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पिथौरागढ़: दो दिन से भूख हड़ताल पर बैठे लोग, साहिल को है अब सरकार की मदद का इंतजार - बिजली विभाग

साहिल को बिजली के खंबे से करंट लगने से दोनों हाथ गंवाने पड़े. साहिल की दादी 2 दिनों से कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठी. प्रशासन ने पीड़ित परिवार को इलाज के लिए राहत कोष से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है.

मासूम साहिल को है सरकार की मदद का इंतजार.
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Published : Jul 25, 2019, 12:13 AM IST

पिथौरागढ़: विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते जिले के ख्वातड़ी निवासी 12 साल के साहिल को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. साहिल की दादी अपने पोते को इंसाफ दिलाने के लिए 2 दिनों से कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठी हुई थी. मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने पीड़ित परिवार को बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया. इसके बाद साहिल की दादी कलावती देवी ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली है.

मासूम साहिल को है सरकार की मदद का इंतजार.
कनालीछीना क्षेत्र के ख्वातड़ी गांव में करंट से झुलसने की वजह से 12 वर्षीय साहिल ने अपने दोनों हाथ खो दिए. ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा बिजली के खम्बों में सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए. इस वजह से साहिल शारीरिक तौर पर विकलांग जिंदगी जीने को मजबूर है.

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साहिल का इलाज चल रहा है. साहिल के पिता पेश से एक मजदूर हैं. वह अपने बेटे का इलाज कराने में असमर्थ हैं. ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता से उठाया गया था. इसके बाद कई लोग पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आए.

पिथौरागढ़: विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते जिले के ख्वातड़ी निवासी 12 साल के साहिल को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. साहिल की दादी अपने पोते को इंसाफ दिलाने के लिए 2 दिनों से कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठी हुई थी. मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने पीड़ित परिवार को बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया. इसके बाद साहिल की दादी कलावती देवी ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली है.

मासूम साहिल को है सरकार की मदद का इंतजार.
कनालीछीना क्षेत्र के ख्वातड़ी गांव में करंट से झुलसने की वजह से 12 वर्षीय साहिल ने अपने दोनों हाथ खो दिए. ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा बिजली के खम्बों में सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए. इस वजह से साहिल शारीरिक तौर पर विकलांग जिंदगी जीने को मजबूर है.

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साहिल का इलाज चल रहा है. साहिल के पिता पेश से एक मजदूर हैं. वह अपने बेटे का इलाज कराने में असमर्थ हैं. ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता से उठाया गया था. इसके बाद कई लोग पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आए.

Intro:पिथौरागढ़: विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते ख्वातड़ी के साहिल को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे। साहिल की दादी अपने पोते को इंसाफ दिलाने के लिए पिछले 2 दिनों से कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठी हुई थी। मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने पीड़ित परिवार को बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद साहिल की दादी कलावती देवी ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली है।

कनालीछीना क्षेत्र के ख्वातड़ी गाँव में करंट से झुलसने की वजह से 12 वर्षीय साहिल कुमार को अपने दोनों हाथ खोने पड़े थे। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा बिजली के खम्बों में सुरक्षात्मक कार्य नही किया गया था। जिस वजह से हंसता-खेलता साहिल आज शारीरिक तौर पर विकलांग जिंदगी जीने को मजबूर है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साहिल का इलाज चल रहा है। साहिल के पिता एक मज़दूर है जो बेटे का इलाज करने में असमर्थ है। ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता से उठाया गया था जिसके बाद कई लोग पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आये। मगर सरकार साहिल की मदद के लिए कब आगे आएगी ये देखने वाली बात होगी।

Byte: विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़


Body:पिथौरागढ़: विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते ख्वातड़ी के साहिल को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे। साहिल की दादी अपने पोते को इंसाफ दिलाने के लिए पिछले 2 दिनों से कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठी हुई थी। मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने पीड़ित परिवार को बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद साहिल की दादी कलावती देवी ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली है।

कनालीछीना क्षेत्र के ख्वातड़ी गाँव में करंट से झुलसने की वजह से 12 वर्षीय साहिल कुमार को अपने दोनों हाथ खोने पड़े थे। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा बिजली के खम्बों में सुरक्षात्मक कार्य नही किया गया था। जिस वजह से हंसता-खेलता साहिल आज शारीरिक तौर पर विकलांग जिंदगी जीने को मजबूर है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साहिल का इलाज चल रहा है। साहिल के पिता एक मज़दूर है जो बेटे का इलाज करने में असमर्थ है। ईटीवी भारत द्वारा इस खबर को प्रमुखता से उठाया गया था जिसके बाद कई लोग पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आये। मगर सरकार साहिल की मदद के लिए कब आगे आएगी ये देखने वाली बात होगी।

Byte: विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़


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