श्रीनगर: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि. के हिमालयन जलीय जैव विविधता विभाग के शोध में चौकानें वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, अलकनन्दा नदी और गंगा नदी की जिन मछिलयों को आप अपने आहार में शामिल करते हैं, उनके अंदर नैनो प्लास्टिक के साथ-साथ कपड़ों के फाइबर मिले हैं. इन नैनो कणों को सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है.
इन कणों का आकार 5 एमएम तक होता है. ये सभी चीजें मछिलयों के आहार तंत्र में मिली हैं. अब वैज्ञानिक इस बात का पता करने में जुट गए हैं कि मछलियों में मिल रहे इन नैनो प्लास्टिक का मानवीय जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है.
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गढ़वाल विवि. के हिमालयन जलीय जैव विविधता विभाग के वरिष्ठ वैज्ञनिक जसपाल सिंह चौहान और उनके शोध छात्र अकलनन्दा नदी और हरिद्वार तक गंगा नदी के पानी और उसमें पाई जाने वाली मछलियों पर शोध कर रहे हैं. विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर जसपाल सिंह चौहान बताते हैं कि ह्यूमन ब्लड तक में नैनो प्लास्टिक मिल रहा है, जो गंभीर विषय है.
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उन्होंने कहा अभी तक हमें ये पता चल चुका है कि नदी की जैव विविधता प्रभावित हो रही है, लेकिन अब हमारी टीम इसके प्रभावों पर शोध कर रही है. अबतक उत्तर भारत का ये पहला ऐसा शोध है जिसमें पता चला है कि मछलियों के अंदर नैनो प्लास्टिक मौजूद है. इसका प्रभाव मछलियों के साथ-साथ मानव जीवन पर भी पड़ रहा है.