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शानदार: इस बार भाइयों की कलाइयों पर होगी रिंगाल की राखी, 40 हजार राखियों का ऑर्डर

मुनस्यारी की महिलाओं को पहले रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी. जिसके बाद अब महिलाएं राखी बनाने में पूरी तरह पारंगत हो गयी हैं. महिलाओं को संस्था द्वारा 40,000 की राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया है, ताकि पिथौरागढ़ बाजार में इस बार रिंगाल की राखियों का स्टॉल लगाया जा सके.

रिंगाल की राखियां
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Published : Jul 12, 2019, 8:06 AM IST

Updated : Jul 12, 2019, 12:11 PM IST


पिथौरागढ़: देवभूमि में इस बार रक्षाबंधन कुछ खास अंदाज में मनाया जाएगा. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्लास्टिक या फिर चाइनीज राखियां नहीं बल्कि रिंगाल की राखियां बांधेंगी. जिसके लिए पिथौरागढ़ जिले में महिलाओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. रिगांल से बनी एक राखी की कीमत मात्र 25 रुपये रखी गई है.

इस रक्षाबंधन में होंगी रिंगाल की राखियां

रिंगाल से बन रही राखियां हस्तशिल्प कला का बेजोड़ नमूना माना जा रहा है. इन राखियों को जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा. पिथौरागढ़ के जैती गांव में इस समय 25 महिलाएं राखियां बनाने के काम में जुटी हुई हैं. ये पहला मौका है जब प्रदेश में रिंगाल से राखियां तैयार की गई हैं. बता दें कि राखियां के अलावा महिलाएं रिंगाल से बनी टोकरियां, दोने और चटाइयों समेत कई तरह की चीजें बना रही हैं.

पढ़ें- जज्बाः व्हीलचेयर से ही निभाते हैं अपनी ड्यूटी, बेस्ट आरक्षी का मिल चुका सम्मान

जानकारी के अनुसार उत्तरापथ संस्था द्वारा मुनस्यारी की महिलाओं को पहले रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी. जिसके बाद अब महिलाएं राखी बनाने में पूरी तरह पारंगत हो गयी हैं. महिलाओं को संस्था द्वारा 40,000 की राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया है, ताकि पिथौरागढ़ बाजार में इस बार रिंगाल की राखियों का स्टॉल लगाया जा सके.

रिंगाल की एक राखी की कीमत 25 रुपये तय की गई है. महिलायें इस बार रिंगाल की राखियां भाइयों की कलाई में बांधकर स्पेशल तरीके से रक्षाबंधन मनाएंगी. इस मुहिम से पहाड़ की खत्म हो रही हस्तशिल्प कला को जहां बल मिलेगा, वहीं पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी जा रहा है.


पिथौरागढ़: देवभूमि में इस बार रक्षाबंधन कुछ खास अंदाज में मनाया जाएगा. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्लास्टिक या फिर चाइनीज राखियां नहीं बल्कि रिंगाल की राखियां बांधेंगी. जिसके लिए पिथौरागढ़ जिले में महिलाओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. रिगांल से बनी एक राखी की कीमत मात्र 25 रुपये रखी गई है.

इस रक्षाबंधन में होंगी रिंगाल की राखियां

रिंगाल से बन रही राखियां हस्तशिल्प कला का बेजोड़ नमूना माना जा रहा है. इन राखियों को जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा. पिथौरागढ़ के जैती गांव में इस समय 25 महिलाएं राखियां बनाने के काम में जुटी हुई हैं. ये पहला मौका है जब प्रदेश में रिंगाल से राखियां तैयार की गई हैं. बता दें कि राखियां के अलावा महिलाएं रिंगाल से बनी टोकरियां, दोने और चटाइयों समेत कई तरह की चीजें बना रही हैं.

पढ़ें- जज्बाः व्हीलचेयर से ही निभाते हैं अपनी ड्यूटी, बेस्ट आरक्षी का मिल चुका सम्मान

जानकारी के अनुसार उत्तरापथ संस्था द्वारा मुनस्यारी की महिलाओं को पहले रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी. जिसके बाद अब महिलाएं राखी बनाने में पूरी तरह पारंगत हो गयी हैं. महिलाओं को संस्था द्वारा 40,000 की राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया है, ताकि पिथौरागढ़ बाजार में इस बार रिंगाल की राखियों का स्टॉल लगाया जा सके.

रिंगाल की एक राखी की कीमत 25 रुपये तय की गई है. महिलायें इस बार रिंगाल की राखियां भाइयों की कलाई में बांधकर स्पेशल तरीके से रक्षाबंधन मनाएंगी. इस मुहिम से पहाड़ की खत्म हो रही हस्तशिल्प कला को जहां बल मिलेगा, वहीं पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी जा रहा है.

