पिथौरागढ़: नवरात्र के पहले दिन उत्तर भारत के सबसे बड़े शक्तिपीठ महाकाली मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. बड़ी संख्या में भक्त माता रानी के दर्शन करने के लिए मंदिर में पहुंचे. सुबह 4 बजे से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. भगवती महाकाली आज के दौर में हॉट काली के नाम से भी प्रसिद्ध हैं.
कहा जाता है कि दैत्यों का वध करने के बाद काली ने रौद्र रूप लिया था. महाकाली मंदिर के कुछ दूरी पर बसा मौत गांव जिसे आज समलकोट के नाम से भी जाना जाता है, वहां के परिवारों से नर बलि ली जाती थी. ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य को एक रात जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने मां काली को शांत किया. महाकाली का तिलक कर श्रद्धालुओं के लिए मां का द्वार पूजा पाठ के लिए खोल दिया गया. जिसके बाद से शक्ति स्थापित की गई और महाकाली के दरबार में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
हिंदू धर्म ग्रंथ स्कंद पुराण के मानस खंड में महाकाली की महिमा का वर्णन किया गया है. मानस कांड के अनुसार जगत जननी महाकाली को शैल पर्वत का निवासी बताया गया है. ग्रंथानुसार शुभ नामक दैत्य से पराजित होकर देवताओं ने शैल पर्वत पारकर महाकाली की तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती महाकाली के रूप में प्रकट हुईं. स्कंद पुराण के अनुसार दक्षिण में कोलकाता और उत्तर में महाकाली की महत्व अधिक है.
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ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त जब कुमाऊं रेजिमेंट का जहाज डूबने लगा था. तब जहाज में सवार सैनिकों ने महाकाली की जय कार की तो उनका जहाज जहाज खुद-ब-खुद तैरने लगा था.