कोटद्वारः लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग पर एनटीसीए और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत के सपनों के मार्ग पर पानी फिर गया है. वहीं, मामले पर चुटकी लेते हुए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि सरकार की होमवर्क की कमी के कारण रोक लगी है.
बता दें कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग कोटद्वार भाबर की लाइफ लाइन मानी जाती है. राज्य बनने के बाद से ही इस मार्ग पर राजनीति होती आई है. कभी कांग्रेस ने इस मार्ग पर वोट बैंक की राजनीति की तो कभी बीजेपी ने. जिस पर जनता ने इस मार्ग को लेकर हमेशा ठगा सा महसूस किया. वहीं, राज्य सरकार 11 किलोमीटर लंबे मार्ग के निर्माण पर साढे़ चार करोड़ रुपये से भी अधिक का बजट खर्च कर चुकी है.
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प्रस्तावित योजना में सड़क बनाने के साथ कई जगह पर पुलिया और अंडरपास बनाए जा चुके हैं. इस मार्ग पर एक पुल भी बनकर तैयार हो चुका है, जबकि तीन पुलों पर निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन एनटीसीए और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना सही पक्ष रखे तो मार्ग की बनने की उम्मीद खुल सकती है.
वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने सरकार को आढ़े हाथ लेते हुए कहा कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग बनना जरूरी था, लेकिन राज्य सरकार के होमवर्क की कमी के कारण इस मार्ग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. सरकार को चाहिए कि इस मार्ग पर होमवर्क कर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष सही तरीके से रखे. जिससे मार्ग के निर्माण की राह दोबारा से शुरू हो सके. साथ ही कहा कि कांग्रेस ने इस मार्ग पर काफी होमवर्क किया था. जिस पर कांग्रेस ने भारत सरकार के पर्यावरण बोर्ड से ही पूछा था कि आखिर इस मार्ग को किस तरह बनाया जाए.