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पर्यावरण पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता, बोले- हिमालय को हुआ नुकसान तो देश पर पड़ेगा बुरा असर - national seminar

भूगोल विभाग के तत्वाधान में आयोजित हुए इस दो दिवसीय सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों और विश्वविद्यालयों से भूगोलविद् और पर्यावरणविद् शामिल हुए. साथ ही इन पर्यावरणविद् ने अपने शोध पत्र पढ़कर हिमालय को लेकर चिंता जाहिर की.

पर्यावरण पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता.
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Published : May 26, 2019, 8:13 PM IST

पौड़ी: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय) के पौड़ी परिसर में हिमालय और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री और पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट मौजूद रहे. इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने पर्यावरण और हिमालय को लेकर चिंता जाहिर की.

पर्यावरण पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता.

पौड़ी परिसर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तराखंड के साथ चेन्नई, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मिजोरम, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से कई पर्यावरणविद और भूगोलवेत्ताओं ने हिस्सा लिया.

पद्मश्री से सम्मानित और पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि सेमिनार में हिमालय के पर्यावरण और विकास पर विशेष रूप से चर्चा की गई है. हिमालय से 3 नदियां निकलती हैं, यदि हिमालय को क्षति पहुंची है तो इसका सीधा असर पूरे देश पर पड़ेगा, इसलिए समय रहते जरूरी है कि हिमालय संरक्षण और उसकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. जंगलों में लगने वाली आग और पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण हिमालय पर असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: धधक रहे लैंसडाउन के जंगल, घास की झाड़ू बनाकर ग्रामीण बुझा रहे आग, बेपरवाह बना वन विभाग

भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केसी पुरोहित ने बताया कि आज विकास और पर्यावरण पर चर्चा की गई. सेमिनार में देश के सभी कोनों से वैज्ञानिकों ने पहुंच कर हिमालय पर चिंता जाहिर की. हिमालय को लेकर सभी विद्वानों ने अपने शोध पत्र पढ़ते हुए चिंता जाहिर की. साथ ही हिमालय को किस तरह से बचाया जा सकता है और हिमालय पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के मुख्य कारणों पर चर्चा करते हुए जल्द सबक लेने की बात कही है.

पौड़ी: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय) के पौड़ी परिसर में हिमालय और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री और पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट मौजूद रहे. इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने पर्यावरण और हिमालय को लेकर चिंता जाहिर की.

पर्यावरण पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता.

पौड़ी परिसर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तराखंड के साथ चेन्नई, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मिजोरम, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से कई पर्यावरणविद और भूगोलवेत्ताओं ने हिस्सा लिया.

पद्मश्री से सम्मानित और पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि सेमिनार में हिमालय के पर्यावरण और विकास पर विशेष रूप से चर्चा की गई है. हिमालय से 3 नदियां निकलती हैं, यदि हिमालय को क्षति पहुंची है तो इसका सीधा असर पूरे देश पर पड़ेगा, इसलिए समय रहते जरूरी है कि हिमालय संरक्षण और उसकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. जंगलों में लगने वाली आग और पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण हिमालय पर असर पड़ रहा है.

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भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केसी पुरोहित ने बताया कि आज विकास और पर्यावरण पर चर्चा की गई. सेमिनार में देश के सभी कोनों से वैज्ञानिकों ने पहुंच कर हिमालय पर चिंता जाहिर की. हिमालय को लेकर सभी विद्वानों ने अपने शोध पत्र पढ़ते हुए चिंता जाहिर की. साथ ही हिमालय को किस तरह से बचाया जा सकता है और हिमालय पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के मुख्य कारणों पर चर्चा करते हुए जल्द सबक लेने की बात कही है.

Intro:हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय ) के पौड़ी परिसर में आज हिमालय और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें की मुख्य अतिथि के रूप में पदम श्री से सम्मानित और पर्यावरण विद्ध चंडी प्रसाद भट्ट मौजूद रहे इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को लेकर अपने अपने विचार रखें. भूगोल विभाग के तत्वाधान में दो दिवसीय इस सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों व विश्वविद्यालयों से भूगोलवेता व पर्यावरण विद्व ने अपने अपने शोध पत्र पढ़कर हिमालय को लेकर चिंता जाहिर की।


Body:पौड़ी परिसर में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तराखंड के साथ साथ चेन्नई, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मिजोरम, बिहार, उत्तर प्रदेश राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के राज्यों से पर्यावरण विद्ध और भूगोलवेताओ ने हिस्सा लिया।
पद्मश्री से सम्मानित और पर्यावरण विद्व चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि आज के इस सेमिनार में हिमालय के पर्यावरण और विकास पर विशेष रूप से चर्चा की गई। काकी हिमालय से 3 नदियां निकलती हैं यदि हिमालय को क्षति पहुंची है तो इसका सीधा असर हमारे देश पर पड़ेगा इसलिए समय रहते जरूरी है कि हिमालय के संरक्षण और उसकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। जंगलों में लगने वाली आग और बढ़ रहे पर्यावरण का बुरा असर हमारे हिमालय पर पड़ रहा है।
बाईट-चंडी प्रसाद भट्ट(पर्यावरण विद्ध)


Conclusion:भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ केसी पुरोहित ने बताया कि आज  विकास और पर्यावरण के दोराहए पर चर्चा की गई इस सेमिनार  में देश के सभी कोनों से विद्वान  यहां पहुंचे थे। इससे साफ जाहिर होता है कि सभी विद्वानों को हिमालय को लेकर चिंता है. हिमालय को लेकर सभी विद्वानों ने अपने शोध पत्र पढ़ते हुए चिंता जाहिर की है कि हिमालय को किस तरह से बचा जा सके और हिमालय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के मुख्य कारणों पर चर्चा करते हुए जल्द सबक लेने की बात कही गई कहा कि यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया तो पूरा उत्तर भारत पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
बाईट-डॉ केसी पुरोहित( भूगोल विभागाध्यक्ष)
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