पिथौरागढ़ : उत्तराखंड बनने के बाद पिथौरागढ़ विधानसभा में प्रकाश पंत बीजेपी के कद्दावर नेता थे. उनके कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके मुकाबले में कोई नेता पार्टी में टिकट की दावेदारी नहीं करता था. लेकिन अब हालात यह हैं कि यहां पर बीजेपी से टिकट की इच्छा रखने वाले खुलकर सामने आने लगे हैं.
बता दें कि 2000 के पहले विधानसभा चुनाव में प्रकाश पंत ने जीत के साथ ही पिथौरागढ़ सीट पर अपनी जड़ें ऐसी जमा ली थीं कि उनके मुकाबले कोई खड़ा ही नहीं हो सका. यही वजह है कि वर्ष 2012 के चुनाव में हार के बाद भी बीजेपी ने वर्ष 2017 में चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन पंत के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी चंद्रा पंत पर पार्टी ने भरोसा जताया. वहीं पार्टी के भरोसे को बनाए रखते हुए चंद्रा पंत ने उपचुनाव में आसान जीत हासिल की थी. अब हालत यह है कि पार्टी के कई दावेदार इस सीट से खुलकर सामने आ रहे हैं.
इसी क्रम में पिथौरागढ़ के नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र रावत ने भी इस बार पिथौरागढ़ सीट से दावेदारी की है. उनका कहना है कि कार्यकर्ताओं के दबाव में उन्होंने दावेदारी की है, ऐसे में पार्टी को अब नए नेताओं को मौका देना चाहिए. वहीं पार्टी संगठन का कहना है कि बीजेपी में उम्मीदवार चुने जाने की एक प्रक्रिया है और उसी के तहत आलाकमान ही किसी के टिकट पर अंतिम मुहर लगाएगा. इस बारे में भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह वल्दिया ने बताया कि पिथौरागढ़ विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक चंद्रा पंत के साथ ही नगरपालिका अध्यक्ष ने भी अपनी दावेदारी पेश की है.
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हालांकि भाजपा में उम्मीदवारों की सूची जारी होने में अब कुछ ही समय बचा है. दूसरी तरफ पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी में यह पहला मौका होगा जब पंत परिवार से बाहर काेई दावेदारी जता है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा एक बार फिर पंत परिवार पर भरोसा जताती है या फिर नए दावेदारों पर दांव लगाती है.