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एशिया की सबसे बड़ी कंपनी GMOU पर बंदी का साया, बसों के मालिक कर रहे परमिट सरेंडर

एशिया की सबसे बड़ी कंपनी GMOU बंदी की कगार पर पहुंच गई है. आलम ये है कि इस कंपनी में शामिल बसों के मालिक अपने वाहनों के परमिट सरेंडर कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि 30 जून तक सभी बसों के परमिट सरेंडर कर दिए जाएंगे.

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बंदी की कगार पर पहुंची बस संचालक कंपनी
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Published : Jun 28, 2020, 11:34 AM IST

Updated : Jun 28, 2020, 12:08 PM IST

कोटद्वार: एशिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली निजी परिवहन कंपनी जीएमओयू (गढ़वाल मोटर्स ओनर यूनियन लिमिटेड) पर वर्तमान में कोरोना का खतरा मंडरा रहा है. सरकार के आदेश पर कंपनी ने बसों का किराया बढ़ा दिया हैं, जिसके कारण यात्री इसकी बसों पर सवार नहीं हो रहे हैं. ऐसे में कंपनी से जुड़े सौ से ज्यादा बस संचालकों ने अपने-अपने वाहनों का परमिट सरेंडर कर दिए हैं. बताया जा रहा है, कि वर्तमान में इस कंपनी के बेड़े में करीब 450 से अधिक बसें शामिल हैं.

बंदी की कगार पर पहुंची बस संचालक कंपनी

जानकारी के मुताबिक, इस कंपनी की स्थापना साल 1943 में हुई थी. दशकों तक इस कंपनी की बसें गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आवाजाही का एकमात्र साधन थीं. इधर, 78 सालों में इस सार्वजनिक परिवहन कंपनी को गढ़वाल परिवहन की रीढ़ माना जाने लगा. कंपनी के प्रबंधक जीत सिंह पटवाल का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश सरकार ने बसों के किराए में वृद्धि कर दी है. ऐसे में लोग बढ़े हुए किराए पर सफर करने को तैयार नहीं हैं. इसके कारण बस मालिकों और कंपनी को काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में 30 जून तक संभवत: कंपनी की बसों के परमिट सरेंडर कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो ये एशिया की सबसे बड़ी परिवहन कंपनी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी.

ये भी पढ़ें: पिथौरागढ़: भारत को चीन से जोड़ने वाला वैली ब्रिज 5 दिन में बनकर तैयार

वहीं, एआरटीओ रावत सिंह कटारिया ने बताया कि कोरोना की वजह से प्रदेशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. इसके कारण बसों का संचालन बंद हो गया था. सरकार ने लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट देते हुए बसों के संचालन के आदेश दे दिए हैं. साथ ही सरकार ने बसों के किराया भी बढ़ा दिया है लेकिन लोग बढ़े हुए किराए पर यात्रा करने को तैयार नहीं हैं. इसके कारण बस मालिकों को घाटा उठाना पड़ रहा है. ऐसे में बस संचालक अपने वाहनों के परमिट सरेंडर कर रहे हैं. इसके लिए कार्यालय में अभी तक करीब 100 से अधिक ऑनलाइन आवेदन भी आ चुके हैं.

कोटद्वार: एशिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली निजी परिवहन कंपनी जीएमओयू (गढ़वाल मोटर्स ओनर यूनियन लिमिटेड) पर वर्तमान में कोरोना का खतरा मंडरा रहा है. सरकार के आदेश पर कंपनी ने बसों का किराया बढ़ा दिया हैं, जिसके कारण यात्री इसकी बसों पर सवार नहीं हो रहे हैं. ऐसे में कंपनी से जुड़े सौ से ज्यादा बस संचालकों ने अपने-अपने वाहनों का परमिट सरेंडर कर दिए हैं. बताया जा रहा है, कि वर्तमान में इस कंपनी के बेड़े में करीब 450 से अधिक बसें शामिल हैं.

बंदी की कगार पर पहुंची बस संचालक कंपनी

जानकारी के मुताबिक, इस कंपनी की स्थापना साल 1943 में हुई थी. दशकों तक इस कंपनी की बसें गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आवाजाही का एकमात्र साधन थीं. इधर, 78 सालों में इस सार्वजनिक परिवहन कंपनी को गढ़वाल परिवहन की रीढ़ माना जाने लगा. कंपनी के प्रबंधक जीत सिंह पटवाल का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश सरकार ने बसों के किराए में वृद्धि कर दी है. ऐसे में लोग बढ़े हुए किराए पर सफर करने को तैयार नहीं हैं. इसके कारण बस मालिकों और कंपनी को काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में 30 जून तक संभवत: कंपनी की बसों के परमिट सरेंडर कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो ये एशिया की सबसे बड़ी परिवहन कंपनी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी.

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वहीं, एआरटीओ रावत सिंह कटारिया ने बताया कि कोरोना की वजह से प्रदेशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. इसके कारण बसों का संचालन बंद हो गया था. सरकार ने लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट देते हुए बसों के संचालन के आदेश दे दिए हैं. साथ ही सरकार ने बसों के किराया भी बढ़ा दिया है लेकिन लोग बढ़े हुए किराए पर यात्रा करने को तैयार नहीं हैं. इसके कारण बस मालिकों को घाटा उठाना पड़ रहा है. ऐसे में बस संचालक अपने वाहनों के परमिट सरेंडर कर रहे हैं. इसके लिए कार्यालय में अभी तक करीब 100 से अधिक ऑनलाइन आवेदन भी आ चुके हैं.

Last Updated : Jun 28, 2020, 12:08 PM IST
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