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मंदाकिनी में गिराया जा रहा है ऑल वेदर रोड निर्माण का मलबा, ला सकता है 'तबाही'

ऑल वेदर रोड निर्माण के लिए क़रार की शर्तें बिल्कुल साफ हैं. सड़क बनाने के लिए पहाड़ की कटिंग करने के बाद मलबा डालने के लिए डंपिंग ज़ोन बनाए गए हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनी इन नियमों का पालन नहीं कर रही है.

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Published : Sep 17, 2019, 5:19 PM IST

रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड का काम तेजी के साथ किया जा रहा है. लेकिन लापरवाही और ग़ैर-ज़िम्मेदारी से किए जा रहे निर्माण की वजह से ऑल वेदर रोड उत्तराखंड के पर्यावरण के लिए दुश्मन साबित हो रहा है. ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में लगी कंस्ट्रक्शन कंपनी किस तरह नियमों की धज्जियां उड़ा रही है. इसकी बानगी रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड हाई-वे पर देखने को मिल सकता है.

रुद्रप्रयाग में निर्माणदायी संस्था नियमों को ताक पर रखकर काम करने में लगी है. ऑल वेदर का मलबा सीधे मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. ताज्जुब की बात ये है कि प्रशासन और संबंधित विभाग के अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हुए हैं और इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

पढ़ें- सीधी भर्ती में आरक्षण रोस्टर पर विवाद बढ़ा, मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में कमेटी करेगी जांच

यह बताने की जरुरत नहीं कि मंदाकिनी नदी पर्यावरण के साथ ही सुरक्षा कारणों से भी बेहद महत्वपूर्ण है और इससे खिलवाड़ पूरे हिमालयी क्षेत्र के लिए ख़तरनाक हो सकता है. ऑल वेदर रोड का मलबा जिस तरह मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है उस पर पर्यावरणविद् ने भी चिंता चाहिर की है.

पर्यावरणविद् देव राघवेंद्र सिंह ने बताया कि ऑल वेदर रोड का मलबा सीधे मंदाकिनी नदी फेंका जा रहा है. इससे नदी के जीवों को भारी नुकसान पहुंच सकता है. केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी सेंसटिव जोन में आती है. मंदाकिनी नदी का पानी पीने और सिचाईं के काम में भी लिया जाता है.

पढ़ें- तीरथ सिंह रावत ने भी किया NRC का समर्थन, कहा- उत्तराखंड में भी घुसपैठिए, जल्द उठाएंगे ठोस कदम

बता दें कि ऑल वेदर रोड निर्माण के लिए क़रार की शर्तें बिल्कुल साफ़ है. सड़क बनाने के लिए पहाड़ की कटिंग करने के बाद मलबा डालने के लिए डंपिंग ज़ोन बनाए गए हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनी इन नियमों का पालन नहीं कर रही है.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड का काम तेजी के साथ किया जा रहा है. लेकिन लापरवाही और ग़ैर-ज़िम्मेदारी से किए जा रहे निर्माण की वजह से ऑल वेदर रोड उत्तराखंड के पर्यावरण के लिए दुश्मन साबित हो रहा है. ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में लगी कंस्ट्रक्शन कंपनी किस तरह नियमों की धज्जियां उड़ा रही है. इसकी बानगी रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड हाई-वे पर देखने को मिल सकता है.

रुद्रप्रयाग में निर्माणदायी संस्था नियमों को ताक पर रखकर काम करने में लगी है. ऑल वेदर का मलबा सीधे मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. ताज्जुब की बात ये है कि प्रशासन और संबंधित विभाग के अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हुए हैं और इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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यह बताने की जरुरत नहीं कि मंदाकिनी नदी पर्यावरण के साथ ही सुरक्षा कारणों से भी बेहद महत्वपूर्ण है और इससे खिलवाड़ पूरे हिमालयी क्षेत्र के लिए ख़तरनाक हो सकता है. ऑल वेदर रोड का मलबा जिस तरह मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है उस पर पर्यावरणविद् ने भी चिंता चाहिर की है.

पर्यावरणविद् देव राघवेंद्र सिंह ने बताया कि ऑल वेदर रोड का मलबा सीधे मंदाकिनी नदी फेंका जा रहा है. इससे नदी के जीवों को भारी नुकसान पहुंच सकता है. केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी सेंसटिव जोन में आती है. मंदाकिनी नदी का पानी पीने और सिचाईं के काम में भी लिया जाता है.

