रुद्रप्रयाग: पशुपालन विभाग की पहल से अब बाजारों में आवारा पशु नजर नहीं आयेंगे. इसके लिए विभाग की ओर से गांवों में पशुओं की टैगिंग की जा रही है, जिससे जिले में पशुओं की गणना डाटा विभाग के पास रहेगी. अभी तक पशुपालन विभाग 65 हजार पशुओं की टैगिंग का कार्य कर चुका है. शेष पशुओं पर टैगिंग का कार्य चल रहा है. इसके अलावा दो हजार से अधिक पशु पालक पशुपालन विभाग के माध्यम से अपना बीमा भी करा चुके हैं.
बता दें कि पशुपालन विभाग इन दिनों जिले में पशुपालकों के गाय व भैंस के कानों पर टैगिंग के कार्य में जुटा है. विभाग की ओर से अभी तक चिन्हित कुल एक लाख पांच हजार पशुओं के सापेक्ष 65 हजार पशुओं की टैगिंग की जा चुकी है. टैगिंग करने से विभाग के पास पशुओं का आंकड़ा रहेगा. पशुपालन विभाग के पास पशुओं के आंकड़े की कोई सटीक जानकारी न होने से वर्ष 2018-19 में गांवों में सर्वे कराकर पशुओं की गणना की गई. विभाग ने सर्वेक्षण के बाद 1,05,352 गाय व भैंस चिन्हित कीं. इसमें 74,237 गाय व 31,115 भैंस शामिल हैं.
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विभाग ने इन सभी पालतू पशुओं पर टैगिंग करने का निर्णय लिया, जिसके बाद पशुपालन विभाग गांव-गांव जाकर इन पशुओं की टैगिंग करा रहा है. इसमें विभाग स्थानीय लोगों का सहयोग भी ले रहा है, जिन्हें प्रति टैग लगाने पर पांच रुपए दिए जा रहे हैं. इसके साथ ही विभाग को जिले में 2,700 पशुओं का बीमा कराने का लक्ष्य मिला था. इसके सापेक्ष विभाग दो हजार से अधिक पशुओं का बीमा करा चुका है. बीपीएल व एससी-एसटी पशुपालकों को बीमा प्रीमियम के रूप में बीस प्रतिशत स्वयं देना है, जबकि 80 फीसदी सरकार सब्सिडी देगी.
इसी प्रकार सामान्य पशुपालकों को चालीस प्रतिशत स्वयं भुगतान करना होगा, जबकि 60 प्रतिशत सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी. गांवों में पशुओं की टैगिंग होने से जहां अब बाजारों में आवारा पशु नजर नहीं आएंगे, वहीं जिले में पशुओं की गणना का डाटा भी विभाग के पास रहेगा. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. रमेश सिंह नितवाल ने बताया कि इसी प्रकार 2,100 पशु पालक विभाग के माध्यम से अपना बीमा भी करा चुके हैं. पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर भी विभाग पूरी तरह मुस्तैद रहता है.