कोटद्वारः 13 अगस्त को हुए शेखर हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. अवैध वसूली के चक्कर में शेखर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शेखर केबल ऑपरेटर का काम करता था. हत्याकांड में शातिर भारत वीर पुत्र कर्णपाल और मोनू मलिक दोनों निवासी नारसन कला बड़ी थाना मंगलौर जिला हरिद्वार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से एक पिस्टल 32 बोर, एक तमंचा 315 बोर, 6 जिंदा कारतूस और घटना में उपयोग में लाई गई मोटरसाइकिल uk08p 8754 बरामद की गई है.
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पौड़ी जिले के कोटद्वार में गत 13 अगस्त को दिनदहाड़े हुई देहरादून के युवक शेखर चंद्र ढौंडियाल की हत्या का खुलासा कोतवाली पुलिस ने करने का दावा किया है. पुलिस के अनुसार शेखर की हत्या का कारण अवैध वसूली मान रही है. लेकिन वसूली किससे की जानी थी, ये पुलिस नहीं बता पा रही है. जबकि लोगों का कहना है कि यह एक सुनियोजित हत्याकांड है. जेल में बैठे अपराधी फोन से निर्देश देकर कोटद्वार में लगातार हत्याओं का प्लान बना रहे हैं, लेकिन पुलिस इसपर रोक लगाने में नाकामयाब रही है. हर बार पुलिस हत्या होने के बाद उसमें लीपापोती कर जांच पूरी कर देती है.
सूत्रों की मानें तो पूर्व हिस्ट्रीशीटर योगेंबर उर्फ डब्बू को मारने का साजिश थी, लेकिन बदमाशों ने शेखर को गोली मार दी. बताया जा रहा है कि जेल में बंद सुरेंद्र उर्फ सूरी ने योगेंद्र की हत्या की सुपारी दी थी. अपराधी रुपेश त्यागी ने हत्या के लिए शूटर भेजे थे.
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हत्यारों के तार 13 सितंबर 2017 को हुई एडवोकेट सुशील रघुवंशी हत्याकांड से भी जुड़े हैं. पुलिस की मानें तो हत्यारे वारदात को अंजाम देने के लिए 3 दिन से रेकी कर रहे थे. पुलिस का कहना है कि बदमाशों ने डराने के लिए गोली चलाई गई थी, जो कि शेखर को लग गई और उसकी मौत हो गई.
जब रंगदारी का मामला केवल मालिकों से था तो शेखर पर गोली क्यों चलाई गयी, यह एक बड़ा सवाल है. पुलिस की कहानी में बहुत सारे झोल नजर आ रहे हैं. वहीं मृतक के भाई का कहना है कि अगर हत्यारे उसके भाई को मारने के लिए नहीं आए थे तो फिर उन्होंने उस पर गोली क्यों चलाई ? वह अगर 3 दिन से रेकी कर रहे थे तो उन्होंने और किसी पर गोली क्यों नहीं चलाई? यह एक बड़ा सवाल है. मृतक के भाई ने कहा कि पुलिस की ऐसी कार्यप्रणाली में कोई भी सुरक्षित नहीं है.