पढ़ें- तीरथ सिंह रावत ने भी किया NRC का समर्थन, कहा- उत्तराखंड में भी घुसपैठिए, जल्द उठाएंगे ठोस कदम

बता दें कि ऑल वेदर रोड निर्माण के लिए क़रार की शर्तें बिल्कुल साफ़ है. सड़क बनाने के लिए पहाड़ की कटिंग करने के बाद मलबा डालने के लिए डंपिंग ज़ोन बनाए गए हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनी इन नियमों का पालन नहीं कर रही है.

Intro:एक्सक्लूसिव वीडीओ-
आॅल वेदर कार्य से प्रकृति को पहुंच रहा भारी नुकसान
मंदाकिनी नदी में फैंका जा रहा कटिंग का मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर
एनजीटी के नियमों का घोर उल्लंघन, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता,
सेंसटिव जोन में आती है केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी नदी
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड हाईवे पर आॅल वेदर का कार्य चल रहा है। यह कार्य मानकों के विपरित किया जा रहा है। निर्माणदायी संस्था नियमों को ताक पर रखकर कार्य करने में लगी है। प्रशासन है कि मूकदर्शक बना हुआ है और ठेकेदार अपनी मनमर्जी करने में लगा है। आॅल वेदर कार्य का मलबा और बड़े-बड़े बोल्डरों को सीधे मंदाकिनी नदी में फैंका जा रहा है, इससे नुकसान प्रकृति को हो रहा है। एनजीटी के नियमों का खुलआम उल्लंघन किया जा रहा है, जिसको लेकर पर्यावरणविद् चिंतित नजर आ रहे हैं। Body:दरअसल, केदारघाटी की लाइफलाइन और केदारनाथ यात्रा का मार्ग रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड हाईवे पर आॅल वेदर का कार्य किया जा रहा है। आॅल वेदर कार्य के तहत राजमार्ग का चैड़ीकरण किया जा रहा है, जबकि कई जगहों पर राजमार्ग संकरा किया गया है जिससे आस-पास लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाईवे पर आरजीबी कंपनी को कार्य सौंपा गया है। निर्माणदायी संस्था मानकों को ताक पर रखकर कार्य करने में लगी है। कई जगहों पर राजमार्ग को काफी चैड़ा किया जा रहा है तो कई जगहों पर राजमार्ग संकरा बनाया गया है, जिससे लोगों में आक्रोश बना हुआ है। इसके अलावा सबसे बड़ी विडम्बना यह कि निर्माणदायी संस्था और राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड विभाग को एनजीटी का भी डर नहीं है। खुलेआम बड़े-बड़े बोल्डर और मलबे को मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जा रहा है, जिससे मंदाकिनी नदी प्रदूषित हो रही है। मछलियों को नुकसान पहुंचने के साथ ही प्रकृति पर भी इसका असर पड़ रहा है। कुल मिलाकर देखा जाय तो विकास कम और विनाश ज्यादा किया जा रहा है, जो भविष्य के लिए सुखद नहीं है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड हाईवे के कई जगहों पर कार्य चल रहा है। राजमार्ग के भटवाड़ीसैंण, चन्द्रापुरी, बांसबाड़ा, शेरसी, फाटा स्थानों पर डेंजर जोन होने के कारण निर्माणदायी संस्था सीधा मलबा और बोल्डर मंदाकिनी नदी में फैंक रही है। इससे नदी में रहने वाले जीवों को भारी नुकसान पहुंच रहा है और मंदाकिनी नदी भी प्रदूषित हो रही है। इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, जो स्थानीय लोगों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। पर्यावरणविद देव राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि आॅल वेदर कार्य में राजमार्ग को खोदा जा रहा है। इसके मलबा और बड़े-छोट बोल्डर निकल रहे हैं, जिन्हें निर्माणदायी संस्था सीधे मंदाकिनी नदी में फैंक रही है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के साथ ही नदियों में रहने वाले जीव भी प्रभावित हो रही हैं। मंदाकिनी नदी का पानी लोगों तक पहुंचता है और इसी नदी को प्रदूषित किया जायेगा तो इससे कई बीमारियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। निर्माण एजेंसी एनजीटी का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। मलबा और बोल्डर को डंपिंग जोन में डाला जाना चाहिए। केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी सेंसटिव जोन में आती है। ऊपर से मंदाकिनी नदी में मलबा और बोल्डर डाले जाने से प्रकृति को नुकसान होगा। कहा कि निर्माण एजेंसी के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है।
बाइट - देव राघवेन्द्र सिंह, पर्यावरणविद् Conclusion:
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