श्रीनगर गढ़वाल: हेमवंती नन्दन गढ़वाल केंद्रीय विवि के वैज्ञानिकों ने केमेथेरियम नाम के स्तन पाई जंतु के जीवाश्म की खोज की है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये लुप्त हो चुका जंतु घोड़े, गेंडे, हिरण और गधे का पूर्वज था. जिसने बाद में विकास के दौर में इनका विघठन इन जानवरों के रूप में हुआ. वैज्ञानिकों को इस लुप्त हो चुके जंतु के हड्डियों के साक्ष्य मिले, जिसके बाद इस जंतु का चित्रण किया गया है. वैज्ञानिकों ने इसका नाम केमेथेरियम रखा, जो पेरिसो डक टाइल वर्ग (मेमल) में आता है. लुप्त हो चुके इस जंतु का पता गुजरात से लगा है.
गढ़वाल विवि के भू वैज्ञानिक राजेंद्र सिंह राणा की टीम को इस जंतु के बारे में पता गुजरात की खानों से लगा, जब वे वहां अपने रिसर्च के लिए पहुंचे थे. शुरुआती समय में इन्हें इस जंतु का जबड़ा मिला. खोज-बीन करने के बाद शरीर की अन्य हड्डियां भी मिली. जिसको जोड़ने के बाद इस केमेथेरियम नामक जंतु का ढांचा खड़ा किया जा सका. ढांचे के बाद इसका चित्रण भी किया गया है.
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस जंतु की उत्पत्ति का समय करीब 5 हजार करोड़ वर्ष पूर्व रहा होगा, जो अब के घोड़े, गधों, हिरनों और गेंडे का पूर्वज था. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी के बाद इन जानवरों ने कार्मिंक विकास के बाद अपना आधुनिक स्वरूप पाया.
गढ़वाल विवि के डीन ऑफ अर्थ साइंस डॉ. राजेंद्र सिंह राणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि ये केमेथेरियम इन सभी जानवरों का पूर्वज था. इसका अधिकतम वजन 20 किलो और ऊंचाई 1 फीट है. जबकि, लंबाई 2 फिट के लगभग रही होगी. उन्होंने बताया कि इस जंतु की खोज क्रमिक विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है.