कोटद्वार: जिले के बीरोंखाल क्षेत्र में 11 साल की राखी ने बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की है कि देश का हर भाई राखी जैसी बहन होने की कामना करे. 11 वर्षीय राखी की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने भाई की जान बचाने के लिए राखी गुलदार से भीड़ गई. 4 अक्टूबर को गुलदार के हमले में घायल हुई राखी इलाज के बाद घर लौट आई है.
बीरोंखाल क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार का नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं, वहीं 11 वर्षीय राखी ने अपनी जान पर खेलकर 4 वर्षीय भाई की जान बचाई. अपने भाई राघव पर गुलदार का हमला होता देख राखी ने डटकर सामना किया. इस घटना में राखी अपने भाई को बचाने में कामयाब तो रही, लेकिन गुलदार के हमले में खुद बुरी तरह घायल हो गई.
इस घटना के बाद से ही राखी को उपचार के लिए दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बीते एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में इलाज कराने के बाद राखी अब घर लौट आई है.
राखी का सपना है कि वह अच्छे स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर सके, जिससे की वह देश की सेवा कर सके. राखी रावत गांव के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय सरकंडा में कक्षा 5 की छात्र हैं और साल अपनी कक्षा में प्रथम आती है.
तीलू रौतेली बनकर अपने भाई की जान बचाने वाली राखी सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती है. राखी के दादाजी जगत सिंह रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं. उनसे प्रेरणा लेकर व पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में अफसर बनकर राखी देश को अपनी बहादुरी का जज्बा दिखाना चाहती है.
समाजसेवी जितेंद्र डोबरियाल का कहना है कि जिस तरह से राखी ने अपने छोटे भाई को बचाया है, इससे लगता है कि तीलू रौतेली की रणभूमि में तीलू रौतेली जैसी विरांगना अभी भी धरती पर हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह तीलू रौतेली बाल्यकाल में ही अपने क्षेत्र को बचाने के लिए रणभूमि में कूद पड़ी थी, उसी तरह राखी ने अपने भाई की जान बचाई है.