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प्रीमैच्योर शिशु को बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने दिया नया 'जीवनदान', 56 दिन के इलाज के बाद बचाई जान - बेस अस्पताल

श्रीनगर बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने समय से पहले जन्मे बच्चे को नया जीवन दिया है. रुद्रप्रयाग से श्रीनगर अस्पताल रेफर बच्चे को कई बीमारियां थी. ऐसे में 57 दिनों तक डॉक्टरों की मेनहत के बाद बच्चे को स्वस्थ करके डिस्चार्ज किया गया है.

Srinagar Base Hospital
श्रीनगर बेस अस्पताल
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Published : Aug 19, 2023, 6:28 PM IST

Updated : Aug 19, 2023, 6:45 PM IST

प्रीमैच्योर शिशु को बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने दिया नया 'जीवनदान'.

श्रीनगरः पौड़ी गढ़वाल के राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में समय से पहले जन्मे एक नवजात को बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने नया जीवनदान दिया है. नवजात रूद्रप्रयाग जिले से रेफर होकर पहुंचा था, जिसे बेस चिकित्सालय के निक्कू (NICU) वार्ड में बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास कुमार राठौर की निगरानी में भर्ती कराया गया. शिशु साढ़े छह माह में ही जन्मा था, जिसका वजन मात्र 790 ग्राम ही था. नवजात के शरीर में तरह-तरह की कमियां पाई गई थी.

बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के एचओडी प्रो. व्यास कुमार राठौर ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ क्षेत्र की एक महिला ने रूद्रप्रयाग जिला अस्पताल में साढ़े छह माह के शिशु को जन्म दिया था. शिशु का वजन कम होने पर शिशु को 23 जून को बेस चिकित्सालय में लाया गया. डॉक्टरों के मुताबिक, शिशु का जन्म वैसे 37-40 सप्ताह के बीच होना चाहिए. लेकिन शिशु 27 सप्ताह में ही जन्म था. शिशु को जब निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया तो शिशु को सांस लेने में दिक्कत से लेकर खून की कमी समेत कई दिक्कतें थी. इसके बाद डॉक्टरों की टीम द्वारा लगभग 57 दिनों तक बच्चे की देखरेख और निगरानी की गई. इस बीच शिशु का डेढ़ किलो वजन बढ़ने के बाद शिशु को स्वस्थ्य रूप से 17 अगस्त को डिस्चार्ज किया गया. शिशु अब मां का दूध भी पी रहा है.

ऐसे करें बचाव: डॉक्टर व्यास कुमार राठौर ने ये भी बताया कि बच्चे में कमियां मां के पोषक तत्व न लेने, बीमार रहने, दवाओं के समय पर न लेने के कारण उतपन्न होती है. ऐसे में पोषक तत्वों का लेते रहना, समय पर इलाज करवाना और दवाओं का समय पर सेवन करने से ही ऐसे विकारों से बच्चों को बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ऐसे केस बहुत कम आते हैं. लेकिन ये केस अपने आप में जटिल था. काफी जटिलताओं के बाद बच्चे की जान बचाई जा सकी है.
ये भी पढ़ेंः महिला की सांस वाली नली में फंसा 5 सेमी लंबा जिंदा जोंक, डॉक्टरों ने ऐसे निकाला

स्वस्थ बच्चे के लिए मां का पौष्टिक आहार लेना जरूरी: वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास कुमार राठौर ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पोषण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. नियमित बेहतर पौष्टिक आहार एवं आयरन-कैल्शियम की गोलियां खानी चाहिए. खून की कमी होने, रक्तचाप बढ़ा होने या पुरानी बीमारी होने पर समय-समय पर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास आना चाहिए. अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जांचें होनी चाहिए. ताकि प्रसव के दौरान बच्चा स्वस्थ रहे. डॉ. राठौर ने बताया कि बेस चिकित्सालय के निक्कू वार्ड में अभी 25 शिशु भर्ती हैं. जिसमें 10 बच्चे समय से पहले जन्मे हैं.
ये भी पढ़ेंः डॉक्टरों ने महिला के पेट से निकाली 8 किलो की रसौली, पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंची थी अस्पताल

प्रीमैच्योर शिशु को बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने दिया नया 'जीवनदान'.

श्रीनगरः पौड़ी गढ़वाल के राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में समय से पहले जन्मे एक नवजात को बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने नया जीवनदान दिया है. नवजात रूद्रप्रयाग जिले से रेफर होकर पहुंचा था, जिसे बेस चिकित्सालय के निक्कू (NICU) वार्ड में बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास कुमार राठौर की निगरानी में भर्ती कराया गया. शिशु साढ़े छह माह में ही जन्मा था, जिसका वजन मात्र 790 ग्राम ही था. नवजात के शरीर में तरह-तरह की कमियां पाई गई थी.

बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के एचओडी प्रो. व्यास कुमार राठौर ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ क्षेत्र की एक महिला ने रूद्रप्रयाग जिला अस्पताल में साढ़े छह माह के शिशु को जन्म दिया था. शिशु का वजन कम होने पर शिशु को 23 जून को बेस चिकित्सालय में लाया गया. डॉक्टरों के मुताबिक, शिशु का जन्म वैसे 37-40 सप्ताह के बीच होना चाहिए. लेकिन शिशु 27 सप्ताह में ही जन्म था. शिशु को जब निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया तो शिशु को सांस लेने में दिक्कत से लेकर खून की कमी समेत कई दिक्कतें थी. इसके बाद डॉक्टरों की टीम द्वारा लगभग 57 दिनों तक बच्चे की देखरेख और निगरानी की गई. इस बीच शिशु का डेढ़ किलो वजन बढ़ने के बाद शिशु को स्वस्थ्य रूप से 17 अगस्त को डिस्चार्ज किया गया. शिशु अब मां का दूध भी पी रहा है.

ऐसे करें बचाव: डॉक्टर व्यास कुमार राठौर ने ये भी बताया कि बच्चे में कमियां मां के पोषक तत्व न लेने, बीमार रहने, दवाओं के समय पर न लेने के कारण उतपन्न होती है. ऐसे में पोषक तत्वों का लेते रहना, समय पर इलाज करवाना और दवाओं का समय पर सेवन करने से ही ऐसे विकारों से बच्चों को बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ऐसे केस बहुत कम आते हैं. लेकिन ये केस अपने आप में जटिल था. काफी जटिलताओं के बाद बच्चे की जान बचाई जा सकी है.
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स्वस्थ बच्चे के लिए मां का पौष्टिक आहार लेना जरूरी: वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास कुमार राठौर ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पोषण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. नियमित बेहतर पौष्टिक आहार एवं आयरन-कैल्शियम की गोलियां खानी चाहिए. खून की कमी होने, रक्तचाप बढ़ा होने या पुरानी बीमारी होने पर समय-समय पर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास आना चाहिए. अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जांचें होनी चाहिए. ताकि प्रसव के दौरान बच्चा स्वस्थ रहे. डॉ. राठौर ने बताया कि बेस चिकित्सालय के निक्कू वार्ड में अभी 25 शिशु भर्ती हैं. जिसमें 10 बच्चे समय से पहले जन्मे हैं.
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Last Updated : Aug 19, 2023, 6:45 PM IST
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