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CAG रिपोर्ट ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर उठाए सवाल, मरीजों की जिंदगी से बताया खिलवाड़ - पिथौरागढ़ में ब्लड बैंक में कैग की रिपोर्ट

कैग (CAG) रिपोर्ट से हुए खुलासे के बाद पिथौरागढ़ अस्पताल के ब्लड बैंक में लापरवाही का मामला सामने आया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड बैंक में बिना जांच के ही मरीजों को खून ट्रांसफर किया जा रहा है.

cag report
ब्लड बैंक पर उठाए सवाल.
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Published : Dec 11, 2019, 6:28 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 7:34 PM IST

पिथौरागढ़: कैग की रिपोर्ट ने पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कैग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जिला अस्पताल का ब्लड बैंक बीते तीन सालों से मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है. रिपोर्ट में सामने आया है कि ब्लड लेने के बाद जरूरी टेस्ट किए बिना ही मरीजों के शरीर में चढ़ाया गया. साथ ही ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. हालांकि, ब्लड बैंक संचालक कैग की रिपोर्ट को पूरी तरह निराधार बता रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य महकमा मामले की जांच की बात कह रहा है.

ब्लड बैंक पर उठाए सवाल.

कैग (Comptroller and Auditor General of India) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक पर जो सवाल उठाए गए हैं, उससे हर कोई हैरान है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. यही नहीं, बैंक में रखे गए ब्लड में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी, मलेरिया और सीफिलिस की जांच तक नहीं की गई है. वहीं, रिपोर्ट में सामने आया कि फरवरी 2017 से मार्च 2018 के दौरान मलेरिया की जांच के बिना ही ब्लड जमा किया गया. साथ ही जुलाई 2016 से मार्च 2018 तक 707 ब्लड यूनिट को बिना सीफिलिस की जांच किए ही रोगियों को चढ़ा दिया गया था.

ये भी पढ़ें: सितारगंज: चीनी मिल चलाओ संघर्ष समिति ने दिया धरना, मिल दोबारा चालू करने की मांग

बता दें कि सीलिफिस एक सेक्सुअल डिजीज है. कैग रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक में मलेरिया की जांच स्लाइड विधि से की जा रही थी, जबकि इसे टेस्ट किट से किया जाना चाहिए था. ब्लड बैंक में जमा यूनिट के मुताबिक, यहां मलेरिया और सीलिफिस के टेस्ट के लिए किट ही मौजूद नहीं है. रिकॉर्ड और स्टोर रूम में भी भारी खामियों को कैग ने चिन्हित किया है. ब्लड बैंक में इस दौरान 4 हजार 25 यूनिट की जांच की गई है, जबकि यहां मात्र 3 हजार 318 वीडीआरएल टेस्ट किट ही मौजूद थे. मामले का खुलासा होने पर अब स्वास्थ्य महकमा जांच की बात कह रहा है.

पिथौरागढ़: कैग की रिपोर्ट ने पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कैग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जिला अस्पताल का ब्लड बैंक बीते तीन सालों से मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है. रिपोर्ट में सामने आया है कि ब्लड लेने के बाद जरूरी टेस्ट किए बिना ही मरीजों के शरीर में चढ़ाया गया. साथ ही ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. हालांकि, ब्लड बैंक संचालक कैग की रिपोर्ट को पूरी तरह निराधार बता रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य महकमा मामले की जांच की बात कह रहा है.

ब्लड बैंक पर उठाए सवाल.

कैग (Comptroller and Auditor General of India) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक पर जो सवाल उठाए गए हैं, उससे हर कोई हैरान है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. यही नहीं, बैंक में रखे गए ब्लड में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी, मलेरिया और सीफिलिस की जांच तक नहीं की गई है. वहीं, रिपोर्ट में सामने आया कि फरवरी 2017 से मार्च 2018 के दौरान मलेरिया की जांच के बिना ही ब्लड जमा किया गया. साथ ही जुलाई 2016 से मार्च 2018 तक 707 ब्लड यूनिट को बिना सीफिलिस की जांच किए ही रोगियों को चढ़ा दिया गया था.

