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गढ़वाल विवि और जर्मनी यूनिवर्सिटी के बीच MoU साइन, हिमालयन कृषि पारिस्थितिकी तंत्र पर होगी रिसर्च

एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय और होहेनहाइम यूनिवर्सिटी जर्मनी के बीच एक एमओयू (MoU) साइन हुआ है. यह एमओयू हिमालयन कृषि पारिस्थितिकी तंत्र पर आधुनिक शोध तकनीकी के माध्यम से कार्य करने के लिए किया गया है. इसके अलावा दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध एवं विकास कार्यों समेत छात्रों और फैकल्टी का आदान प्रदान भी होगा.

Garhwal University and Germany University MoU sign
गढ़वाल विवि और जर्मनी यूनिवर्सिटी के बीच MoU साइन
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Published : May 20, 2022, 5:48 PM IST

श्रीनगरः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंसेज एवं जियोलॉजी विभाग और यूनिवर्सिटी ऑफ होहेनहाइम स्टटगार्ट जर्मनी के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हो गया है. इस दौरान गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं होहेनहाइम यूनिवर्सिटी जर्मनी के वैज्ञानिकों ने रुद्रप्रयाग में गढ़वाल यूनिवर्सिटी के शोध केंद्र तुंगनाथ, बनियाकुंड और पोथीबासा का भ्रमण किया. साथ ही ग्रामीण महिलाओं उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं को लेकर ग्रामीणों से वार्ता भी की.

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पतियों एवं जीव जंतुओं पर हो रहे प्रभाव को समझने का प्रयास किया गया. जर्मनी टीम से प्रोफेसर एंड्रियास ने हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलता एवं उसके समुचित प्रबंधन को समझने हेतु आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हिमालय पर अध्ययन करना, उनके लिए बहुत कुछ सीखने एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दौर में हिमालय की महत्ता को समझने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय और जर्मन यूनिवर्सिटी के बीच होगा MoU, छात्रों को मिलेगा फायदा

मधुमक्खियों के विभिन्न प्रजातियों पर अध्ययन आवश्यकः वैज्ञानिकों ने कहा कि मधुमक्खियों के विभिन्न प्रजातियों (Honey bee species) के जैव विविधता को सफल बनाने में उनकी विशेष भूमिका को समझने के लिए अध्ययन बहुत आवश्यक है. जर्मन वैज्ञानिकों ने हिमालय औषधीय पौधों के वैश्विक महत्व को स्वीकारते हुए इनका समुचित प्रबंधन एवं वैज्ञानिक विधि से उत्पादन करने पर बल दिया.

जैविक कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर जोरः प्रोफेसर सबीना ने ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही जैविक कृषि पर चल रहे प्रयासों को सराहा. जैविक कृषि उत्पादन (Organic Farming Production) को बढ़ाने में आधुनिक तकनीकी का समावेश करने पर जोर दिया. वहीं, सभी वैज्ञानिकों ने स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए भविष्य में शोध कार्य करने को लेकर सहमति पेश की. इसके अलावा वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय से दी जा रही तकनीकी व दिशा निर्देशन को गहराई से जाना.

जर्मन वैज्ञानिकों ने जैविक उत्पादों का उठाया लुफ्तः वैज्ञानिकों ने टिहरी जिले के पोखाल, पाटा एवं कांडीखाल में विश्वविद्यालय के दिशा निर्देशन में चल रही गतिविधियों का निरीक्षण किया. जिसमें विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग की ओर से विकसित किए जा रहे सामुदायिक वन का भी भ्रमण किया गया. पोखाल में स्थित माउंट वैली एनजीओ की ओर से कृषि पर आधारित विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान जर्मन वैज्ञानिकों ने जैविक उत्पादों का लुफ्त भी उठाया.

