बेरीनाग: गंगोलीहाट से 22 किलोमीटर दूर चौड़-धुरोली गांव में एक गरीब परिवार इलाज के लिये दर-दर भटक रहा है. आनंद कुमार अपनी पत्नी के आंतों के ऑपरेशन के लिये तीन महीने से रेफर सेंटरों पर भटक रहे हैं. पत्नी को लेकर आनंद पिथौरागढ़, हल्द्वानी के लेकर मेरठ तक गये लेकिन सारी जमा-पूंजी गंवाने के बाद आज भी महिला को सही इलाज नहीं मिल सका है.
दरअसल, तीन महीने पहले गीता देवी (35) के पेट में अचानक तेज दर्द हुआ. उनके पति आनंद कुमार उनको लेकर गंगोलीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए. वहां से डॉक्टरों ने गीता को पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. गीता देवी सितंबर में 15 दिनों तक पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में भर्ती रही. उसके बाद डॉक्टरों ने उनको हायर सेंटर रेफर कर दिया.
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इलाज के खर्च के लिये उन्होंने अपनी भैंस व बकरी बेच दी और 20 हजार का कर्ज भी लिया. अक्टूबर में गीता के पति उसे हल्द्वानी के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए लेकिन वहां भी उचित इलाज न मिलने के कारण गीता को उनकी बहन दीपा के घर मुरादाबाद ले जाया गया. मुरादाबाद के डॉक्टरों ने भी गीता को मेरठ के लिये रेफर कर दिया.
परिजनों ने बीमार गीता की मेरठ के हीरालाल डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच करवाई तो पता चला कि गीता की आंते चिपक गयी हैं, तब तक गीता के पति आनंद के पास इलाज के लिए ले जाई गयी 25 हजार की रकम टेस्ट करवाने में ही खत्म हो गयी थी. डॉक्टर ने आनंद कुमार को बताया कि गीता का ऑपरेशन करना पड़ेगा, जिसमें एक लाख से अधिक का खर्च आएगा और 15 दिन के अंदर हर हाल में ऑपरेशन करने की सलाह दी गई. डॉक्टर ने ऑपरेशन न होने पर गीता के पेट में जहर फैलने की बात कही.
पैसे के अभाव में आनंद बीते 3 नवंबर को बीमार पत्नी को घर लाने को मजबूर हो गए. इधर, कुछ दिनों से बीमार गीता के पेट में अत्यधिक सूजन बढ़ गयी तो रिश्तेदारों व गांववालों से 15 हजार चंदा एकत्र कर 5 नवंबर को गीता को जिला अस्पताल पिथौरागढ़ ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने फिर से उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया.
29 नवंबर को गीता देवी की हालत दोबारा चिंताजनक हो गयी. 108 वाहन से गीता को गंगोलीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद 3 दिन के अंदर गीता का किसी बड़े अस्पताल में ऑपरेशन कराने की सलाह देकर गीता को हल्द्वानी के अस्पताल को रेफर कर दिया है.
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बता दें कि गीता के पति का 12 वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में दायां पैर गंभीर रूप से घायल हो चुका है, जिस कारण उनकी दिल्ली में चालक की नौकरी चली गयी. तब से एक पैर से ही हल्की-फुल्की मजदूरी कर गांव में ही अपने दो बच्चों सागर (15) व साहिल (13) को पढ़ा रहे हैं. अबतक घर के भैंस, गाय व बकरी पाल कर परिवार का गुजारा हो रहा था. अब पत्नी के इलाज में सब बिक गये. अब आनंद कुमार के पास पत्नी को हल्द्वानी ले जाने के लिये फूटी कौड़ी भी नहीं बची है.
परिवार की स्थिति का पता लगने पर गंगोलीहाट के समाजसेवी हरगोविंद रावल ने हल्द्वानी स्थिति कुछ समाजसेवी लोगों से बात की तो कुछ लोग गीता के इलाज के लिए आगे आये हैं. बताते चलें कि अभी तक अनुसूचित जाति की बीपीएल महिला को सरकार व प्रशासन द्वारा भी कोई मदद नहीं मिली है.