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बता दें कि सीलिफिस एक सेक्सुअल डिजीज है. कैग रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक में मलेरिया की जांच स्लाइड विधि से की जा रही थी, जबकि इसे टेस्ट किट से किया जाना चाहिए था. ब्लड बैंक में जमा यूनिट के मुताबिक, यहां मलेरिया और सीलिफिस के टेस्ट के लिए किट ही मौजूद नहीं है. रिकॉर्ड और स्टोर रूम में भी भारी खामियों को कैग ने चिन्हित किया है. ब्लड बैंक में इस दौरान 4 हजार 25 यूनिट की जांच की गई है, जबकि यहां मात्र 3 हजार 318 वीडीआरएल टेस्ट किट ही मौजूद थे. मामले का खुलासा होने पर अब स्वास्थ्य महकमा जांच की बात कह रहा है.

Intro:पिथौरागढ़ : सीएएजी की रिपोर्ट ने पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर गंभीर सवाल उठाये है। कैग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जिला अस्पताल का ब्ल़ड बैंक बीते 3 सालों से मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्लड बैंक में खून लेते और देते वक्त लोगों की जिंदगी को पूरी तरह खतरे में डाला गया है। यही नही ब्लड लेने के बाद जरूरी टेस्ट किए बिना ही उसे लोगों के शरीर में चढ़ाया गया है। साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ब्लड बैंक 1998 से बिना लाईसेंस के चल रहा है। हालांकि ब्लड बैंक संचालक कैग की रिपोर्ट को पूरी तरह निराधार बता रहे है। वहीं स्वास्थ्य महकमा मामले की जांच की बात कर रहा है।Body:कैग की जारी रिपोर्ट में पिथौरागढ़ ब्लड बैंक पर जो सवाल उठाए गए हैं, उससे हर कोई हैरान है। रिपोर्ट की मानें तो ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है, यही नही बैंक में ऱखे गए ब्लड में एचआईवी,हेपेटाइटिस बी-सी, मलेरिया और सीफिलिस की जांच तक नही की गई है। रिपोर्ट कहती है कि फरवरी 2017 से मार्च 2018 के दौरान मलेरिया की जांच के बिना ही ब्लड जमा किया गया। यही नही जुलाई 2016 से मार्च 2018 तक 707 ब्लड यूनिट को बिना सीफिलिस के जांच किए ही रोगियों को चढ़ा दिया गया था। सीलिफिस एक सेक्सुअल डिजीज है। यही नही कैग की रिपोर्ट कहती है कि पिथौरागढ़ ब्लड बैंक में मलेरिया की जांच स्लाइड विधि से की जा रही थी। जबकि इसे टेस्ट किट से किया जाना चाहिए। रिपोर्ट तो यहां तक कहती है कि ब्लड बैंक में जमा यूनिट के मुताबिक यहां मलेरिया और सीलिफिस के टेस्ट किट ही मौजूद नही हैं। जबकि रिकॉर्ड और स्टोर रूम में भी भारी खामियां को कैग ने चिन्हित किया हैं। ब्लड बैंक में इस दौरान 4 हजार 25 यूनिट की जांच की गई है। जबकि यहां मात्र 3 हजार 3 सौ 18 वीडीआरएल टेस्ट किट ही मौजूद थे। मामले का खुलासा होने पर अब स्वास्थ्य महकमा जांच की बात कह रहा है।

Byte1: डा0 नरेन्द्र शर्मा, इंचार्ज, ब्लड बैंक
Byte2: डा0 ऊषा गुंजयाल, सीएमओ, पिथौरागढ़Conclusion:
Last Updated : Dec 11, 2019, 7:34 PM IST
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