Intro:नोट- सर ये विसुअल ओर स्टोरी wtsapp ग्रुप में भेजे है।

पिथौरागढ़: देवभूमि में इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार बेहद खास अंदाज में मनाया जाएगा। बहने अपने भाई की कलाई पर इस बार रिंगाल से बनी इको फ्रेंडली राखियां बांध सकेंगी। मुनस्यारी तहसील के जेती गाँव में उत्तरापथ संस्था द्वारा स्थानीय महिलाओं से ये राखियां तैयार करवाई गयी है। इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी जा रहा है।

पिथौरागढ़ में रिंगाल से बनी राखियां हस्तशिल्प कला का बेजोड़ नमूना है। ये डिजायनर और फैंसी चाइनीज राखियों से किसी भी लिहाज में कम नही है। रिंगाल से बनी ये राखियां जल्द ही बाजार में उतारी जाएंगी। जैती गाँव मे इस वक्त 25 महिलाएं राखियों को बनाने के काम में जुटी है। केवल राखियां ही नही बल्कि रिंगाल से बनी टोकरी, डोके और चटाइयों समेत कई तरह की चीजें बनाई जा रही है। ये पहला मौका है जब प्रदेश में रिंगाल से राखियां तैयार की गई है।

उत्तरापथ संस्था द्वारा किये गए इस अभिनव में मुनस्यारी की महिलाओं को पहले रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी। अब महिलाएं राखी बनाने में पूरी तरह पारंगत हो गयी है। महिलाओं को संस्था द्वारा 40,000 की राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया है। साथ ही रिंगाल से अन्य प्रोडक्ट भी बनाये जा रहे है। पिथौरागढ़ बाजार में इस बार राखियों का स्टॉल लगाया जाएगा। रिंगाल की एक राखी की कीमत 25 रुपये तय की गई है। महिलायें इस बार रिंगाल की राखियां भाइयों की कलाई में बांधकर स्पेशल तरीके से मना सकेंगी। रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी। वही पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगी।

Byte1: राजेन्द्र पन्त, अध्यक्ष, उत्तरापथ संस्था
Byte2: राजेश लाल, मास्टर ट्रेनर
Byte3: किरन, राखी कारीगर


Body:पिथौरागढ़: देवभूमि में इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार बेहद खास अंदाज में मनाया जाएगा। बहने अपने भाई की कलाई पर इस बार रिंगाल से बनी इको फ्रेंडली राखियां बांध सकेंगी। मुनस्यारी तहसील के जेती गाँव में उत्तरापथ संस्था द्वारा स्थानीय महिलाओं से ये राखियां तैयार करवाई गयी है। इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी जा रहा है।

पिथौरागढ़ में रिंगाल से बनी राखियां हस्तशिल्प कला का बेजोड़ नमूना है। ये डिजायनर और फैंसी चाइनीज राखियों से किसी भी लिहाज में कम नही है। रिंगाल से बनी ये राखियां जल्द ही बाजार में उतारी जाएंगी। जैती गाँव मे इस वक्त 25 महिलाएं राखियों को बनाने के काम में जुटी है। केवल राखियां ही नही बल्कि रिंगाल से बनी टोकरी, डोके और चटाइयों समेत कई तरह की चीजें बनाई जा रही है। ये पहला मौका है जब प्रदेश में रिंगाल से राखियां तैयार की गई है।

उत्तरापथ संस्था द्वारा किये गए इस अभिनव में मुनस्यारी की महिलाओं को पहले रिंगाल से राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी। अब महिलाएं राखी बनाने में पूरी तरह पारंगत हो गयी है। महिलाओं को संस्था द्वारा 40,000 की राखियां बनाने का ऑर्डर दिया गया है। साथ ही रिंगाल से अन्य प्रोडक्ट भी बनाये जा रहे है। पिथौरागढ़ बाजार में इस बार राखियों का स्टॉल लगाया जाएगा। रिंगाल की एक राखी की कीमत 25 रुपये तय की गई है। महिलायें इस बार रिंगाल की राखियां भाइयों की कलाई में बांधकर स्पेशल तरीके से मना सकेंगी। रिंगाल से राखियां बनने से पहाड़ की विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कला जहां फिर से पुनर्जीवित होगी। वही पर्यावरण के लिए घातक बन चुकी प्लास्टिक से भी निजात मिल सकेगी।

Byte1: राजेन्द्र पन्त, अध्यक्ष, उत्तरापथ संस्था
Byte2: राजेश लाल, मास्टर ट्रेनर
Byte3: किरन, राखी कारीगर


Conclusion:
Last Updated : Jul 12, 2019, 12:11 PM IST
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