पौड़ी: पाबौ ब्लॉक के पाली गांव में युवाओं ने खेती के लिए एक नई पहल शुरू की है. लॉकडाउन के दौरान गांव लौटे युवाओं ने सामूहिक रूप से खेती करनी शुरू कर दी है. इन युवाओं का कहना है कि सामूहिक रूप से खेती करने पर मानव संसाधनों की कमी नहीं खलेगी. बंजर पड़े खेतों को भी आबाद किया जा सकेगा. युवाओं की इस पहल को अन्य ग्रामीणों ने भी खूब सराहा है. बुजुर्ग ग्रामीण इन युवाओं को खेती के गुर भी सिखा रहे हैं. लॉकडाउन के चलते रोजगार समाप्त होने से गांव की ओर लौटे युवा प्रवासी अब गांव में ही रह कर स्वरोजगार का मन बना रहे हैं. कुछ युवाओं ने पशुपालन तो कुछ ने खेती का काम भी शुरू का दिया है, जो कि आने वाले समय में पूरे गांव को स्वरोजगार के क्षेत्र में विकसित कर पायेगा.
गौरतलब है कि, लॉकडाउन के बाद हजारों की संख्या में प्रवासी अपने गांव वापस लौट रहे हैं. इनमें अधिकतर युवा हैं जो नौकरी की तलाश में शहरों की तरफ गए थे. अब ये लोग अपने गांव वापस आकर कृषि और बागवानी के क्षेत्र में कार्य शुरू कर रहे हैं जिसे सकारात्मक शुरुआत माना जा रहा है. ये पहल आने वाले समय में रोजगार के क्षेत्र में गांवों को विकसित करने में काफी मददगार साबित होगी.
दरअसल, शहरों से लौटे ये युवा नए तरीके से खेती कर रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण विकासखंड पाबौ के पाली गांव के युवाओं ने पेश किया है. पाबौ के युवाओं ने सामूहिक रूप से खेती शुरू कर दी है. ये युवा एक साथ मिलकर खेती का कार्य कर रहे हैं. यहां तक की युवाओं ने खेतों में ही टेंट लगा कर डेरा डाला हुआ है.
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वहीं युवाओं का कहना है कि पहाड़ में खेती स्वरोजगार का सबसे किफायती विकल्प है. हमें नए तरीकों से खेती करनी होगी. लेकिन, प्रशासन की बेरुखी से खफा ये युवा बताते हैं कि उनके गांव में पहले प्याज और आलू की अच्छी पैदावार होती थी जो पूरे साल भर चलती थी. धीरे-धीरे जंगली जानवरों ने फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया. ऐसे में प्रशासन हमारी फसलों को बचाने में सहयोग करे तो हम गांव छोड़ कर नहीं जाएंगे.