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19 साल बाद भी नहीं सुधरे पौड़ी के हालात, मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रहे लोग

उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत पौड़ी से ही की गई थी. उत्तराखंड को 4-4 मुख्यमंत्री देने वाला भी पौड़ी जिला आज भी बदहाली के आलम में चल रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पौड़ी के ही रहने वाले हैं.

19 साल बाद भी नहीं सुधरे पौड़ी के हालात.
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Published : Nov 9, 2019, 8:04 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने का उद्देश्य प्रदेश को पहाड़ी राज्य के रूप में विकसित करना था. लेकिन, 19 साल बाद भी प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ी जिलों को ही हुआ है. सत्ता पर काबिज सरकारों ने पहाड़ी जिलों की ओर ध्यान ही नहीं दिया. मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण लोगों ने तेजी से पलायन किया. आज हालात ये हो गए हैं कि गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन करने वाला जिला पौड़ी बन चुका है.

19 साल बाद भी नहीं सुधरे पौड़ी के हालात.

पहाड़ी जिलों में अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते युवा और अन्य वर्ग के लोग शहरी क्षेत्रों में बसने को मजबूर हो गए. हालांकि, आज लोग शहरों से गांव की तरफ वापस आकर रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं. ये वो लोग हैं जो अपनी आधे से अधिक उम्र बड़े-बड़े शहरों में गुजार चुके हैं और अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने गांव वापस आकर शांति से बचा हुआ जीवन गुजारना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को लेकर नाराज हुईं नेता प्रतिपक्ष, सरकार को दी ये नसीहत

वरिष्ठ पत्रकार गणेश कुकशाल ने बताया कि बीते 19 सालों में सरकार ने पहाड़ी जिलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई हैं. इसका परिणाम ये है कि आज पहाड़ के पहाड़ खाली हो चुके हैं, लेकिन जो लोग रिवर्स माइग्रेशन करना चाहते हैं या जो लोग गांव में रह चुके हैं उनको रोकने के लिए सरकार को समय रहते सारी सुविधाएं देनी चाहिए. अच्छे स्तर पर शिक्षा ग्रहण करके कृषि उद्यान और स्वरोजगार के क्षेत्र में भी लोग रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं, जिसको लेकर अन्य लोगों को भी प्रेरित होना चाहिए.

स्थानीय राजीव खत्री ने बताया कि बीते 19 सालों में शिक्षा के स्तर में सर्वाधिक गिरावट देखने को मिली है. प्राथमिक विद्यालय बंद होते जा रहे हैं, वहीं माध्यमिक विद्यालयों में भी छात्र संख्या कम होने के चलते विद्यालयों का एकीकरण किया जा रहा है.

पौड़ी: उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने का उद्देश्य प्रदेश को पहाड़ी राज्य के रूप में विकसित करना था. लेकिन, 19 साल बाद भी प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ी जिलों को ही हुआ है. सत्ता पर काबिज सरकारों ने पहाड़ी जिलों की ओर ध्यान ही नहीं दिया. मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण लोगों ने तेजी से पलायन किया. आज हालात ये हो गए हैं कि गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन करने वाला जिला पौड़ी बन चुका है.

19 साल बाद भी नहीं सुधरे पौड़ी के हालात.

पहाड़ी जिलों में अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते युवा और अन्य वर्ग के लोग शहरी क्षेत्रों में बसने को मजबूर हो गए. हालांकि, आज लोग शहरों से गांव की तरफ वापस आकर रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं. ये वो लोग हैं जो अपनी आधे से अधिक उम्र बड़े-बड़े शहरों में गुजार चुके हैं और अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने गांव वापस आकर शांति से बचा हुआ जीवन गुजारना चाहते हैं.

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वरिष्ठ पत्रकार गणेश कुकशाल ने बताया कि बीते 19 सालों में सरकार ने पहाड़ी जिलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई हैं. इसका परिणाम ये है कि आज पहाड़ के पहाड़ खाली हो चुके हैं, लेकिन जो लोग रिवर्स माइग्रेशन करना चाहते हैं या जो लोग गांव में रह चुके हैं उनको रोकने के लिए सरकार को समय रहते सारी सुविधाएं देनी चाहिए. अच्छे स्तर पर शिक्षा ग्रहण करके कृषि उद्यान और स्वरोजगार के क्षेत्र में भी लोग रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं, जिसको लेकर अन्य लोगों को भी प्रेरित होना चाहिए.

