कोटद्वार: तीन साल का लंबा वक्त बीत गया, लेकिन अभीतक पीजी कॉलेज से मवाकोट कलालघाटी भाबर को जोड़ने वाला 90 मीटर लंबा पुल बनकर तैयार नहीं हुआ. निर्णाणदायी और कार्यदायी संस्था की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2021 में इस पुल का निर्माण कार्य पूरा होना था. इस पुल का शिलान्यास दिसंबर 2019 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने किया था.
482.30 लाख रुपए की लागत से तैयार होने वाला 90 मीटर लंबे पुल का काम तीन साल बाद भी अधर में लटका है. पुल का निर्माम कार्य इतनी धीमी गति से होने पर कार्यदाई संस्था और ठेकेदार का कहना है कि पहले कोविड महामारी के चलते मजदूर न मिलने की वजह से निर्माण कार्य शुभारंभ करने में दिक्कतें हुईं. अब कार्य प्रगति पर है, लेकिन धरातल पर निर्माण कार्य धीमी गति से चलने पर स्थानीय जनता को अपने घर जाने के लिए 5 किलोमीटर फेर देवी रोड से होते हुए जाना पड़ रहा है.
पढ़ें- भ्रष्टाचार के आरोपी आईएफएस किशन चंद को तगड़ा झटका, हाईकोर्ट का अग्रिम जमानत देने से इनकार
वहीं कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज निर्माण तो राजनेताओं के बयानों में सिमट कर रह गया, लेकिन मेडिकल कॉलेज के नाम पर दो पुल स्वीकृति हो गए. वहीं, सुखरो नदी पर बनने वाले पुल पिछले 6 माह से अधर में लटका हुआ है.
राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार से मवाकोट कलालघाटी भाबर को जोड़ने वाला 90 मीटर पुल पिछले तीन वर्षों में बनकर तैयार नहीं होने से स्थानीय जनता को देवी होते हुए अपने आवास में जाना पड़ रहा है. निर्माणदायी संस्था ने सुखरो पुल बनने वाले 90 मीटर पुल को 4 मई 2021 तक पूर्ण होने की बात कही थी.