श्रीनगर: देशभर में आज महाशिवरात्रि की धूम है. उत्तराखंड के अलग-अलग मंदिरों में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. महा शिवरात्रि के मौके पर आज हम आपकों उत्तराखंड के ऐसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान राम ने अपने नेत्र चढ़ाए थे. इतना ही नहीं मान्यताओं के अनुसार यहां पर भगवान कृष्ण को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो कमलेश्वर महादेव मंदिर है, ये मंदिर पौड़ी जिले के श्रीनगर में स्थित है.
बताया जाता है कि इस मंदिर को मूल रचना का निर्माण शंकराचार्य ने कराया था और इसका जीर्णोद्धार उद्योगपति बिड़ला ने करवाया था. स्कंदपुराण के केदारखंड में कमलेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन मिलता है. केदारखंड ने कमलेश्वर महादेव मंदिर को लेकर जो वर्णन किया गया है, उसके मुताबिक त्रेतायुग में रावण का वध करने पर भगवान राम पर जब ब्रह्महत्या का पाप लगा तो उस पाप से मुक्ति पाने के लिए गुरु वशिष्ठ के आदेश पर भगवान राम ने भगवान शिव की उपासना की थी और उपासना के लिए भगवान राम देवभूमि में आए थे.
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मान्यता के अनुसार जब भगवान राम भक्ति में लीन थे, तो भगवान शिव ने एक कमल छिपा दिया था, लेकिन भगवान राम को जब कमल नहीं मिला तो उन्होंने एक नेत्र शिव को चढ़ाया था, जिस कारण ही इस मंदिर का नाम कमलेश्वर महादेव पड़ा. मंदिर में हर साल तीन बड़े उत्सव मनाए जाते हैं. पहला उत्सव अचला सप्तमी को मनाया जाता है. उसके बाद दूसरा उत्सव शिवरात्रि और तीसरा बड़ा उत्सव बैकुंठ चतुर्दशी को मनाया जाता है.
बैकुंठ चतुर्दशी (कार्तिक मास कि पूर्णिमा से पहला दिन) यहां पर एक विशेष उत्सव का आयोजन होता है. इस समय संतान प्राप्ति की इच्छुक महिलाएं यहां रात्रिभर प्रज्वलित दीपक हाथों में लेकर खड़ी रहकर भगवान शिव की स्तुति करती हैं और फिर प्रात: काल में इस दीपक को अलकनंदा में प्रवाहित करने के पश्चात शिव पूजन करती हैं.
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वैसे तो तीनों अवसरों पर श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. लेकिन बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर यहां इतनी भीड़ होती है कि वर्तमान में इस आयोजन ने एक विशाल मेले का रूप ले लिया है, जो करीब चार दिनों तक चलता है. इस आयोजन को धर्मिक-सांस्कृतिक विकास मेले के नाम से प्रशासन करता है. कथा के अनुसार भगवान शिव के इसी मंदिर में श्रीकृष्ण और देवी जामवंती को सोम नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई थी. इस मंदिर में निसंतान दंपति बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाते हैं.