पौड़ी: उत्तराखंड में फर्जी डिग्री के सहारे न सिर्फ कुछ लोग सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं, बल्कि फर्जी डिग्री के सहारे राजनीति भी कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के पौड़ी जिले से सामने आया है. यहां एक व्यक्ति मुन्नाभाई की ट्रिक लगाकर गांव का प्रधान बन गया. हालांकि जैसे ही ग्राम प्रधान की पोल खुली तो पौड़ी प्रशासन ने ग्राम प्रधान को नोटिस भेजा है.
![gram pradhan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-pau-02-grampradhanshighschoolmarksheetturnedouttobefakedmsentnotice-uk10042_14022023181716_1402f_1676378836_31.jpg)
जानकारी के मुताबिक पौड़ी जिलाधिकारी के पास एक शिकायती पत्र आया था, जिसमें ग्रामीण ने पौड़ी जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत घण्डालू के ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह रावत की 10वीं की मार्कशीट फर्जी है. उसने 10वीं की फर्जी डिग्री के सहारे चुनाव लड़ा है. जैसे ही ये शिकायत पौड़ी जिलाधिकारी को मिली, उन्होंने प्रधान को जवाब तलब किया.
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इतना ही नहीं जिलाधिकारी ने प्रधान को 15 दिनों के भीतर सारे प्रकरण में जवाब देने के निर्देश दिये हैं. यदि वो ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ पंचायतीराज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. जिलाधिकारी ने बताया कि घण्डालू गांव निवासी शिव सिंह रावत ने अगस्त 2022 में जिला प्रशासन को एक शिकायती पत्र सौंपा था, जिसमें उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत घण्डालू के मौजूदा ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह रावत ने फर्जी तरीके से हाईस्कूल परीक्षा का प्रमाण पत्र बनाया है.
शिव सिंह रावत ने मौजूदा प्रधान की हाईस्कूल परीक्षा 1992 के प्रमाण पत्र के सत्यापन की मांग की थी, जिस पर जिला प्रशासन ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन इलाहाबाद एवं एसएसआर एचआर स्कूल दौराला मेरठ के प्रधानाचार्य से प्रमाणपत्र का सत्यापन करवाया.
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सत्यापन में संबंधित ग्राम प्रधान का हाईस्कूल का प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया. डीएम आशीष चौहान ने बताया कि 2019-20 के त्रिस्तरीय चुनाव के नामांकन में राजेंद्र सिंह रावत ने यह प्रमाणपत्र लगाया था, जोकि सत्यापन में फर्जी पाया गया है. फिलहाल ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. यदि 15 दिनों के भीतर प्रधान से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उनके खिलाफ उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2010 के तहत कार्रवाई की जाएगी. साथ ही मौजूदा प्रधान के पद पर उन्हें अयोग्य घोषित किया जाएगा.