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नीति आयोग ने हिमालयी क्षेत्रों में कृषि आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने पर दिया जोर

आयोजित वेबिनार में अध्ययनों के महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही उनके भारतीय हिमालय क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की.

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Published : Jun 26, 2021, 11:30 AM IST

श्रीनगर: नीति आयोग द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और भारतीय हिमालय केंद्रीय विवि संघ के सहयोग से वेबिनार आयोजित किया गया. जिसका विषय भारतीय हिमालय क्षेत्र में कृषि पारिस्थितिकी एवं संबंधित बाजार विकास करना था. इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य आजीविका के सतत उत्सर्जन एवं विकास के लिए हिमालय क्षेत्रों में कृषि आधारित उत्पादों के विपणन के लिए रणनीतियों की पहचान एवं चयन करना है.

वेबिनार में राष्ट्रीय प्राकृतिक पर्यावरण तथा भारतीय हिमालय क्षेत्र, नीति आयोग के सलाहकार अविनाश मिश्रा ने भारतीय हिमालय केंद्र विवि संघ के द्वारा किए जाने वाले अध्ययनों के महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही उनके भारतीय हिमालय क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की.

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प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कृषि के महत्व पर बल दिया

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय हिमालय क्षेत्र में सफलता की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय लोगों को अपनी आए और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है. उन्होंने कृषि को मूल्यवर्धन की ओर ले जाने और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने को मुख्य उद्देश्य बताया.

साथ ही जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आयुष विभाग के साथ सहयोग करने को कहा, जिससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके. उन्होंने सभी शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों से भारतीय हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक झरनों के जीर्णोद्धार पर काम करने के लिए कहा.

पढ़ें- Kumbh covid test fraud: फोटो खिंचवाने से कोई आरोपी बच नहीं सकता- मदन कौशिक

गढ़वाल विवि की कुलपति और भारतीय हिमालय केंद्रीय विश्वविद्यालय संघ की समन्वयक प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने भारतीय हिमालय क्षेत्रों में कृषि के महत्व पर बल दिया. साथ ही उन्होंने पहाड़ में कृषि से दूर होते लोग और उसके चलते होने वाले पलायन पर चिंता जाहिर की.

उन्होंने कहा कि प्रमुख समस्याएं जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों का लुप्त होना, कृषि विपणन ढांचे का अविकसित होना, जंगली जानवरों और अन्य समस्याओं के कारण कृषि से ग्रामीण विमुख होते जा रहे हैं, जिसके कारण धीरे-धीरे उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं.

उन्होंने भारतीय हिमालय क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों, जड़ी बूटियों, मसालों की खेती के महत्व के बारे में चर्चा की और कृषि विपणन के विकास के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, मूल्य श्रृंखला विकसित करने भंडारण और परिवहन सुविधा और प्रौद्योगिकी के सुधार पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर बल दिया.

श्रीनगर: नीति आयोग द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और भारतीय हिमालय केंद्रीय विवि संघ के सहयोग से वेबिनार आयोजित किया गया. जिसका विषय भारतीय हिमालय क्षेत्र में कृषि पारिस्थितिकी एवं संबंधित बाजार विकास करना था. इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य आजीविका के सतत उत्सर्जन एवं विकास के लिए हिमालय क्षेत्रों में कृषि आधारित उत्पादों के विपणन के लिए रणनीतियों की पहचान एवं चयन करना है.

वेबिनार में राष्ट्रीय प्राकृतिक पर्यावरण तथा भारतीय हिमालय क्षेत्र, नीति आयोग के सलाहकार अविनाश मिश्रा ने भारतीय हिमालय केंद्र विवि संघ के द्वारा किए जाने वाले अध्ययनों के महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही उनके भारतीय हिमालय क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की.

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प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कृषि के महत्व पर बल दिया

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय हिमालय क्षेत्र में सफलता की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय लोगों को अपनी आए और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है. उन्होंने कृषि को मूल्यवर्धन की ओर ले जाने और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने को मुख्य उद्देश्य बताया.

साथ ही जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आयुष विभाग के साथ सहयोग करने को कहा, जिससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके. उन्होंने सभी शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों से भारतीय हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक झरनों के जीर्णोद्धार पर काम करने के लिए कहा.

पढ़ें- Kumbh covid test fraud: फोटो खिंचवाने से कोई आरोपी बच नहीं सकता- मदन कौशिक

गढ़वाल विवि की कुलपति और भारतीय हिमालय केंद्रीय विश्वविद्यालय संघ की समन्वयक प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने भारतीय हिमालय क्षेत्रों में कृषि के महत्व पर बल दिया. साथ ही उन्होंने पहाड़ में कृषि से दूर होते लोग और उसके चलते होने वाले पलायन पर चिंता जाहिर की.

उन्होंने कहा कि प्रमुख समस्याएं जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों का लुप्त होना, कृषि विपणन ढांचे का अविकसित होना, जंगली जानवरों और अन्य समस्याओं के कारण कृषि से ग्रामीण विमुख होते जा रहे हैं, जिसके कारण धीरे-धीरे उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं.

उन्होंने भारतीय हिमालय क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों, जड़ी बूटियों, मसालों की खेती के महत्व के बारे में चर्चा की और कृषि विपणन के विकास के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, मूल्य श्रृंखला विकसित करने भंडारण और परिवहन सुविधा और प्रौद्योगिकी के सुधार पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर बल दिया.

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