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वनों को आग से बचाने अकेले ही निकल पड़ी ये शिक्षिका, हाथ-पैर झुलसे लेकिन नहीं टूटी हिम्मत

पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में शिक्षिका चंद्रा पंत अकेले ही वनों को आग से बचा रही हैं. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर वनाग्नि को बुझाने का अनुभव शेयर किया.

शिक्षिका
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Published : Jun 9, 2020, 3:56 PM IST

बेरीनाग: पिछले एक पखवाड़े से मौसम में परिवर्तन के बाद पहाड़ों में अचानक गर्मी बढ़ने से जंगलों में आग लगना शुरू हो गया है. जगह-जगह आग लगने से धुंध फैली हुई है. लेकिन कम संसाधन होने के कारण वन विभाग आग बुझा पाने में नाकाम साबित हो रहा है. ऐसे में पिथौरागढ़ जिले के ग्राम पंचायत सानीखेत के दिगतोली गांव की शिक्षिका चंद्रा पंत पिछले एक सप्ताह से गांव के आसपास लग रही आग को बुझाने के लिए अकेले ही निकल पड़ी.

चंद्रा पंत
चंद्रा पंत ने शेयर किया अपना अनुभव.

चंद्रा पंत ने अपने फेसबुक पेज पर अपना अनुभव शेयर किया है. उन्होंने बताया कि जंगल में लगी आग को उन्होंने कैसे बुझाया और इस दौरान उन्हें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा. चंद्रा लिखती हैं- "गांव की सीमा पर जंगल में आग लग रही थी. धू-धकर जंगल जल रहा था. मैं अकेले ही घर आग बुझाने को निकल पड़ी. आग बुझाने के दौरान कई बार वे आग की लपटों में आते-आते बची. हालांकि इस दौरान उनके चप्पल भी जल गए. सिर के बाल और हाथ-पैर भी कई जगहों पर झुलस गये."

चंद्रा पंत आगे लिखती हैं कि एक हिस्से से आग बुझती तो दूसरे हिस्से में आग लग जाती थी. आग बुझाने के दौरान घुप अंधेरा भी हो गया था. लेकिन सामने आग होने के कारण अंधेरे और रात होने का भी डर नहीं था. आग बुझाने में 6 घंटे तक का वक्त लग गया.

पढ़ेंः पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाईकोर्ट ने दिया झटका, कहा- जल्द जमा कराएं किराया और भत्ता

चंद्रा पंत ने बताया वह अभी तक 8 बार से अधिक अपने आस-पास के जंगलों की आग बुझा चुकी हैं. चंद्रा बताती है जंगलों को बचाने के लिए कई बार मार भी खाई और दुत्कार भी सही. हालांकि चन्द्रा पंत के इस सराहनीय कार्य की कई संगठनों ने प्रशंसा भी की है.

बेरीनाग: पिछले एक पखवाड़े से मौसम में परिवर्तन के बाद पहाड़ों में अचानक गर्मी बढ़ने से जंगलों में आग लगना शुरू हो गया है. जगह-जगह आग लगने से धुंध फैली हुई है. लेकिन कम संसाधन होने के कारण वन विभाग आग बुझा पाने में नाकाम साबित हो रहा है. ऐसे में पिथौरागढ़ जिले के ग्राम पंचायत सानीखेत के दिगतोली गांव की शिक्षिका चंद्रा पंत पिछले एक सप्ताह से गांव के आसपास लग रही आग को बुझाने के लिए अकेले ही निकल पड़ी.

चंद्रा पंत
चंद्रा पंत ने शेयर किया अपना अनुभव.

चंद्रा पंत ने अपने फेसबुक पेज पर अपना अनुभव शेयर किया है. उन्होंने बताया कि जंगल में लगी आग को उन्होंने कैसे बुझाया और इस दौरान उन्हें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा. चंद्रा लिखती हैं- "गांव की सीमा पर जंगल में आग लग रही थी. धू-धकर जंगल जल रहा था. मैं अकेले ही घर आग बुझाने को निकल पड़ी. आग बुझाने के दौरान कई बार वे आग की लपटों में आते-आते बची. हालांकि इस दौरान उनके चप्पल भी जल गए. सिर के बाल और हाथ-पैर भी कई जगहों पर झुलस गये."

चंद्रा पंत आगे लिखती हैं कि एक हिस्से से आग बुझती तो दूसरे हिस्से में आग लग जाती थी. आग बुझाने के दौरान घुप अंधेरा भी हो गया था. लेकिन सामने आग होने के कारण अंधेरे और रात होने का भी डर नहीं था. आग बुझाने में 6 घंटे तक का वक्त लग गया.

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चंद्रा पंत ने बताया वह अभी तक 8 बार से अधिक अपने आस-पास के जंगलों की आग बुझा चुकी हैं. चंद्रा बताती है जंगलों को बचाने के लिए कई बार मार भी खाई और दुत्कार भी सही. हालांकि चन्द्रा पंत के इस सराहनीय कार्य की कई संगठनों ने प्रशंसा भी की है.

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