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पहाड़ में कम देखने को मिल रहे माल्टा, नींबू और संतरे, जानिए क्या है वजह - पिथौरागढ़ न्यूज

सिट्रस फलों की पैदावार के लिए चर्चित सोरघाटी में पिछले एक दशक में नींबू, माल्टा, संतरा और जामिर की पैदावार काफी कम हो गई है. साथ ही इन फलों की गुणवत्ता में भी काफी कमी आयी है.

citrus fruit
सिट्रस फल
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Published : Dec 9, 2019, 12:10 AM IST

पिथौरागढ़: सिट्रस फलों की पैदावार के लिए चर्चित सोरघाटी में पिछले एक दशक में नींबू, माल्टा, संतरा और जामिर की पैदावार काफी कम हो गई है. साथ ही इन फलों की गुणवत्ता में भी काफी कमी आयी है. सिट्रस फलों के पैदावार कम होने से कास्तकारों को रोजी-रोटी का संकट सताने लगा है.

वहीं, जानकार इसके लिए बढ़ते तापमान को वजह बता रहे हैं. साथ ही बागवानी की नई तकनीक की कमी भी सिट्रस फलों की कम पैदावार के लिए जिम्मेदार है. बदलते मौसम का असर पर्वतीय इलाकों की बागवानी पर भी देखने को मिल रही है. खासकर सोरघाटी पिथौरागढ़ में सिट्रस फलों की पैदावार में.

ये भी पढ़ें:सरकार की अनदेखी के शिकार विधायक सुरक्षा के लिए लगा रहे गुहार

बता दें कि एक दौर था जब सोरघाटी और उसके आस-पास के इलाकों में सिट्रस फलों का जमकर पैदावार होता था. लेकिन पिछले एक दशक में जहां सिट्रस फलों की पैदावार कम हुई है, वहीं इन फलों की गुणवत्ता में भी कमी आई है. उच्च हिमालयी इलाकों में सिट्रस फलों की पैदावार आज भी अच्छी है. इन इलाकों में पैदा होने वाले नींबू प्रजाति के फलों में उच्च क्वालिटी का विटामिन “सी” होता है, लेकिन निचले इलाकों में अब ये पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है.

पिथौरागढ़: सिट्रस फलों की पैदावार के लिए चर्चित सोरघाटी में पिछले एक दशक में नींबू, माल्टा, संतरा और जामिर की पैदावार काफी कम हो गई है. साथ ही इन फलों की गुणवत्ता में भी काफी कमी आयी है. सिट्रस फलों के पैदावार कम होने से कास्तकारों को रोजी-रोटी का संकट सताने लगा है.

वहीं, जानकार इसके लिए बढ़ते तापमान को वजह बता रहे हैं. साथ ही बागवानी की नई तकनीक की कमी भी सिट्रस फलों की कम पैदावार के लिए जिम्मेदार है. बदलते मौसम का असर पर्वतीय इलाकों की बागवानी पर भी देखने को मिल रही है. खासकर सोरघाटी पिथौरागढ़ में सिट्रस फलों की पैदावार में.

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बता दें कि एक दौर था जब सोरघाटी और उसके आस-पास के इलाकों में सिट्रस फलों का जमकर पैदावार होता था. लेकिन पिछले एक दशक में जहां सिट्रस फलों की पैदावार कम हुई है, वहीं इन फलों की गुणवत्ता में भी कमी आई है. उच्च हिमालयी इलाकों में सिट्रस फलों की पैदावार आज भी अच्छी है. इन इलाकों में पैदा होने वाले नींबू प्रजाति के फलों में उच्च क्वालिटी का विटामिन “सी” होता है, लेकिन निचले इलाकों में अब ये पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है.

Intro:पिथौरागढ़: सिट्रस फलों की पैदावार के लिए चर्चित सोरघाटी पिथौरागढ़ में पिछले एक दशक में नींबू, माल्टा, संतरा और जामिर की पैदावार काफी कम हो गई है। साथ ही इन फलों की गुणवत्ता भी काफी कमी आयी है। सिट्रस फलों कम हो रही पैदावार ने कास्तकारों की रोजी-रोटी को संकट में डाल दिया है। जानकार इसके लिए बढ़ते तापमान को वजह बता रहे हैं। साथ ही बागवानी की नई तकनीक की कमी भी सिट्रस फलों की कम पैदावार के लिए जिम्मेदार है। Body:बदलते मौसम का असर पर्वतीय इलाकों की बागवानी पर भी देखने को मिल रहा है। खासकर सोरघाटी पिथौरागढ़ में सिट्रस फलों की पैदावार में। एक दौर था जब सोरघाटी और उसके आस-पास के इलाकों में सिट्रस फलों जमकर पैदावार होती थी। लेकिन पिछले एक दशक में जहां सिट्रस फलों की पैदावार कम हुई है, वहीं इन फलों की गुणवत्ता में भी कमी आई है। उच्च हिमालयी इलाकों में सिट्रस फलों की पैदावार आज भी अच्छी है। इन इलाकों में पैदा होने वाले नींबू प्रजाति के फलों में उच्च क्वालिटी का विटामिन “सी” होता है। लेकिन निचले इलाकों में अब ये पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है।

Byte: आर एस वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़Conclusion:
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