए अनजान रास्ते पर भी डिगी नहीं.

चैराबड़ी ताल से दो किमी ऊपर बोल्डरों के बीच फंसी दिल्ली की युवती
एसडीआरएफ के जवानों ने किया युवती क रेस्क्यू
बोल्डरों के बीच फंसने से युवती का पैर हुआ फैक्चर
वासुकीताल के लिये निकली थी युवती, रास्ता भटकने पर पहुंची चैराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपर
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - रेस्क्यू
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/29 जून 2019/रुद्रप्रयाग/एवी
एंकर - चैराबाड़ी ताल से लगभग दो किमी ऊपर पत्थरों के बीच फंसी एक युवती को एसडीआरएफ के जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू करके चिकित्सालय पहुंचाया। दिल्ली की रहने वाली यह युवती वासुकीताल के लिये निकली थी, लेकिन रास्ता भटकने के कारण चैराबाड़ी ग्लेशियर से दो किमी ऊपर ग्लेशियर के किनारे पहुंच गई।
दरअसल, नई दिल्ली निवासी प्रतिमा गर्ग (22) पुत्री विनय गर्ग केदारनाथ आई थी। वह कुछ पीआरडी जवानों से कहकर वासुकीताल के लिये निकली थी। यह युवती अकेले ही यात्रा पर आई थी। युवती ने पीआरडी जवानों को अपने फंसे होने की सूचना दी। जिसके बाद पीआरडी जवान वासुकीताल सहित आस-पास के क्षेत्रों में पहुंचे। सांय छह बजे के करीब एसडीआरएफ के जवानों को युवती के फंसे होने की सूचना मिली। एसडीआरएफ के जवानों ने युवती से फोन पर संपर्क किया और रेस्क्यू अभियान के लिये निकले। एसडीआरएफ की टीम गहन सर्च अभियान करते हुये रात नौ बजे घटना स्थल पर पहुंची। जहां युवती बड़े बोल्डरों के बीच फंसी हुई थी। जवानों ने किसी तरह से बोल्डरों को हटाया, लेकिन तब तक युवती का एक पैर टूट चुका था। जिसके बाद युवती के पैर को छड़ी के जरिये बांधा गया और इस्टेक्चर के माध्य से केदारनाथ में स्थित चिकित्सालय पहुंचाया गया। जब एसडीआरएफ के जवान चैराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपर पहुंचे थे तो, उन्हें वहां कुछ नहीं दिखाई दिया। काफी खोजबीन के बाद बोल्डर में फंसी युवती दिखाई दी। जो दर्द से कराह रही थी। युवती के साथ सुबह के ग्यारह बजे घटना घट गई थी। ग्यारह बजे से रात की नौ बजे तक युवती बोल्डरों के बीच अकेले फंसी रही।
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