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गुलदार से भाई को बचाने वाली 'तीलू रौतेली' लौटी अपने घर, अब देश के लिए करना चाहती है ये काम

कोटद्वार के बीरोंखाल क्षेत्र में गुलदार से टक्कर लेने वाली 11 साल की राखी इलाज के बाद घर लौट आई है. गुलदार से अपने भाई की जान बचाने वाली राखी का दिल्ली में इलाज चल रहा था.

इलाज के बाद घर लौटी गुलदार से मुकाबला करने वाली राखी.
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Published : Nov 14, 2019, 12:34 PM IST

कोटद्वार: जिले के बीरोंखाल क्षेत्र में 11 साल की राखी ने बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की है कि देश का हर भाई राखी जैसी बहन होने की कामना करे. 11 वर्षीय राखी की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने भाई की जान बचाने के लिए राखी गुलदार से भीड़ गई. 4 अक्टूबर को गुलदार के हमले में घायल हुई राखी इलाज के बाद घर लौट आई है.

rakhi of kotdwar
स्थानीय लोगें ने किया राखी का स्वागत.

बीरोंखाल क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार का नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं, वहीं 11 वर्षीय राखी ने अपनी जान पर खेलकर 4 वर्षीय भाई की जान बचाई. अपने भाई राघव पर गुलदार का हमला होता देख राखी ने डटकर सामना किया. इस घटना में राखी अपने भाई को बचाने में कामयाब तो रही, लेकिन गुलदार के हमले में खुद बुरी तरह घायल हो गई.

इलाज के बाद घर लौटी गुलदार से मुकाबला करने वाली राखी.

इस घटना के बाद से ही राखी को उपचार के लिए दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बीते एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में इलाज कराने के बाद राखी अब घर लौट आई है.

राखी का सपना है कि वह अच्छे स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर सके, जिससे की वह देश की सेवा कर सके. राखी रावत गांव के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय सरकंडा में कक्षा 5 की छात्र हैं और साल अपनी कक्षा में प्रथम आती है.


तीलू रौतेली बनकर अपने भाई की जान बचाने वाली राखी सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती है. राखी के दादाजी जगत सिंह रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं. उनसे प्रेरणा लेकर व पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में अफसर बनकर राखी देश को अपनी बहादुरी का जज्बा दिखाना चाहती है.

समाजसेवी जितेंद्र डोबरियाल का कहना है कि जिस तरह से राखी ने अपने छोटे भाई को बचाया है, इससे लगता है कि तीलू रौतेली की रणभूमि में तीलू रौतेली जैसी विरांगना अभी भी धरती पर हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह तीलू रौतेली बाल्यकाल में ही अपने क्षेत्र को बचाने के लिए रणभूमि में कूद पड़ी थी, उसी तरह राखी ने अपने भाई की जान बचाई है.

कोटद्वार: जिले के बीरोंखाल क्षेत्र में 11 साल की राखी ने बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की है कि देश का हर भाई राखी जैसी बहन होने की कामना करे. 11 वर्षीय राखी की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने भाई की जान बचाने के लिए राखी गुलदार से भीड़ गई. 4 अक्टूबर को गुलदार के हमले में घायल हुई राखी इलाज के बाद घर लौट आई है.

rakhi of kotdwar
स्थानीय लोगें ने किया राखी का स्वागत.

बीरोंखाल क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार का नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं, वहीं 11 वर्षीय राखी ने अपनी जान पर खेलकर 4 वर्षीय भाई की जान बचाई. अपने भाई राघव पर गुलदार का हमला होता देख राखी ने डटकर सामना किया. इस घटना में राखी अपने भाई को बचाने में कामयाब तो रही, लेकिन गुलदार के हमले में खुद बुरी तरह घायल हो गई.

इलाज के बाद घर लौटी गुलदार से मुकाबला करने वाली राखी.

इस घटना के बाद से ही राखी को उपचार के लिए दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बीते एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में इलाज कराने के बाद राखी अब घर लौट आई है.

राखी का सपना है कि वह अच्छे स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर सके, जिससे की वह देश की सेवा कर सके. राखी रावत गांव के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय सरकंडा में कक्षा 5 की छात्र हैं और साल अपनी कक्षा में प्रथम आती है.


