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कमलेश्वर महादेव मंदिर में कल होगा धृतकमल अनुष्ठान, भगवान शिव को चढ़ाए जाएंगे 56 भोग

श्रीनगर में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर में कल घृतकमल अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा. घृतकमल अनुष्ठान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. मंदिर में उमड़ने वाली भीड़ को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद हो गया है.

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Published : Feb 6, 2022, 4:46 PM IST

Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर

श्रीनगर: पौड़ी जनपद के श्रीनगर में प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर (Kamleshwar Mahadev Temple) में कल धृतकमल अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है. धृतकमल अनुष्ठान में मंदिर के महंत आशुतोष पुरी दिगम्बर वेश धारण कर मंदिर की लेटकर परिक्रमा करेंगे. साथ ही शिवलिंग पर एक क्विंटल घी का लेप लगाकर भगवान भोलेनाथ को 56 प्रकार के भोग चढ़ाए जाएंगे. अनुष्ठान के समाप्त होने के बाद शिवलिंग में लगाए गए घी को श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाएगा.

कमलेश्वर महादेव मंदिर में कल होगा धृतकमल अनुष्ठान.

धृतकमल अनुष्ठान का महत्व: कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृतकमल पूजा एक पौराणिक अनुष्ठान है. मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि केदारखंड में वर्णित हैं कि इस पूजा को सबसे पहले देवताओं द्वारा किया गया, जिसका कारण था कि भगवान शिव हिमालय पुत्री से विवाह करें और उनमें कामसक्त भावना जागृत हो. दरअसल, तारकासुर नाम के असुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि वो शिव के पुत्र के हाथों ही मारा जाएगा, क्योंकि उसे पता था कि शिवजी दक्ष की पुत्री के सती होने पर दूसरा विवाह नहीं करेंगे और हुआ भी यही.

इसके बाद भगवान शिव ध्यान अवस्था में चले गये, जिससे तारकासुर ने समस्त संसार में अपना आधिपत्य जमा दिया. तब सभी देवताओं ने शक्ति का ध्यान किया तो माता ने हिमालय पुत्री नंदा के रूप में दूसरा जन्म लेने की बात कही. लेकिन भगवान ध्यान मुद्रा में थे. ऐसे में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा को भंग करने के लिए सभी देवताओं कामदेव के शरण में गए.

पढ़ें- काशी विश्वनाथ मंदिर में जेपी नड्डा ने टेका मत्था, राहुल गांधी के हिंदू कार्ड पर बोला हमला

कामदेव ने जब भगवान शिव का ध्यान भंग किया क्रोध में भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया, जब ये बात कामदेव की पत्नी देवी रति पता चली तो देवी रति रोने लगीं और भगवान शिव के शरण में गईं. तब भगवान शिव ने देवी रति को वरदान दिया कि कामदेव का दूसरा जन्म भगवान श्रीकृष्ण के बेटे अनुरुद्ध के रूप में होगा और अनुरुद्ध से आपका विवाह होगा. इस पर प्रकार कामदेव देवी रति को एक बार फिर मिल जाते हैं.

उसके बाद सभी देवताओं ने भगवान शिव को जगाने का प्रयोजन बताया कि तारकासुर नाम के राक्षस ने पूरे संसार को परेशान कर रखा है और उसको वरदान प्राप्त है कि वह भगावन शिव के पुत्र के हाथों से ही मरेगा. उसके बाद सभी देवी देवता भगवान शिव को सन्न करने के लिए कामलेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. उनको 56 भोग चढ़ाये जाते है, जिसे धृतकमल पूजा के नाम से जाना जाता है. तब से इस पूजा को इस मंदिर के महंत आगे बढ़ा रहे हैं. ये पूजा कल देर शाम को प्रारम्भ होगी और देर रात्रि तक चलेगी.

श्रीनगर: पौड़ी जनपद के श्रीनगर में प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर (Kamleshwar Mahadev Temple) में कल धृतकमल अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है. धृतकमल अनुष्ठान में मंदिर के महंत आशुतोष पुरी दिगम्बर वेश धारण कर मंदिर की लेटकर परिक्रमा करेंगे. साथ ही शिवलिंग पर एक क्विंटल घी का लेप लगाकर भगवान भोलेनाथ को 56 प्रकार के भोग चढ़ाए जाएंगे. अनुष्ठान के समाप्त होने के बाद शिवलिंग में लगाए गए घी को श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाएगा.

कमलेश्वर महादेव मंदिर में कल होगा धृतकमल अनुष्ठान.

धृतकमल अनुष्ठान का महत्व: कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृतकमल पूजा एक पौराणिक अनुष्ठान है. मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि केदारखंड में वर्णित हैं कि इस पूजा को सबसे पहले देवताओं द्वारा किया गया, जिसका कारण था कि भगवान शिव हिमालय पुत्री से विवाह करें और उनमें कामसक्त भावना जागृत हो. दरअसल, तारकासुर नाम के असुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि वो शिव के पुत्र के हाथों ही मारा जाएगा, क्योंकि उसे पता था कि शिवजी दक्ष की पुत्री के सती होने पर दूसरा विवाह नहीं करेंगे और हुआ भी यही.

इसके बाद भगवान शिव ध्यान अवस्था में चले गये, जिससे तारकासुर ने समस्त संसार में अपना आधिपत्य जमा दिया. तब सभी देवताओं ने शक्ति का ध्यान किया तो माता ने हिमालय पुत्री नंदा के रूप में दूसरा जन्म लेने की बात कही. लेकिन भगवान ध्यान मुद्रा में थे. ऐसे में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा को भंग करने के लिए सभी देवताओं कामदेव के शरण में गए.

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कामदेव ने जब भगवान शिव का ध्यान भंग किया क्रोध में भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया, जब ये बात कामदेव की पत्नी देवी रति पता चली तो देवी रति रोने लगीं और भगवान शिव के शरण में गईं. तब भगवान शिव ने देवी रति को वरदान दिया कि कामदेव का दूसरा जन्म भगवान श्रीकृष्ण के बेटे अनुरुद्ध के रूप में होगा और अनुरुद्ध से आपका विवाह होगा. इस पर प्रकार कामदेव देवी रति को एक बार फिर मिल जाते हैं.

उसके बाद सभी देवताओं ने भगवान शिव को जगाने का प्रयोजन बताया कि तारकासुर नाम के राक्षस ने पूरे संसार को परेशान कर रखा है और उसको वरदान प्राप्त है कि वह भगावन शिव के पुत्र के हाथों से ही मरेगा. उसके बाद सभी देवी देवता भगवान शिव को सन्न करने के लिए कामलेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. उनको 56 भोग चढ़ाये जाते है, जिसे धृतकमल पूजा के नाम से जाना जाता है. तब से इस पूजा को इस मंदिर के महंत आगे बढ़ा रहे हैं. ये पूजा कल देर शाम को प्रारम्भ होगी और देर रात्रि तक चलेगी.

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