पिथौरागढ़: कैग की रिपोर्ट ने पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कैग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जिला अस्पताल का ब्लड बैंक बीते तीन सालों से मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है. रिपोर्ट में सामने आया है कि ब्लड लेने के बाद जरूरी टेस्ट किए बिना ही मरीजों के शरीर में चढ़ाया गया. साथ ही ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. हालांकि, ब्लड बैंक संचालक कैग की रिपोर्ट को पूरी तरह निराधार बता रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य महकमा मामले की जांच की बात कह रहा है.
कैग (Comptroller and Auditor General of India) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक पर जो सवाल उठाए गए हैं, उससे हर कोई हैरान है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड बैंक 1998 से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है. यही नहीं, बैंक में रखे गए ब्लड में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी, मलेरिया और सीफिलिस की जांच तक नहीं की गई है. वहीं, रिपोर्ट में सामने आया कि फरवरी 2017 से मार्च 2018 के दौरान मलेरिया की जांच के बिना ही ब्लड जमा किया गया. साथ ही जुलाई 2016 से मार्च 2018 तक 707 ब्लड यूनिट को बिना सीफिलिस की जांच किए ही रोगियों को चढ़ा दिया गया था.
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बता दें कि सीलिफिस एक सेक्सुअल डिजीज है. कैग रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ ब्लड बैंक में मलेरिया की जांच स्लाइड विधि से की जा रही थी, जबकि इसे टेस्ट किट से किया जाना चाहिए था. ब्लड बैंक में जमा यूनिट के मुताबिक, यहां मलेरिया और सीलिफिस के टेस्ट के लिए किट ही मौजूद नहीं है. रिकॉर्ड और स्टोर रूम में भी भारी खामियों को कैग ने चिन्हित किया है. ब्लड बैंक में इस दौरान 4 हजार 25 यूनिट की जांच की गई है, जबकि यहां मात्र 3 हजार 318 वीडीआरएल टेस्ट किट ही मौजूद थे. मामले का खुलासा होने पर अब स्वास्थ्य महकमा जांच की बात कह रहा है.