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भैयादूज पर इस खास तरीके से पूजा करती हैं बहनें, भाइयों को देती हैं लंबी उम्र का आशीर्वाद

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज का त्योहार मनाया जाता हैं. पिथौरागढ़ में इस मौके पर बहने च्यूडे़ को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाईयों का सिर पूजा करती हैं. साथ ही उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं.

भैयादूज पर इस खास तरीके से पूजा करती हैं बहनें.
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Published : Oct 29, 2019, 2:36 PM IST

पिथौरागढ़: कुमाऊं में भैयादूज का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. भाई बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्योहार में च्यूड़े से सिर पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है. आज भी इस परंपरा को मनाने के बहनें ससुराल से भाई को च्यूडे़ पूजने के लिए मायके आती है.

भैयादूज पर इस खास तरीके से पूजा करती हैं बहनें.

बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज का त्योहार मनाया जाता हैं. इस मौके पर बहने च्यूडे़ को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाईयों का सिर पूजा करती हैं. साथ ही उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं.
भैयादूज का त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. ये त्योहार भाई-बहन के प्रेम को मजबूत करता है. कुमाऊं में द्वितीया नाम से जाने जाने वाले इस त्योहार के लिए खास तैयारियां होती हैं. इस दिन के लिए कुछ दिन पहले से ही विशेष तरह के धान को भिगो दिया जाता है और भिगोए हुए धान को भूनकर ओखली में मूसल से कूटा जाता है. कूटने के बाद ये चावल चिपके हुए बन जाते है, जिन्हें कुमाऊंनी में च्युड़ा कहा जाता है.

ये भी पढ़ें: कश्मीर का दौरा करेगा ईयू का संसदीय प्रतिनिधिमंडल

इन च्युड़ों को दूब और तेल में मिलाकर पैर, घुटने, कंधों को छूते हुए सिर पूजा जाता है. इस मौके पर 'जी रये, जाग रये, यो दिन यो मास भेटने रये, स्याव जस चतुर है जाये, बाग जस बलवान है जाए, आकाश जस उच्च है जाये, धरती जस चौड़ है जाये, यो दिन यो मास भेटने रये' बोलकर भाइयों को आशीर्वाद दिया जाता है.

पिथौरागढ़: कुमाऊं में भैयादूज का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. भाई बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्योहार में च्यूड़े से सिर पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है. आज भी इस परंपरा को मनाने के बहनें ससुराल से भाई को च्यूडे़ पूजने के लिए मायके आती है.

भैयादूज पर इस खास तरीके से पूजा करती हैं बहनें.

बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज का त्योहार मनाया जाता हैं. इस मौके पर बहने च्यूडे़ को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाईयों का सिर पूजा करती हैं. साथ ही उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं.
भैयादूज का त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. ये त्योहार भाई-बहन के प्रेम को मजबूत करता है. कुमाऊं में द्वितीया नाम से जाने जाने वाले इस त्योहार के लिए खास तैयारियां होती हैं. इस दिन के लिए कुछ दिन पहले से ही विशेष तरह के धान को भिगो दिया जाता है और भिगोए हुए धान को भूनकर ओखली में मूसल से कूटा जाता है. कूटने के बाद ये चावल चिपके हुए बन जाते है, जिन्हें कुमाऊंनी में च्युड़ा कहा जाता है.

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इन च्युड़ों को दूब और तेल में मिलाकर पैर, घुटने, कंधों को छूते हुए सिर पूजा जाता है. इस मौके पर 'जी रये, जाग रये, यो दिन यो मास भेटने रये, स्याव जस चतुर है जाये, बाग जस बलवान है जाए, आकाश जस उच्च है जाये, धरती जस चौड़ है जाये, यो दिन यो मास भेटने रये' बोलकर भाइयों को आशीर्वाद दिया जाता है.

Intro:पिथौरागढ़: कुमाऊं में भैयादूज का त्यौहार बड़े हर्सोल्लास के साथ खास अंदाज में मनाया जाता है। भाई बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्यौहार में च्यूडे से सिर पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है। आज भी इस परंपरा को मनाने के बहनें ससुराल से भाई को च्यूडे पूजने के लिए मायके आती है। आपको बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज का त्योहार मनाया जाता हैं। इस मौके पर बहने च्यूडे को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाइयों का सिर पूजा जाता है और उसकी सुख समृद्धि की कामना करती है।


Body:भैयादूज का त्यौहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम को मजबूत करता है। कुमाऊं में द्वितीया नाम से जाने जाने वाले इस त्यौहार के लिए खास तैयारियां होती है। इस दिन के लिए कुछ दिन पहले से ही विशेष तरह के धान को भिगो दिया जाता है और भिगोए हुए धान को भूनकर ओखली में मूसल से कूटा जाता है। कूटने के बाद ये चावल चिपके हुए बन जाते है, जिन्हें कुमाऊंनी में च्युडा कहा जाता है। इन च्युडों को दूब और तेल में मिलाकर पैर,घुटने, कंधों को छूते हुए सिर पूजा जाता है। इस मौके पर जी रये, जाग रये, यो दिन यो मास भेटने रये, स्याव जस चतुर है जाये, बाग जस बलवान है जाए, आकाश जस उच्च है जाये, धरती जस चौड़ है जाये, यो दिन यो मास भेटने रये बोलकर भाइयों को आशीर्वाद दिया जाता है।

Byte: स्वर्णिमा उप्रेती



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