तीलू रौतेली बनकर अपने भाई की जान बचाने वाली राखी सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती है. राखी के दादाजी जगत सिंह रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं. उनसे प्रेरणा लेकर व पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में अफसर बनकर राखी देश को अपनी बहादुरी का जज्बा दिखाना चाहती है.

समाजसेवी जितेंद्र डोबरियाल का कहना है कि जिस तरह से राखी ने अपने छोटे भाई को बचाया है, इससे लगता है कि तीलू रौतेली की रणभूमि में तीलू रौतेली जैसी विरांगना अभी भी धरती पर हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह तीलू रौतेली बाल्यकाल में ही अपने क्षेत्र को बचाने के लिए रणभूमि में कूद पड़ी थी, उसी तरह राखी ने अपने भाई की जान बचाई है.

Intro:summary 11वर्षीय राखी बनी अपने भाई के लिए तीलू रौतेली, 4 साल के भाई राघव को बचाया गुलदार से, अपने आप हो गई थी बुरी तरह घायल , जिसके बाद रखी को उपचार के लिए दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था अब राखी स्वस्थ होकर दिल्ली के अच्छे स्कूल में शिक्षा लेने के बाद सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करने की इच्छा जाहिर कर रही है।

intro kotdwar, तीलू रौतेली की रणभूमि विकासखंड बीरोंखाल क्षेत्र में 11 साल की रखी ने तीलू रौतेली बनकर पहाड़ में आतंक का पर्याप्त बने गुलदार से अपने कंधे पर ले जा रहे 4 साल के मासूम भाई राघव को बचाने में कामयाब हुई, लेकिन अपने आप बुरी तरह घायल हो गयी थी और गुलदार को भागने पर मजबूर कर दिया था, बीरोंखाल ब्लॉक के देवकुंड़ई गांव निवासी दलबीर सिंह रावत और शालनी देवी की बहादुर बेटी गत 4 अक्टूबर को अपनी मां के साथ खेत से लौट रही थी तभी रास्ते में घात लगाए बैठे गुलदार ने उसके 4 साल के छोटे भाई राघव पर हमला कर दिया था राखी अपनी जान की परवाह न करते हुए भाई को अपने सीने से चिपका कर उसके ऊपर लेट गई इस दौरान गुलदार के हमले में राखी बुरी तरह से जख्मी होने के बाद उसने अपने भाई को नहीं छोड़ा दिल्ली में इलाज कराने के बाद अब राखी एक अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करने की इच्छा जाहिर कर रही है।




Body:वीओ1- राखी रावत गांव के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय सरकंडा में कक्षा 5 की छात्र हैं वह हर वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम आती है, कक्षा 5 के बाद वह दिल्ली में एक अच्छे स्कूल में आगे की शिक्षा लेना चाहती है राखी के दादाजी जगत सिंह रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं उनसे प्रेरणा लेकर व पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में अफसर बनकर देश को अपनी बहादुरी का जज्बा दिखाना चाहती है।

वीओ2 - समाजसेवी जितेंद्र डोबरियाल ने कहा कि वाकई मैं जिस तरह से इस मासूम बालिका ने अपने छोटे भाई को बचाने की कोशिश की और वह इस मैं सफल भी रह, इससे लगता है कि तीलू रौतेली की रणभूमि में तीलू रौतेली जैसी विरांगना अभी भी धरती पर बहुत है, उसी का एक उदाहरण बीरोंखाल क्षेत्र में देखने को मिला, जिस तरह से तीलू रौतेली बाल्यकाल में ही अपने क्षेत्र को बचाने के लिए रणभूमि में कूद पड़ी थी, ठीक उसी तरह 11 साल की मासूम बच्ची राखी अपने छोटे 4 साल के भाई को गुलदार से बचाने के लिए संघर्ष किया , और अपने भाई को सुरक्षित बचा लिया भले ही वह बुरी तरह घायल हो गई, जबकि गुलदार को देखकर बड़े बुजुर्ग पूरी दहशत में रहते हैं, लेकिन इस बालिका ने अपने छोटे 4 साल के मासूम भाई को गुलदार के मुंह से छीना और उसे बचा लिया।
बाइट जितेन्द्र डोबरियाल समाजसेवी।






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