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड: डॉ. धन सिंह रावत

गढ़वाल विवि और जर्मनी यूनिवर्सिटी के बीच MoU साइन: एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर आरसी भट्ट एवं डॉक्टर कैरोलिन ने दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य शोध एवं विकास कार्यों, विद्यार्थियों एवं फैकल्टी का आदान प्रदान करने हेतु एक समझौता पत्र (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए. कृषि संकाय के डीन प्रोफेसर जेएस चौहान ने बताया कि यह एमओयू मुख्यतः हिमालयन कृषि पारिस्थितिकी तंत्र (Himalayan Agricultural Ecosystem) पर आधुनिक शोध तकनीकी के माध्यम से कार्य करने के लिए किया गया है.

श्रीनगरः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंसेज एवं जियोलॉजी विभाग और यूनिवर्सिटी ऑफ होहेनहाइम स्टटगार्ट जर्मनी के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हो गया है. इस दौरान गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं होहेनहाइम यूनिवर्सिटी जर्मनी के वैज्ञानिकों ने रुद्रप्रयाग में गढ़वाल यूनिवर्सिटी के शोध केंद्र तुंगनाथ, बनियाकुंड और पोथीबासा का भ्रमण किया. साथ ही ग्रामीण महिलाओं उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं को लेकर ग्रामीणों से वार्ता भी की.

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पतियों एवं जीव जंतुओं पर हो रहे प्रभाव को समझने का प्रयास किया गया. जर्मनी टीम से प्रोफेसर एंड्रियास ने हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलता एवं उसके समुचित प्रबंधन को समझने हेतु आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हिमालय पर अध्ययन करना, उनके लिए बहुत कुछ सीखने एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दौर में हिमालय की महत्ता को समझने की जरूरत है.

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मधुमक्खियों के विभिन्न प्रजातियों पर अध्ययन आवश्यकः वैज्ञानिकों ने कहा कि मधुमक्खियों के विभिन्न प्रजातियों (Honey bee species) के जैव विविधता को सफल बनाने में उनकी विशेष भूमिका को समझने के लिए अध्ययन बहुत आवश्यक है. जर्मन वैज्ञानिकों ने हिमालय औषधीय पौधों के वैश्विक महत्व को स्वीकारते हुए इनका समुचित प्रबंधन एवं वैज्ञानिक विधि से उत्पादन करने पर बल दिया.

जैविक कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर जोरः प्रोफेसर सबीना ने ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही जैविक कृषि पर चल रहे प्रयासों को सराहा. जैविक कृषि उत्पादन (Organic Farming Production) को बढ़ाने में आधुनिक तकनीकी का समावेश करने पर जोर दिया. वहीं, सभी वैज्ञानिकों ने स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए भविष्य में शोध कार्य करने को लेकर सहमति पेश की. इसके अलावा वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय से दी जा रही तकनीकी व दिशा निर्देशन को गहराई से जाना.

जर्मन वैज्ञानिकों ने जैविक उत्पादों का उठाया लुफ्तः वैज्ञानिकों ने टिहरी जिले के पोखाल, पाटा एवं कांडीखाल में विश्वविद्यालय के दिशा निर्देशन में चल रही गतिविधियों का निरीक्षण किया. जिसमें विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग की ओर से विकसित किए जा रहे सामुदायिक वन का भी भ्रमण किया गया. पोखाल में स्थित माउंट वैली एनजीओ की ओर से कृषि पर आधारित विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान जर्मन वैज्ञानिकों ने जैविक उत्पादों का लुफ्त भी उठाया.

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गढ़वाल विवि और जर्मनी यूनिवर्सिटी के बीच MoU साइन: एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर आरसी भट्ट एवं डॉक्टर कैरोलिन ने दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य शोध एवं विकास कार्यों, विद्यार्थियों एवं फैकल्टी का आदान प्रदान करने हेतु एक समझौता पत्र (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए. कृषि संकाय के डीन प्रोफेसर जेएस चौहान ने बताया कि यह एमओयू मुख्यतः हिमालयन कृषि पारिस्थितिकी तंत्र (Himalayan Agricultural Ecosystem) पर आधुनिक शोध तकनीकी के माध्यम से कार्य करने के लिए किया गया है.

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