रुद्रप्रयाग: बीते दिन ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना संपन्न की गई. इस दौरान सामाजिक दूरी का पूरी तरह पालन किया गया. इस आयोजन को महज केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग और अन्य पुजारियों ने किया. जिसके बाद आज बाबा केदार की पंचमुखी डोली ऊखीमठ से केदारधाम के लिए रवाना हो गई है. कोरोना संक्रमण के चलते डोली को गाड़ी से एक ही दिन में गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा.
गौर हो कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार सदियों से चली आ रही परंपरा को बदलना पड़ा है.इस बार बाबा केदारनाथ की डोली यात्रा के भक्त साक्षी नहीं बन पाएंगे. क्योंकि इस बार किसी को भी दर्शन की अनुमति नहीं है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने के लिए विग्रह को गाड़ी से लेजाया जा रहा है.
दरअसल, केदारनाथ की डोली रवाना होने से पूर्व ऊखीमठ में भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा की जाती है. इसी को लेकर शनिवार को बाबा भैरवनाथ मंदिर में केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने भैरवनाथ का दूध, दही, घी, चीनी और शहद से महाभिषेक पूजन किया.
जिसके बाद बुरांश की फूल मालाओं, जौ की हरियाली से बाबा की मूर्ति का श्रृंगार किया गया. साथ ही नए गेहूं से निर्मित आटे की पूरी और पकोड़ों की माला को भोग के रूप में चढ़ाया गया, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रशासन के निर्देशों के मुताबिक पूजा में केवल पुजारी और वेदपाठी ही शामिल रहे.
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बता दें कि, पूजा के बाद आज बाबा केदार की पंचमुखी डोली ऊखीमठ से केदारधाम के लिए रवाना हो गई है. पहले दिन डोली गौरीकुंड में रात्रि विश्राम करेगी. कोरोना संक्रमण के चलते डोली को गाड़ी से एक ही दिन में गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा. वैदिक मंत्रोचार और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ऊखीमठ से रवाना होगी. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते डोली के साथ लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी गई है. 27 को डोली पैदल मार्ग होते हुए रात्रि विश्राम के लिए भीमबली पहुंचेगी. जबकि 28 को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी और 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिए जाएंगे.