रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड सरकार ने यात्रा और पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों को कोरोना काल में हुये नुकसान की भरपाई के लिये 3 करोड़ 66 लाख का बजट पास किया है. ऐसे में प्रत्येक कारोबारी को मात्र दो हजार की सहायता प्राप्त हो रही है, लेकिन पर्यटन और यात्रा कारोबारी सरकार की ओर से मिल रही इस राहत राशि से खुश नहीं हैं. कारोबारियों का कहना है कि दो साल से पर्यटन व यात्रा ठप पड़ रही है. उनके सम्मुख भुखमरी की समस्या खड़ी हो गई है.
कोरोनाकाल का असर उत्तराखंड की चारधाम यात्रा और पर्यटन व्यवसाय पर पड़ा है. अगर रुद्रप्रयाग जनपद की बात करें तो 70 प्रतिशत लोगों की आजीविका संचालन केदारनाथ यात्रा और पर्यटन व्यवसाय से होता है, लेकिन दो वर्षों से यात्रा और पर्यटन व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. ऐसे पर्यटन और यात्रा पर निर्भर रहने वाले लोगों के सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है. 2020 में कोरोना के कारण यात्रा नहीं चली. यात्रा से जुड़े व्यवसासियों को उम्मीद थी कि 2021 में यात्रा चलेगी, लेकिन कोरोना का साया 2021 में भी यात्रा पर पड़ गया.
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अभी भी यात्रा बंद है और आगे भी यात्रा खुलने के कोई आसार नहीं हैं. जिस कारण लोग हजारों लोग बेरोजगार हो गये हैं और उनके सामने आर्थिक समस्या पैदा हो गई है. कई लोगों ने तो बैंक से करोड़ों और लाखों रुपये लेकर होटल, लाॅज, रेस्टोरेंट आदि खोले हैं, लेकिन यात्रा न चलने के कारण वह बैंक की किश्त नहीं भर पा रहे हैं. स्थिति यह है कि रुपए न होने के कारण कारोबारियों के होटल-लाॅजों के बिजली और पानी के कनेक्शन तक कट गये हैं.
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सरकार अब दो हजार रुपये की धनराशि देकर व्यवसायियों की मदद करना चाहती है, लेकिन इस दो हजार की धनराशि में कैसे गुजर बसर होगा. कारोबारी न तो बैंक की किश्ते दे पाएंगे और न घर का राशन जुटा पाएंगे. ऐसे में यह राहत राशि मात्र खानापूर्ति साबित हो रही है. रुद्रप्रयाग के होटल व्यवसायियों का कहना है कि सरकार को दो हजार की राहत राशि देने के बजाय बिजली, पानी के बिल, बैंक का ब्याज आदि माफ करना चाहिये.