रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में निर्माण कार्य कर रहे मजदूरों ने मंदिर के सामने घंटी टांगने के लिए लगाए गए स्तंभ को पहले हरी मैट से ढक दिया गया था. एक श्रद्धालु के आपत्ति जताने के बाद केदारनाथ मंदिर समिति से इसपर तुरंत संज्ञान लिया और तत्काल मजदूरों से स्तंभ को लाल और पीले कपड़ों से ढकने के निर्देश दिए.
दरअसल, पहले केदारनाथ में मंदिर का आंगन छोटा था और प्रवेश द्वार पर एक बड़ा घंटा टंगा रहता था. जहां पर श्रद्धालु अपने जूते उतार कर ही मंदिर में प्रवेश करते थे. 2013 की आपदा के बाद यह क्षतिग्रस्त हो गया था. उसके बाद नव निर्माण में मंदिर के आंगन को वृहद स्वरूप दिया गया. अधिकतर श्रद्धालु जूते पहने ही नंदी भगवान के पास चले जाते थे, जिस पर तीर्थ पुरोहितों ने आपत्ति जताई थी.
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केदारनाथ मंदिर समिति के अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने कहा कि, इस साल मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारा नंदी भगवान से कुछ पहले स्तंभ लगवाकर एक बड़ा घंटा, वहां टंगवा दिया. जिससे अब श्रद्धालु जूते सहित सीधे मंदिर के पास नहीं जा सकते हैं. घंटा टांगने का स्तंभ लकड़ी का बना हुआ है. केदारनाथ में लगातार निर्माण कार्य होने से उड़ने वाली धूल, बारिश और बर्फबारी होने से इसके खराब होने की संभावना थी. इसी को रोकने के लिए मंदिर समिति ने स्तंभ को प्लास्टिक की पन्नी से ढक दिया था.
उन्होंने कहा लगता है वहां कार्य करने वाले मजदूरों ने इसे और अधिक सुरक्षित करने के लिए निर्माण कार्य को ढकने के लिए बनाई गई मैट इसके चारों ओर लपेट दी, जो दूर से मीनार जैसा लगने लगा. श्रद्धालु की शिकायत का संज्ञान लेते हुए केदारनाथ में मौजूद कर्मचारियों को तत्काल स्तंभ को लाल, पीले कपड़े से ढकने को कहा गया. तत्काल कार्रवाई कर इसे सुधार कर दिया गया है.