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नियमों की धज्जियां उड़ाकर खोह नदी में खुदाई, लापरवाह अधिकारी बाढ़ को दे रहे दावत

कोटद्वार के खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मानकों के आधार पर चैनेलाइज का काम किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों ने प्रशासन और ठेकेदारों पर नियम कानूनों को दरकिनार कर नदियों में गड्ढे बनाने का आरोप लगाया है. मामले पर वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि तकनीकी दृष्टिकोण से चैनेलाइज नहीं किया जा रहा है तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा. इसकी जांच की जाएगी.

खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के तहत चैनेलाइज का कार्य जारी.
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Published : Jun 17, 2019, 5:32 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 6:51 PM IST

कोटद्वार: उत्तराखंड शासन की अनुमति के बाद जिला प्रशासन द्वारा खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मानकों के अनुसार चैनेलाइज कार्य किया जा रहा है. जिसका कार्य जिला प्रशासन ने ओपन बोली के माध्यम किया था, लेकिन जिला प्रशासन के ठेकेदारों के द्वारा रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के नियम कानूनों को ताक में रखकर पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से खोह नदी को खोदा जा रहा है. जिससे इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ता दिखाई दे रहा है.

खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के तहत चैनेलाइज का कार्य जारी.


गौर हो कि खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मुताबिक प्रशासन ने शर्तें जारी की थीं. शर्तों के अनुसार रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत नहर निर्माण का कार्य सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले होना चाहिए था. साथ ही नदी के दोनों ओर एक चौथाई हिस्सा छोड़ कर नदी तल से डेढ़ मीटर गहरा खोदे जाने का प्रावधान था. लेकिन प्रशासन के ठेकेदारों ने रिवर ट्रेनिंग नीति के सारे नियम कानूनों को दरकिनार कर नदियों में गड्ढे बनाने शुरू कर दिए.

ये भी पढ़ेंः 24 जून से उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र, त्रिवेंद्र कैबिनेट का भी जल्द होगा विस्तार


आलम यह है कि खोह नदी में पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से तकरीबन 10 मीटर गहरे गड्ढे बना दिए गए हैं. नदी की खुदाई में निकलने वाले आरबीएम को ढो रहे डंपर ओवरलोड होकर दिन-रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं. जो राहगीरों के लिए भी मुसीबत का सबब बन रहे हैं. आए दिन इन डंपर और ट्रकों से शहर में जाम की स्थिति बनी रहती है लेकिन संबंधित विभागों ने इस पर चुप्पी साध रखी है. कोटद्वार शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर यात्री वाहनों का भारी दबाव को कम करने के लिए रूट को डायवर्ट किया है. अब ये वाहन कोटद्वार होते हुए चारधाम यात्रा जाएंगे.


इस पर वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देशित कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग और वन विभाग की नदियों को चैनलाइज करना बहुत जरूरी है. अगर उनको तकनीकी दृष्टिकोण से चैनेलाइज नहीं किया जाएगा तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि खोह नदी में जो कार्य चल रहा है वो तकनीकी दृष्टिकोण से किया जा रहा है.


पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी अपूर्णा ढौंडियाल ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत उन्होंने कुछ रिवर चैनेलाइज के पट्टे आवंटन किए हैं. उनमें रिवर ट्रेनिंग ही चल रहा है, उनको साफ तौर निर्देश मिले हैं कि दोनों किनारों को छोड़कर खनन किया जाए. उन्होंने कहा कि वहां खनन नहीं हो रहा है, रिवर चैनेलाइज का कार्य किया जा रहा है.

कोटद्वार: उत्तराखंड शासन की अनुमति के बाद जिला प्रशासन द्वारा खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मानकों के अनुसार चैनेलाइज कार्य किया जा रहा है. जिसका कार्य जिला प्रशासन ने ओपन बोली के माध्यम किया था, लेकिन जिला प्रशासन के ठेकेदारों के द्वारा रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के नियम कानूनों को ताक में रखकर पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से खोह नदी को खोदा जा रहा है. जिससे इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ता दिखाई दे रहा है.

खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के तहत चैनेलाइज का कार्य जारी.


गौर हो कि खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मुताबिक प्रशासन ने शर्तें जारी की थीं. शर्तों के अनुसार रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत नहर निर्माण का कार्य सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले होना चाहिए था. साथ ही नदी के दोनों ओर एक चौथाई हिस्सा छोड़ कर नदी तल से डेढ़ मीटर गहरा खोदे जाने का प्रावधान था. लेकिन प्रशासन के ठेकेदारों ने रिवर ट्रेनिंग नीति के सारे नियम कानूनों को दरकिनार कर नदियों में गड्ढे बनाने शुरू कर दिए.

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आलम यह है कि खोह नदी में पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से तकरीबन 10 मीटर गहरे गड्ढे बना दिए गए हैं. नदी की खुदाई में निकलने वाले आरबीएम को ढो रहे डंपर ओवरलोड होकर दिन-रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं. जो राहगीरों के लिए भी मुसीबत का सबब बन रहे हैं. आए दिन इन डंपर और ट्रकों से शहर में जाम की स्थिति बनी रहती है लेकिन संबंधित विभागों ने इस पर चुप्पी साध रखी है. कोटद्वार शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर यात्री वाहनों का भारी दबाव को कम करने के लिए रूट को डायवर्ट किया है. अब ये वाहन कोटद्वार होते हुए चारधाम यात्रा जाएंगे.


इस पर वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देशित कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग और वन विभाग की नदियों को चैनलाइज करना बहुत जरूरी है. अगर उनको तकनीकी दृष्टिकोण से चैनेलाइज नहीं किया जाएगा तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि खोह नदी में जो कार्य चल रहा है वो तकनीकी दृष्टिकोण से किया जा रहा है.


पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी अपूर्णा ढौंडियाल ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत उन्होंने कुछ रिवर चैनेलाइज के पट्टे आवंटन किए हैं. उनमें रिवर ट्रेनिंग ही चल रहा है, उनको साफ तौर निर्देश मिले हैं कि दोनों किनारों को छोड़कर खनन किया जाए. उन्होंने कहा कि वहां खनन नहीं हो रहा है, रिवर चैनेलाइज का कार्य किया जा रहा है.

Intro:sumary रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के नियम कानूनों की जमकर उड़ाई जा रही है धज्जिया, खनन माफिया दर्जनों आधुनिक मशीनों से दिन रात खोद रहे नदियां, स्थानीय प्रशासन सो रहा चैन की नींद,खनन से भरे ओवरलोड डंपर नगर वासियों के लिए बने मुसीबत।

intro- उत्तराखंड शासन की अनुमति के बाद जिला प्रशासन द्वारा कोटद्वार शहर से सटी खोह नदी में बाढ़ के खतरे से बचने के लिए रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मानकों के अनुसार रिवर चैनेलाइज का कार्य किया जा रहा है जिसका कार्य ज़िला प्रशासन ने ओपन बोलि के माध्यम किया था, लेकिन जिला प्रशासन के ठेकेदारों के द्वारा रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के नियम कानूनों को ताक में रखकर और पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से खोह नदी को खोदा जा रहा है जिससे कि आने वाली बरसात में बाढ़ का खतरा कम तो होता हुआ नजर नहीं आ रहा है लेकिन आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ता दिखाई दे रहा है लेकिन स्थानीय प्रशासन चैन की नींद सो रहा है।


Body:वीओ1- ज्ञात हो की खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के मुताबिक प्रशासन ने शर्तें जारी की थी शर्तों के अनुसार रिवर ट्रेनिंग नीति के अनुसार नदी का नहरीकरण का कार्य सूर्यदय के बाद और सूर्यास्त से पहले होना चाहिए था और नदी के दोनों ओर एक चौथाई हिसा छोड़ कर नदी तल से डेढ़ मीटर गहरा तक खोदे जाने का प्रावधान था, लेकिन प्रशासन के ठेकेदारों ने रिवर ट्रेनिंग नीति के सारे नियम कानूनों को दरकिनार कर नदियों में गड्ढे बनाने शुरू कर दिए आलम यह है कि खोह नदी में पोकलैंड जेसीबी मशीन से रिवर ट्रेनिंग नीति का कार्य चल रहा है पोकलैंड और जेसीबी मशीन से नदी में करीबन 10 मीटर गहरे गड्ढे बना दिए गए हैं खोह नदी में रिवर ट्रेनिंग का कार्य दिन रात चल रहा है लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान देने की बजाय चैन की नींद सो रहा है डंपर में 15 टन का रवाना काटकर 40 से 50 टन आरबीएम नदी से निकाला जा रहा है रिवर ट्रेनिंग के अनुसार किए जा रहे कार्य से निकलने वाले आरबीएम को ढो रहे डंपर ओवरलोड होकर दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं जो राहगीरों के लिए भी मुसीबत का सबब बन रहे हैं आए दिन इन भारी-भरकम डंपर और ट्रकों से शहर में जाम की स्थिति बनती जा रही है लेकिन परिवहन विभाग, पुलिस विभाग और राजस्व विभाग वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है जिससे कि कोटद्वार शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है जबकि हरिद्वार ऋषिकेश मार्ग पर यात्रा वाहनों का भारी दबाव बढ़ने के कारण कोटद्वार की ओर से यात्रा मार्ग पर जाने वाले वाहनों को डायवर्ट किया गया है इन भारी-भरकम डंपर के शहर की व्यस्ततम सड़कों पर दौड़ने की कारण हर समय दुर्घटना का भय बना रहता है।




Conclusion:वीओ2- वहीं वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कहा कि मैंने जिलाधिकारी को कहा कि जो राजस्व विभाग की नदियां है वन विभाग की नदियां उनको चैनलाइज करना बहुत जरूरी है अगर हमको उनको तकनीकी दृष्टिकोण से चैनेलाइज कर उनको बीच में गहरा कर दोनों तरफ ऊंचा कर जिससे कि पानी बीचोबीच से निकल जाए और आसपास की बस्तियों को भी खतरा ना हो, सरकार को भी राजस्व मिले दोनों ही मकसद सरकार के है, मैं सोचता हूं कि अगर कहीं पर कोई गलती हो रही हो तो स्थानीय प्रशासन को निर्देशित करूंगा कि वह यह जरूर देखें कि खनन विभाग भी देखें राजस्व विभाग भी देखें कि जो चैनेलाइज किया जा रहा है वह प्रॉपर तकनीकी दृष्टिकोण से किया जा रहा है या नहीं किया जा रहा है सरकार का केवल रेवेन्यू जेनरेट करना मकसद नहीं है,
बाइट हरक सिंह रावत वन मंत्री

वीओ3- वहीं पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी अपूर्णा ढ़ोंडियाल ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत हमने कुछ रिवर चैनेलाइज के पट्टे आवंटन किए गए हैं उनमें रिवर ट्रेनिंग ही चल रहा है, उनको क्लियर ही निर्देश है कि दोनों किनारों को छोड़कर खनन किया जाए वह खनन नहीं हो रहा है वह रिवर चैनेलाइज का कार्य किया जा रहा है।

बाइट अपूर्णा ढ़ोंडियाल उपजिलाधिकारी
Last Updated : Jun 17, 2019, 6:51 PM IST
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