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कोटद्वार के नये नामकरण पर सरकार के साथ हरदा, इस नाम का दिया सुझाव - क्या होगा कोटद्वार का नया नाम ?

कोटद्वार का नाम बदलने के फैसले की सीएम हरीश रावत ने तारीफ की है, परंतु उन्होंने कण्डवनगर के बजाय नया नाम सुझाया है.

कोटद्वार का नाम बदलने पर हरीश रावत की प्रक्रिया.
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Published : Nov 22, 2019, 4:55 PM IST

पिथौरागढ़: कोटद्वार का नाम बदलकर कण्डवनगर करने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले की तारीफ की है. साथ ही ये सुझाव भी दिया है कि कण्डवनगर के बजाय इसे भरतनगर नाम दिया जाए, ताकि देश और दुनिया के लोगों को मालूम हो सके कि भारत के पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म कोटद्वार में स्थित कण्डवाश्रम में हुआ है.

साथ ही हरीश रावत ने ये आरोप भी लगाया है कि उनकी सरकार ने कण्डवाश्रम विकसित करने के लिए जो मास्टर प्लान बनाया था. उस पर सरकार ने रोक लगा दी है. बता दें कि पौढ़ी जिले के कोटद्वार का नाम कण्व ऋषि के नाम पर रखने के लिए सरकार कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है. कण्व ऋषि के कण्वाश्रम में ही पांडवों के पूर्वज और हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था. भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा. सरकार के इस फैसले की पूर्व सीएम हरीश रावत ने सराहना की है.

कोटद्वार का नाम बदलने पर हरीश रावत की प्रक्रिया.

यह भी पढ़ें-पड़ताल: क्या केदारधाम में बनने वाले ओपन म्यूजियम से आस्था को पहुंचेगी ठेस?

आपको बता दें कि कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. कोटद्वार एक पौराणिक शहर है, जिसका जिक्र कई धर्मग्रन्थों और महाभारत कालीन साहित्य में मिलता है. प्राचीन काल में कोटद्वार में कण्व ऋषि का आश्रम होता था. ये उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. इसी आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला को विवाह के बाद पुत्र प्राप्त हुआ था. इन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम आगे जाकर भारत पड़ा.

पिथौरागढ़: कोटद्वार का नाम बदलकर कण्डवनगर करने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले की तारीफ की है. साथ ही ये सुझाव भी दिया है कि कण्डवनगर के बजाय इसे भरतनगर नाम दिया जाए, ताकि देश और दुनिया के लोगों को मालूम हो सके कि भारत के पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म कोटद्वार में स्थित कण्डवाश्रम में हुआ है.

साथ ही हरीश रावत ने ये आरोप भी लगाया है कि उनकी सरकार ने कण्डवाश्रम विकसित करने के लिए जो मास्टर प्लान बनाया था. उस पर सरकार ने रोक लगा दी है. बता दें कि पौढ़ी जिले के कोटद्वार का नाम कण्व ऋषि के नाम पर रखने के लिए सरकार कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है. कण्व ऋषि के कण्वाश्रम में ही पांडवों के पूर्वज और हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था. भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा. सरकार के इस फैसले की पूर्व सीएम हरीश रावत ने सराहना की है.

कोटद्वार का नाम बदलने पर हरीश रावत की प्रक्रिया.

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आपको बता दें कि कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. कोटद्वार एक पौराणिक शहर है, जिसका जिक्र कई धर्मग्रन्थों और महाभारत कालीन साहित्य में मिलता है. प्राचीन काल में कोटद्वार में कण्व ऋषि का आश्रम होता था. ये उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. इसी आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला को विवाह के बाद पुत्र प्राप्त हुआ था. इन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम आगे जाकर भारत पड़ा.

Intro:पिथौरागढ़: कोटद्वार का नाम बदलकर कण्डवनगर करने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है। हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले की तारीफ की है। साथ ही ये सुझाव भी दिया है कि कण्डवनगर के बजाय इसे भरतनगर नाम दिया जाए। ताकि देश और दुनियां के लोगों को मालूम हो सके भारत के पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म कोटद्वार में स्थित कण्डवाश्रम में हुआ है। साथ ही हरीश रावत ने ये आरोप भी लगाया है कि उनकी सरकार ने कण्डवाश्रम विकसित करने के लिए जो मास्टर्स प्लान बनाया था। उस पर सरकार ने रोक लगा दी है।

Body:पौढ़ी जिले के कोटद्वार का नाम कण्व ऋषि के नाम पर रखने के लिए सरकार कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है। कण्व ऋषि के कण्वाश्रम में ही पांडवों के पूर्वज और हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त और शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था। भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा। सरकार के इस फैसले की पूर्व सीएम हरीश रावत ने सराहना की है। साथ ही सुझाव दिया है कि कण्डवनगर के बजाए इसका नाम भरतनगर रखा जाए। ताकि दुनिया को मालूम चल सके कि दुनिया का पहला चक्रवर्ती सम्राट जिनके नाम पर भारत नाम पड़ा उनका जन्म देवभूमि उत्तराखण्ड में हुआ है।
आपको बता दें कि कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। कोटद्वार एक पौराणिक शहर है, जिसका जिक्र कई धर्मग्रन्थों और महाभारत कालीन साहित्य में मिलता है। प्राचीन काल में कोटद्वार में कण्व ऋषि का आश्रम होता था। ये उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। इसी आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला को विवाह के बाद पुत्र प्राप्त हुआ था। इन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम आगे जाकर भारत पड़ा।Conclusion:
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