रुद्रपुर: कुमाऊं एसटीएफ को उस वक्त बड़ी सफलता मिली जब पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके के सेरा घाट क्षेत्र से घेराबंदी कर अंतरराष्ट्रीय वन तस्करों की धरपकड़ की गई. इस कार्रवाई के दौरान एक तस्कर को गिरफ्तार किया गया है. दूसरा घेराबंदी के दौरान अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गया. एसटीएफ ने इस मामले में थाना बेरीनाग में वन्य जीव जंतु संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत धारा 2, 9, 42, 48, 50, 51, 57 में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की है.
एसटीएफ की कुमाऊं यूनिट की कार्रवाई
दरअसल, पिथौरागढ़ जिले की स्पेशल टास्क फोर्स को सूचना प्राप्त हुई कि जनपद पिथौरागढ़ के सेरा घाट क्षेत्र में दो अंतरराष्ट्रीय तस्कर वन्य जीव जंतुओं के अंगों की तस्करी करने की फिराक में हैं. सटीक सूचना के आधार पर एसटीएफ की कुमाऊं यूनिट ने सेरा घाट क्षेत्र में धरपकड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया.
20 वर्षीय तस्कर गिरफ्तार
इस कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार तस्कर राहुल सिंह डसीला (उम्र 20 वर्ष) के कब्जे से 6 लेपर्ड की खाल, गुलदार के 43 नाखून व 24 दांत व शरीर के अंग बरामद किये गए हैं. इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 50 लाख से अधिक आंकी गई है. एसटीएफ ने तस्करी में इस्तेमाल होने वाली एक ऑल्टो कार संख्या UKO5 C 3938 भी बरामद की है.
नेपाल के जरिये विदेशों में होती थी सप्लाई
बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्कर गुलदार के अंगों की तस्करी नेपाल से जुड़े तस्करों के जरिये विदेशों में करते थे. धरपकड़ के दौरान मौके से फरार हुए सोनू डोभाल (निवासी शेरा बडोली सेराघाट, जिला पिथौरागढ़ उम्र 25 वर्ष) की तलाश जारी है. दोनों ही तस्कर मूल रूप से थाना बेरीनाग पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले हैं. एसटीएफ गिरफ्तार तस्कर राहुल डसीला से उनके नेपाल से जुड़े नेटवर्क व अन्य तस्करों के बारे में जानकारी जुटाकर आगे की कार्रवाई में जुटी है.
करंट लगाकर जानवरों को मारते थे
वहीं, गिरफ्तार अभियुक्त ने पूछताछ में बताया कि वह लोग सेरा घाट के जंगलों में लेपर्ड को करंट लगाकर मारते हैं. जिसके बाद उन्हें ऊंची कीमतों में नेपाल के वन्यजीव तस्करों को बेचते हैं. इससे पहले भी 2019 में गिरफ्तार अभियुक्त व उसका फरार साथी नेपाल में गुलदार की खाल बेच चुके हैं. वहीं इस कार्रवाई में बरामद की गई गुलदार की खाल करीब एक से दो वर्ष पुरानी है. जांच पड़ताल में इस बात का भी खुलासा हुआ कि एक गुलदार की खाल नेपाल में 8 से 10 लाख रुपए के हिसाब से बेची जाती है.
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गौर हो कि पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिले का सेरा घाट क्षेत्र लेपर्ड वाइल्ड लाइफ एक्ट में शेड्यूल 1 श्रेणी में आता है, जिसके चलते यहां वन्यजीव तस्कर सक्रिय हैं.