बेरीनागः महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एक दिवसीय दौरे पर चौकोड़ी और बेरीनाग पहुंचे. चौकोड़ी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़ों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया. जबकि, बेरीनाग में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने वोट नहीं बोट यानी पौधे लगाने की अपील की. उन्होंने कहा कि यहां का वातावरण इन फलों के उत्पादन के मुफीद है. ऐसे में उत्तराखंड में सेब, कीवी समेत अन्य फलदार पौधों से स्वरोजगार पैदा किया जा सकता है. इससे पलायन पर भी लगाम लगेगी.
उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो रहा है. विकास आज गांव-गांव तक पहुंचा है. सीएम पुष्कर सिंह धामी की ओर से हर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाओं को चलाया जा रहा है. उत्तराखंड का पूरे विश्व में अलग पहचान है. यहां के युवाओं को रोजगार के लिए स्वरोजगार अपनाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि स्वरोजगार से जहां लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी तो वहीं पलायन भी रोक लगेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार उत्तराखंड दौरे से काफी लाभ मिल रहा है. खुद पीएम मोदी कह रहे हैं कि पलायन कर शहरों में गए लोग वापस अपने गांव की ओर लौटें. उत्तराखंड के लोग आज हर क्षेत्र में आगे हैं.
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अब गांव में रहेंगे भगत दाः भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि आने वाले दिनों में वो गांव में ही लोगों के साथ रहेंगे. इससे पहले सैनिक संगठन के अध्यक्ष एलएस डांगी के नेतृत्व में पूर्व सैनिकों ने कोश्यारी एक ज्ञापन भी सौंपा. वहीं, भगत सिंह कोश्यारी ने विभिन्न लोगों की समस्याओं को भी सुना और मौके पर समाधान भी किया.
वोट नहीं 'बोट' लगाने की अपीलः पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि साल 1958 से बीजेपी के लिए वोट मांगी है. अब वोट नहीं बोट यानी पेड़ लगाने की अपील कर रहे हैं. सभी लोग सेब, कीवी फलदार पेड़ों को लगाएं और स्वरोजगार अपनाएं. वहीं, महाविद्यालय को जाने वाले खस्ताहाल मार्ग को दुरुस्त करने की मांग को लेकर सभासद आशा भैसोड़ा के नेतृत्व में महिलाओं ने उन्हें ज्ञापन भी सौंपा.
चंद्रशेखर पाठक का योगदान रहा अहमः पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी बीते दिनों दिवंगत हुए पूर्व प्रधानाचार्य चंद्रशेखर पाठक के आवास में जाकर उनकी पत्नी शोभा पाठक, बेटी दिव्या पाठक और परिजनों से मुलाकात की. साथ ही गमगीन परिजनों का ढांढस बंधाया. उन्होंने कहा कि पाठक हमेशा अपनी बातों पर अडिग रहते थे. साथ ही समाज सेवा के लिए तत्पर रहते थे. ऐसे में डॉ. पाठक के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.