स्थानीय राजीव खत्री ने बताया कि बीते 19 सालों में शिक्षा के स्तर में सर्वाधिक गिरावट देखने को मिली है. प्राथमिक विद्यालय बंद होते जा रहे हैं, वहीं माध्यमिक विद्यालयों में भी छात्र संख्या कम होने के चलते विद्यालयों का एकीकरण किया जा रहा है.

Intro:उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने का जो उद्देश्य था वह पहाड़ी राज्य के रूप में इसे बनाना था लेकिन उत्तराखंड बनने के 19 वर्ष बाद सर्वाधिक के नुकसान जो हुआ है वह पहाड़ी जनपदों को हुआ है सत्ता पर काबिज सरकारों ने पहाड़ी जनपदों की ओर ध्यान नहीं दिया यहां पर समय रहते मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते तेजी से लोगों ने पलायन किया और आज ए हालत ऐसी है कि गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन करने वाला जनपद पौड़ी है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत पौड़ी से ही की गई थी और आज उत्तराखंड को 4-4 मुख्यमंत्री देने वाला भी पौड़ी है साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जनपद पौड़ी के ही रहने वाले हैं। देश के मुख्य पदों की जिम्मेदारी भी पौड़ी के बेटों के हाथ में है बावजूद इसके आज पौड़ी मूलभूत सुविधाओं के लिए मांग कर रहा है और सरकारें इसे पूरा करने में नाकामयाब साबित हो रही हैं।


Body:पहाड़ी जनपदों में अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते युवा और अन्य वर्ग के लोग शहरी क्षेत्रों में बसने को मजबूर हो गए हालांकि आज लोग शहरों से गांव की तरफ वापस आकर रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं यह वह लोग हैं जो अपनी आधा से अधिक उम्र बड़े-बड़े शहरों में गुजार चुके हैं और अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने गांव वापस आकर शांति से बचा हुआ जीवन गुजारना चाहते हैं लेकिन इन गांव में सड़क पानी व स्वास्थ्य की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि यह लोग यही रह सके और अन्य लोग भी इनसे प्रभावित होकर अपने गांव को आबाद करने के लिए वापस आ सके सरकार रिवर्स माइग्रेशन को लेकर काफी सक्रिय दिख रही है और किसानों के प्रति भी नई नई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है लेकिन जंगली जानवरों के चलते कृषक खेती तक नहीं कर पा रहा है किसान की सारी मेहनत जंगली जानवर खराब कर दे रहे हैं जिससे कि उसका आत्मविश्वास टूट रहा है।


Conclusion:वरिष्ठ पत्रकार गणेश कुकशाल ने बताया कि बीते 19 सालों में सरकार ने पहाड़ी जनपदों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई इसका परिणाम है कि आज पहाड़ के पहाड़ खाली हो चुके हैं लेकिन जो लोग रिवर्स माइग्रेशन करना चाहते हैं या जो लोग गांव में रह चुके हैं उनको रोकने के लिए सरकार को समय रहते सारी सुविधाएं उन्हें देनी चाहिए ताकि जो लोग रह गए है उन्हें जाने का कोई कारण न मिले। अच्छे स्तर पर शिक्षा ग्रहण करके कृषि उद्यान व स्वरोजगार के क्षेत्र में भी लोग रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं जिसको लेकर अन्य लोगों को भी प्रेरित होना चाहिए स्थानीय राजीव खत्री ने बताया कि बीते 19 सालों में शिक्षा के स्तर में सर्वाधिक गिरावट देखने को मिली है आज प्राथमिक विद्यालय बंद होते जा रहे हैं वहीं माध्यमिक विद्यालयों में भी छात्र संख्या कम होने के चलते विद्यालयों को एकीकरण किया जा रहा है शिक्षक गांव की तरफ जाने को तैयार नहीं है वहीं अधिकतर शिक्षक मैदानी क्षेत्रों में जाने को तैयार है जहां पर छात्रों की संख्या कम है वहीं जहां छात्रों की संख्या अधिक है और जहां शिक्षकों की आवश्यकता है वहां शिक्षक जाना ही नहीं चाहता जिसके चलते आजे शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है।
बाईट-गणेश कुकशाल
बाईट-राजीव खत्री
पीटीसी-सिद्धान्त उनियाल
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