बेरीनाग: प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक लोग पशुपालन पर निर्भर हैं और यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन भी पशुपालन ही है. ऐसे में गंगोलीहाट विधानसभा में स्थित पशुपालन विभाग की योजनाएं सिर्फ कागजों में ही सिमट के रह गईं हैं.
बता दें कि गंगोलीहाट विधानसभा के अंतर्गत अधिकांश पशु सेवा केंद्रों में लंबे समय से ताले लटके हुए हैं. वहीं क्षेत्र में 13 पशुधन केन्द्रों में से 9 पशुधन केंद्रों में लंबे समय से ताला लटका हुआ है, जिससे आए दिन पशुपालकों को पशु बीमार होने पर बेरीनाग और गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय के चक्कर काटकर डॉक्टर के आगे मिन्नतें करनी पड़ती हैं.
इसके साथ ही बेरीनाग विकास खंड में चामाचौड़, भुवनेश्वर, जयनगर, कोटमन्या, चौसला पुश सेवा केंद्रों में लंबे समय से ताले लटके हुए हैं. पुरानाथल के पशुधन प्रसार अधिकारी के पास 6 केन्द्रों की जिम्मेदारी है. पहाड़ों में 6 केन्द्रों को देख पाना बहुत मुश्किल कार्य है. गंगोलीहाट विकास खंड में पोखरी, चहज, चौनाला, गणाई, सिमलता में भी लंबे समय से अधिकारी नहीं होने से ताला लटका हुआ है.
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वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि यहां पर अधिकारियों की नियुक्ति की मांग कर चुके हैं, लेकिन मांग कागजों की फाइलों तक समिति रह गई है. यदि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई पशु बीमार हो जाए तो पशुपालकों के आगे बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है. यह समस्या आए दिन देखने को मिल रही है. कुछ वर्षों में सरकार ने सभी विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों की संबद्धता को खत्म कर दिया था, लेकिन उसके बाद आए दिन कुछ विभागीय अधिकारी, कर्मचारी नियमों को ताक पर रखकर मनचाही स्थलों पर तैनाती करवा दे रहे हैं.
यही हाल पशुपालन विभाग में हो रहा है. जब इस सन्दर्भ में पशुपालन मंत्री रेखा आर्या को फोन कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, जिस कारण उनका पक्ष पता नहीं चल पाया.
वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को अच्छी नस्ल के पशु नहीं मिलने, समय पर चारा नहीं मिलने, दुग्ध उत्पादन कम होने और पशुपालन विभाग के द्वारा पशु पालकों को विभागीय लाभ और जानकारी नहीं मिलने के कारण आए दिन पशुपालकों की संख्या भी घटती जा रही है, जिसके लिए प्रदेश का पशु महकमा भी कहीं ना कहीं जिम्मेदार है.