श्रीनगर: सुप्रीम कोर्ट का डंडा चलने पर आखिरकार एचएनबी गढ़वाल विवि प्रशासन (Garhwal University) को झुकना पड़ा है. विवि ने फार्मास्यूटिकल साइंस विभाग के छह शिक्षकों को जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) की सुविधा दे दी है. सितंबर 2021 से उक्त शिक्षकों के वेतन से प्रतिमाह जीपीएफ कटौती होगी.
गढ़वाल विवि के फार्मास्यूटिकल साइंस विभाग (Department of Pharmaceutical Science) में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत आयोजित चयन प्रक्रिया के माध्यम से साल 2004 में 6 और साल 2007 में 2 शिक्षकों को नियुक्ति दी थी लेकिन विवि ने उनको स्थायी शिक्षक के बजाय कॉन्ट्रेक्ट नियुक्ति पत्र दिए. जिसके चलते उनको सरकारी कर्मचारियों की भांति सेवालाभ नहीं मिल रहा था.
ऐसे में संबंधित शिक्षकों ने साल 2011 में नैनीताल हाईकोर्ट में अपील दायर की. वहीं, साल 2013 में हाईकोर्ट ने विवि के पक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले के खिलाफ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट चले गए. 3 सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाते हुए उन्हें समस्त सेवालाभ देने के आदेश दिए.
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वहीं, इन आदेशों का पूर्णत: पालन न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल और कुलसचिव डॉ. अजय खंडूड़ी को अवमानना नोटिस जारी किया. इस प्रकरण में खास बात यह थी कि विवि ने शिक्षकों के वेतन संबंधी प्रकरणों का निस्तारण तो कर दिया, लेकिन साल 2004 में नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया. जिसके चलते उनके वेतन से जीपीएफ में कटौती नहीं हो रही थी. ऐसे में शिक्षकों ने यह मसला भी कोर्ट में रखा.
11 अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए निश्चित समयावधि में पूर्व में जारी आदेश का पालन करने के निर्देश दिए. वहीं, कोर्ट के आदेश के बाद हरकत में आए विवि ने इस मसले पर 13 अप्रैल को कार्य परिषद की आकस्मिक बैठक बुलाई. इसमें 3 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेश के अनुपालन में सितंबर 2021 से संबंधित शिक्षकों के वेतन से जीपीएफ कटौती का निर्णय लिया. यानि साल 2004 में नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. लिहाजा, 20 अप्रैल को विवि के कुलसचिव डॉ. अजय खंडूड़ी ने सितंबर 2021 से शिक्षकों के वेतन से जीपीएफ कटौती का आदेश जारी कर दिये हैं.