रुद्रप्रयाग: बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय पर एक बार फिर तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा फूटा है. दरअसल, ये नाराजगी कुछ सुझावों को लेकर है. ये सुझाव मंदिर समिति की टीम ने देश के प्रसिद्ध मंदिरों के प्रबंधन का अध्ययन कर दिए हैं. इनमें पुजारियों व कर्मचारियों पर श्रद्धालुओं से दक्षिणा लेने पर रोक लगाना भी शामिल है. इसी बात पर तीर्थ पुरोहित समाज ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. तीर्थ पुरोहितों ने बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को अंजाम भुगतने तक की चेतावनी दी है. तीर्थ पुरोहित समाज ने मंदिर समिति अध्यक्ष को उस किस्से की याद भी दिलाई, जब उन्होंने देवस्थानम बोर्ड के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केदारनाथ धाम भी नहीं जाने दिया था. हालांकि, इस पूरे विवाद पर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने साफ किया है कि कुछ लोग मंदिर समिति या प्रशासन के सुधारवादी कदमों को तूल देकर विवाद पैदा करते हैं.
बता दें कि, चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने को लेकर बदरी-केदार मंदिर समिति की एक टीम तिरुपति बालाजी, वैष्णो देली मंदिर, महाकाल उज्जैन और सोमनाथ के प्रबंधन और व्यवस्था का अध्ययन करके लौटी है. टीम ने सुझाव देते हुए रिपोर्ट मंदिर समिति को सौंप दी है. रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण भी हो चुका है और मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद समिति मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगी. टीम की ओर से दिये गये सुझावों की बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष ने पुष्टि की है. इन सुझावों में पुजारियों व कर्मचारियों पर मंदिर में दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं से दान-दक्षिणा लेने पर रोक लगाना भी शामिल है, जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश पनप गया है.
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चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि बदरी-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की ओर से बयान दिया गया है कि चारधामों में तीर्थ पुरोहित समाज से जुड़े पंडा-पुजारी देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं से दान-दक्षिणा नहीं लेंगे.
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उन्होंने कहा कि मंदिर समिति अध्यक्ष को यह हक किसने दिया कि वो पंडा-पुजारियों के मामले में हस्तक्षेप करें. अध्यक्ष अजेंद्र अजय को पहले मंदिर समिति की व्यवस्थाओं को संभालना चाहिए. तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों के साथ छेड़छाड़ करना मंदिर समिति अध्यक्ष को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे भारी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने के बाद अब मंदिर समिति के अध्यक्ष तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों को छिनने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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वहीं, चारधाम महापंचायत और वरिष्ठ तीर्थ पुरोहितों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए कांग्रेस ने भी उनके सुर-सुर मिलाना शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि चारधाम यात्रा में माहौल खराब कर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसा हश्र होगा. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सरकार और मंदिर समिति चारधाम हक-हकूकधारियों के अधिकारों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है, उससे सरकार के जन विरोधी मंसूबे जाहिर होते हैं. यात्रा शुरू होने से पहले राज्य सरकार के प्रतिनिधी माहौल को खराब कर रहे हैं और जब सरकार के फैसले की नौबत आती है तो अपने निर्णयों से पल्ला झाड़ती है. मगर तब तक माहौल खराब हो जाता है. नेगी ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार का कोई भरोसा नहीं है.
क्या कहते हैं समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजयः बदरी-केदार मंदिर समिति की निरीक्षण टीम के सुझावों से पनपे विवाद को लेकर अजेंद्र अजय ने सफाई दी है. उनका कहना है कि जब भी कमेटी या प्रशासन की ओर से मंदिर प्रबंधन के सुधार के लिए कोई प्रयास किया जाता है तभी कुछ लोग बेवजह के मुद्दों को तूल देकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते हैं. ये लोग नहीं चाहते कि मंदिर प्रबंधन की व्यवस्थाओं में किसी प्रकार का कोई सुधार हो, वहां अव्यवस्था बनी रहे ऐसी उनकी मंशा रहती है, ऐसा करने से उनके व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध होते हैं.
वहीं, धामों में पुजारियों व कर्मचारियों पर मंदिर में श्रद्धालुओं से दक्षिणा न लेने संबंधी विवाद पर अजेंद्र अजय ने कहा कि इसको लेकर अभी कुछ भी तय नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि जो तीर्थ पुरोहित वहां पर दान-दक्षिणा लेते हैं वो उनका परंपरागत हक है. तीर्थ पुरोहित के हकों पर मंदिर समिति हस्तक्षेप करने की मंशा नहीं रखती है. अजेंद्र अजय ने आगे बताया कि सुझावों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. अध्ययन कर लौटी टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मंदिर के भीतर जो वेतनभोगी कर्मचारी और पुजारी होते हैं वो श्रद्धालुओं से किसा तरह की दक्षिणा न ग्रहण करें. दक्षिणा दाव पात्र में डालें ऐसा प्रयास रहेगा.
वहीं, ड्रेस कोड के मुद्दे पर भी समिति अध्यक्ष ने बताया कि इस सुझाव को लेकर भी भ्रांति पैदा की जा रही हैं. मंदिर समिति के कर्मचारी, अधिकारी, पुजारी या वेदपाठियों उनके लिए ड्रेस कोड तय करने पर विचार चल रहा है.