पौड़ी: वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के दो कार्यक्रमों का शुभारंभ किया. घुड़दौड़ी पहुंचे वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा अभाव में ही तरक्की का रास्ता बनता है. उन्होंने कहा कोरोना काल को भी हमें अवसर के रूप में देखना चाहिए. इसके अलावा राज्य में गुलदारों की गणना पर बोलते हुए उन्होने कहा कि फिलहाल राज्य में गुलदारों की गणना करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा उत्तराखंड में बढ़ रहे गुलदारों की संख्या विभागों के साथ-साथ मंत्रालय के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है. सरकार की ओर से गुलदार और मानव के आपसी संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है.
इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के दो कार्यक्रमों का शुभारंभ करते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कोरोना काल में तकनीक का सबसे अधिक उपयोग हुआ है. वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में पवन ऊर्जा को लेकर उत्तराखंड में परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं, इसलिए सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित कर रही है.
![Harak Singh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-pau-01-one-week-online-seminar-uk10017_07092020165535_0709f_02058_880.jpg)
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ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन
इस दौरान कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आशुतोष गुप्ता ने कहा कि समय की मांग के चलते आज सभी इंजीनियरों को नई नई तकनीकी के क्षेत्र में जागरूक रहना होगा. इसको देखते हुए एक सप्ताह के लिए ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला की मदद से सभी इंजीनियरों को नई-नई खोज और तकनीकी के बारे में जानकारी मिल पाएगी.
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विभिन्न संस्थानों से 110 प्रतिभागी लेगें हिस्सा
इस ऑनलाइन कार्यशाला में उत्तराखंड राज्य के साथ देश के विभिन्न संस्थानों से 110 प्रतिभाग प्रतिभाग करेंगे. सभी विशेषज्ञ विभिन्न आईआईटी, एनआईटी के साथ विदेश से भी प्रतिभाग करेंगे. जिसमे नवीन माइक्रो मशीन, सोलर इंजीनियरिंग प्रणाली आदि पर अपनी राय रखेंगे.
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उत्तराखंड में गुलदारों की गणना संभव नहीं
उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या की गणना करना संभव नहीं है. इस बात को प्रदेश के वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने भी साफ कर दिया है. घुड़दौड़ी पहुंचे हरक सिंह रावत ने कहा कि बाघ, हाथी, हिम तेंदुआ आदि के स्थान नियत होते हैं और इनकी गणना के लिए ट्रैप कैमरे की सहायता के अलावा अन्य साधनों का प्रयोग किया जाता है. जिससे इनकी गणना संभव है, लेकिन गुलदार प्रदेश के सभी हिस्सों में पाए जाते हैं, सभी हिस्सों में ट्रैप कैमरा लगाया जाना संभव नहीं है.
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गणना की नहीं है कोई कार्ययोजना
गुलदारों की गणना के लिए न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार के स्तर पर कोई कार्ययोजना बनी है. लेकिन अब जंगली जानवरों एवं मानव के संघर्ष को पहली बार आपदा की श्रेणी में रखा गया है. अब जंगली जानवर के हमले से पीड़ित लोगों को आपदा नियमों के तहत मुआवजा दिया जाता है. जंगली जानवरों एवं मानव के संघर्ष को कम करने के लिए जागरूकता की भी आवश्यकता है.