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6 महीने से बंद है मुनस्यारी-हरकोट मार्ग, श्रमदान में जुटे ग्रामीण - munsiyari harkot road pithoragarh news

पिथौरागढ़ का मुनस्यारी-हरकोट नौ किमी मोटरमार्ग आपदा के चलते पिछले 6 महीने से बाधित है. लगातार शिकायतों के बावजूद भी प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. शासन-प्रशासन को आइना दिखाते हुए ग्रामीणों ने अब श्रमदान के जरिये मार्ग को खोलना शुरू कर दिया है.

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श्रमदान से मार्ग खोलने में जुटे ग्रामीण.
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Published : Sep 30, 2020, 2:16 PM IST

पिथौरागढ़: मुनस्यारी-हरकोट रोड जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते पिछले 6 महीनों से बंद पड़ी है. रोड बंद होने से क्षेत्र की 4 हजार से अधिक आबादी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है. इन दिनों उच्च हिमालयी इलाकों में माइग्रेशन पर गए ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ गांव वापस लौट रहे हैं, लेकिन मार्ग बंद होने से ग्रामीण रास्ते में ही फंसे हुए हैं.

श्रमदान से मार्ग खोलने में जुटे ग्रामीण.

शासन-प्रशासन से लगातार फरियाद लगाने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीण श्रमदान के जरिये मवेशियों के जाने लायक रास्ता बनाने में जुट गए हैं. क्षेत्र की उपेक्षा से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क को खोलने के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों और प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, मगर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. मार्ग बाधित होने से हरकोट, चौना, मालूपाती, मटेना, इमला, कनलका, जोशा, गांधीनगर, ढूनामानी की कुल चार हजार से अधिक आबादी बुरी तरह प्रभावित है.

यह भी पढ़ें-चमोली के सत्येंद्र ने लगाई 'अंकु की पाठशाला'

ग्रामीणों का कहना है कि शीतकाल में उच्च हिमालयी इलाकों से लोग अपने मवेशियों के साथ अपने गांव वापस लौट रहे हैं. लेकिन मार्ग की हालत इस कदर खस्ताहाल है कि मवेशियों को ले जाना मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते ग्रामीण खुद ही मवेशियों के जाने लायक रास्ता बनाने में जुट गए हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मार्ग को जल्द नहीं खोला गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

पिथौरागढ़: मुनस्यारी-हरकोट रोड जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते पिछले 6 महीनों से बंद पड़ी है. रोड बंद होने से क्षेत्र की 4 हजार से अधिक आबादी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है. इन दिनों उच्च हिमालयी इलाकों में माइग्रेशन पर गए ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ गांव वापस लौट रहे हैं, लेकिन मार्ग बंद होने से ग्रामीण रास्ते में ही फंसे हुए हैं.

श्रमदान से मार्ग खोलने में जुटे ग्रामीण.

शासन-प्रशासन से लगातार फरियाद लगाने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीण श्रमदान के जरिये मवेशियों के जाने लायक रास्ता बनाने में जुट गए हैं. क्षेत्र की उपेक्षा से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क को खोलने के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों और प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, मगर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. मार्ग बाधित होने से हरकोट, चौना, मालूपाती, मटेना, इमला, कनलका, जोशा, गांधीनगर, ढूनामानी की कुल चार हजार से अधिक आबादी बुरी तरह प्रभावित है.

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ग्रामीणों का कहना है कि शीतकाल में उच्च हिमालयी इलाकों से लोग अपने मवेशियों के साथ अपने गांव वापस लौट रहे हैं. लेकिन मार्ग की हालत इस कदर खस्ताहाल है कि मवेशियों को ले जाना मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते ग्रामीण खुद ही मवेशियों के जाने लायक रास्ता बनाने में जुट गए हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मार्ग को जल्द नहीं खोला गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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