पिथौरागढ़: अंतरराष्ट्रीय शूटिंग में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले 27 साल के सैयद अली बिन हादी अब उत्तराखंड में आदमखोर जानवरों के आतंक से लोगों को निजात दिला रहे हैं. उत्तराखंड वन विभाग के ऑफिशियल शूटर हादी ने बीते दिनों पिथौरागढ़ में एक आदमखोर गुलदारको ढेर किया था. शूटिंग के साथ हंटिंग का हुनर हादी को विरासत में मिला है. मेरठ के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले हादी के दादा सैयद इक्तेदार हुसैन ब्रिटिश जमाने के मशहूर शिकारी रह चुके हैं. इतना ही नहीं हादी के पिता सैयद हादी भी नेशनल शूटर रहे हैं. हादी के चचेरे भाई इमाम मुस्तफा भी उनके साथ हर अभियान में बैकअप के तौर पर रहते हैं.
पिथौरागढ़ के सुकौली गांव में आदमखोर गुलदार का खात्मा करने वाले शिकारी सैयद अली बिन हादी जाने-माने शूटर भी रह चुके हैं. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिता में 25 से ज्यादा मेडल जीत चुके हादी 2013 में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं. मशहूर शूटिंग खिलाड़ी राज्यवर्धन सिंह राठौर के साथ भी वे कई शूटिंग के मुकाबले खेल चुके हैं. साल 2014 में शूटिंग छोड़ने के बाद अब हादी आदमखोर जानवरों से लोगों को बचाने के अभियान में जुट गए हैं. उत्तराखंड वन विभाग के ऑफिशियल शूटर हादी को लाइसेंस टू किल मैन ईटर हंटर भी मिला हुआ है. पिथौरागढ़ में दो लोगों को निवाला बनाने वाला आदमखोर गुलदार हादी का पहला शिकार था, जिसे उन्होंने पहले ही प्रयास में मार गिराया था. इससे पहले वो यूपी के बिजनौर में 19 लोगों को मारने वाली बाघिन का शिकार करने वाले दल का हिस्सा रह चुके हैं. तब टीम का नेतृत्व हैदराबाद ग्रुप के शिकारी सफात अली खान कर रहे थे.
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शिकारी सैयद अली हादी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि शिकार का शौक उन्हें विरासत में मिला है. वे अपने दादा के शिकार के किस्सों को सुनते हुए बड़े हुए हैं. उनके दादा सैयद इक्तेदार हुसैन ने साल 1952 में एक मगरमच्छ का मार गिराया था. जिसके पेट से एक ब्रिटिश मैन की टोपी बरामद हुई थी. उन्होंने बताया कि उनके पिता सैयद हादी भी नेशनल शूटर रहे हैं. इसलिए बचपन से शूटिंग में दिलचस्पी थी. साल 2006 में जब वो कक्षा छह में पढ़ते थे, तब उन्होंने शूटिंग की शुरुआत की थी. हादी का कहना है कि हंटिंग का नया पेश उनके लिए ज्यादा चैलेंजिग है, हालांकि अपने शूटिंग स्किल्स से लोगों को आदमखोर से बचाना उनके लिए काफी संतोषजनक है.