श्रीनगर: विकासखंड कीर्तिनगर (Srinagar Block Kirtinagar) के अंतर्गत जुयालगढ़ में सीमाकंन से अधिक खनन होने पर हडिमधार तथा कोटेश्वर-चुन्नीखाल पंपिंग पेयजल योजनाओं (Koteshwar Hadimdhar Chunnikhal Pumping Scheme) के इंनफिल्ट्रेशन वैल क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है. इस संदर्भ में जल संस्थान देवप्रयाग के अधिशासी अभियंता नरेश पाल सिंह ने उपजिलाधिकारी कीर्तिनगर को पत्र लिखते हुए जल्द पेयजल योजनाओं के इंनफिल्ट्रेशन वैल के 70 मीटर के दायरे में खनन कार्य को पूर्ण रूप से रोके जाने की आवश्यकता बताई है.
पत्र में जल संस्थान देवप्रयाग के ईई(Devprayag Jal Sansthan Executive Engineer) नरेश पाल सिंह ने कहा कि जल संस्थान देवप्रयाग की लक्षमोली हडिमधार एवं कोटेश्वर-चुन्नीखाल पंपिंग पेयजल योजनाओं के इनफिल्ट्रेशन वैल अलकनंदा नदी में क्रमशः जुयालगढ़ के पास एवं नैथाणा के पास स्थित हैं. वर्तमान में लक्षमोली हडिमधार पंपिंग पेयजल योजना से 48 राजस्व ग्राम तथा कोटेश्वर-चुन्नीखाल पंपिंग पेयजल योजना से 15 राजस्व ग्राम पेयजल से लाभान्वित हो रहे हैं. कहा कि दोनों पंपिंग पेयजल योजनाओं के इनफिल्ट्रेशन वैल के 70 मीटर के दायरे में खनन कार्य नहीं होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में दोनों पंपिंग पेयजल योजनाओं के इनफिल्ट्रेशन वैल की परिधि से मात्र 20 मीटर दूरी पर खनन कार्य हो रहा है.
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जिससे दोनों पंपिंग पेयजल योजनाओं के इनफिल्ट्रेशन वैल के उक्त खनन कार्य से क्षतिग्रस्त प्रारम्भ हो चुका है, यदि उक्त खनन कार्य से इनफिल्ट्रेशन वैल क्षतिग्रस्त होते हैं तो दोनों पंपिंग पेयजल योजनाओं से लाभान्वित होने वाले कुल 63 राजस्व ग्रामों में पेयजल आपूर्ति पूर्णतया बाधित हो जायेगी. जिससे जनाक्रोश होने की पूर्ण संभावना बन जाएगी. उन्होंने जनभावनाओं को देखते हुए दोनों पंपिंग पेयजल योजनाओं के इनफिल्ट्रेशन वैल की परिधि से 70 मीटर दायरे के भीतर खनन कार्य को पूर्ण रूप से रूकवाना जाने की अपील की हैं.