पिथौरागढ़: इमरजेंसी सेवाओं के तहत भारत-नेपाल पुल खोले जाने का धारचूला व्यापार संघ ने विरोध किया है. भारतीय व्यापारियों ने झूलापुल में पहुंचकर पुल खोलने की कोशिशों पर विराम लगा दिया है. वहीं दोनों देशों की सहमति से 13 नवम्बर को एक घंटे के लिए पुल खोलने की अनुमति मिली थी. लेकिन भारतीय व्यापारियों के विरोध के चलते पुल नहीं खुल पाया. इस कारण जरूरी कार्यों से भारत और नेपाल के बीच आवाजाही करने वालों को निराश होना पड़ा. भारतीय व्यापारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय पुल को नियमित खोला जाए अगर ऐसा नहीं होता है तो वो इमरजेंसी के तहत भी पुल को नहीं खुलने देंगे.
भारत और नेपाल की आपसी सहमति से शुक्रवार को एक घंटे के लिए धारचूला में अंतरराष्ट्रीय झूलापुल खोलने पर सहमति बनी थी. मगर धारचूला व्यापार संघ के विरोध के चलते पुल को नहीं खोला जा सका. दोनों देशों के कई लोगों ने जरूरी कार्यों के मद्देनजर झूलापुल खोलने के लिए अपनी-अपनी सरकारों से गुहार लगाई थी. लेकिन भारतीय व्यापारियों के विरोध के कारण इंटरनेशनल पुल एक घंटे के लिए भी नहीं खुल पाया. इस कारण सैकड़ों लोग जो सुबह से पुल खुलने की आस में बैठे थे उन्हें वापस अपने घरों को लौटना पड़ा.
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भारतीय व्यापारी इस बात से भी नाराज हैं कि नेपाल ने इंटरनेशनल पुल को 15 नवंबर से खोलने पर सहमति जताई थी, लेकिन अंतिम समय में फैसले को बदलते हुए पुल को खोलने की समय सीमा 15 दिसम्बर कर डाली. धारचूला व्यापार संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र थापा का कहना है कि भारतीय व्यापारी सिर्फ कुछ समय के लिए पुल खुलने से खासे नाराज हैं. उनकी मांग है कि पुल को हर रोज नियमित समय के लिए खोला जाए जिससे बॉर्डर इलाकों में कारोबार फिर से पटरी पर लौट सके. लेकिन ऐसा नहीं होता है तो वो जरूरी सेवाओं के तहत भी पुल को नहीं खुलने देंगे.
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एसएसबी के इंस्पेक्टर कश्मीर सिंह ने बताया कि दोनों मुल्कों के बीच 13 नवम्बर को एक घंटे के लिए पुल को खोलने पर सहमति हुई थी. इसके बाद एसएसबी पूरी तैयारी के साथ निर्धारित समय पर पुल को खोलने के लिए पहुंची. लेकिन भारतीय व्यापारियों के कड़े विरोध के कारण वे पुल को खोल नहीं पाए. बता दें कि उत्तराखंड में नेपाल से सटे 275 किलोमीटर के बॉर्डर इलाके में करीब दर्जन भर व्यापारिक मंडियां हैं, जिनका कारोबार दोनों देश के नागरिकों पर निर्भर है.