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इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा चाइना बॉर्डर के पास बसा ये गांव? 35 मकान जमींदोज, खिसक रही जमीन

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Published : Nov 28, 2021, 3:36 PM IST

Updated : Nov 28, 2021, 3:43 PM IST

दारमा घाटी के दर गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. साथ ही यहां भू-धसाव के कारण अब 35 मकान जमींदोज हो चुके हैं. लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.

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खतरे की जद में चीन सीमा से सटा पिथौरागढ़ का दर गांव

पिथौरागढ़: चीन सीमा के करीब बसा दारमा घाटी का दर गांव (Dar village of Pithoragarh) कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. इस गांव में करीब 145 परिवार रहते हैं, जिन पर हर समय खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. आलम ये है कि बिना बरसात के भी गांव में जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते यहां 35 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं, जबकि कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गयी हैं. गांव में हो रहे लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी (Darma Valley of Pithoragarh District) में पड़ने वाला पहला गांव दर पिछले चार दशकों से खतरे की जद में है. 1974 में यहां के कई परिवारों को सितारगंज में विस्थापित किया गया था, मगर अब धीरे धीरे पूरा गांव खतरे की जद में आ गया है. भूवैज्ञानिकों की टीम ने बीते दिनों दारमा घाटी का दौरा भी किया था.

खतरे की जद में चीन सीमा से सटा पिथौरागढ़ का दर गांव

पढ़ें- खतरे में निर्दलीय MLA की विधायकी, विधानसभा से जल्द जारी होंगे नोटिस

टीम के लीडर प्रदीप कुमार का कहना है कि दर गांव पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा हुआ है. वहीं, सोबला-ढाकर रोड की कटिंग होने से यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा है. गांव के नीचे भूमिगत जलस्त्रोत है. जिनसे लगातार पानी रिसता है. जिसका नतीजा है कि पूरा गांव धीरे-धीरे खिसक रहा है. टीम लीडर प्रदीप कुमार ने बताया कि गांव के 35 परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है.

पढ़ें- शीतकालीन सत्र में बदलाव पर बोले हरीश रावत, भराड़ीसैंण में सरकार को लगती है ठंड

वहीं, आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर ने बताया कि 1974 में गांव के प्रभावित परिवारों का सितारगंज में विस्थापन किया गया था, मगर अधिकांश प्रभावित परिवार गांव में ही लौट आये. उन्होंने आस-पास सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है.

बता दें इस साल अक्टूबर माह में हुई भारी बारिश के दौरान भी दर गांव में भारी लैंडस्लाइड हुआ था. जिसके बाद कई मकान खतरे की जद में आ गए थे, मगर अब बिना बारिश के भी गांव में लगातार भू-धसाव हो रहा है. जिससे ग्रामीणों की परेशानियां दिनों-दिन बढ़ रही हैं.

पिथौरागढ़: चीन सीमा के करीब बसा दारमा घाटी का दर गांव (Dar village of Pithoragarh) कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. इस गांव में करीब 145 परिवार रहते हैं, जिन पर हर समय खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. आलम ये है कि बिना बरसात के भी गांव में जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. जिसके चलते यहां 35 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं, जबकि कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गयी हैं. गांव में हो रहे लैंडस्लाइड और जमीन धंसने से ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी (Darma Valley of Pithoragarh District) में पड़ने वाला पहला गांव दर पिछले चार दशकों से खतरे की जद में है. 1974 में यहां के कई परिवारों को सितारगंज में विस्थापित किया गया था, मगर अब धीरे धीरे पूरा गांव खतरे की जद में आ गया है. भूवैज्ञानिकों की टीम ने बीते दिनों दारमा घाटी का दौरा भी किया था.

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टीम के लीडर प्रदीप कुमार का कहना है कि दर गांव पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा हुआ है. वहीं, सोबला-ढाकर रोड की कटिंग होने से यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा है. गांव के नीचे भूमिगत जलस्त्रोत है. जिनसे लगातार पानी रिसता है. जिसका नतीजा है कि पूरा गांव धीरे-धीरे खिसक रहा है. टीम लीडर प्रदीप कुमार ने बताया कि गांव के 35 परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है.

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वहीं, आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर ने बताया कि 1974 में गांव के प्रभावित परिवारों का सितारगंज में विस्थापन किया गया था, मगर अधिकांश प्रभावित परिवार गांव में ही लौट आये. उन्होंने आस-पास सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है.

बता दें इस साल अक्टूबर माह में हुई भारी बारिश के दौरान भी दर गांव में भारी लैंडस्लाइड हुआ था. जिसके बाद कई मकान खतरे की जद में आ गए थे, मगर अब बिना बारिश के भी गांव में लगातार भू-धसाव हो रहा है. जिससे ग्रामीणों की परेशानियां दिनों-दिन बढ़ रही हैं.

Last Updated : Nov 28, 2021, 3:43 PM IST
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