श्रीनगरः राजकीय श्रीनगर मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भारी कमी से जूझ रहा है. यहां विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए कॉलेज प्रशासन हर बार साक्षात्कार तो कराता है, लेकिन कम ही फैकल्टी पहाड़ के इस मेडिकल कॉलेज को मिल पाती है. जिसका असर मेडिकल छात्रों और मरीजों पर पड़ रहा है.
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी के चलते जहां मेडिकल कॉलेज के छात्र पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं तो वहीं मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में भी मरीजों को डॉक्टरों की कमी झेलनी पड़ रही है. ऐसे में इलाज के लिए मरीजों को देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर रुख करना पड़ रहा है.
बता दें कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स के साथ ही पीजी डिप्लोमा, एमएस और एमडी का भी कोर्स संचालित हो रहा है. ऐसे में पूरी फैकल्टी के न होने के कारण एमबीबीएस कोर्स कर रहे छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ रहा है. जबकि, डॉक्टरों की कमी के कारण इलाज संबंधी दिक्कतें उठानी पड़ती है.
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मेडिकल कॉलेज में टीबी चेस्ट, रेडियो, इमरजेंसी, मानसिक रोग, माइक्रोबायोलॉजी विभाग ऐसे हैं, जहां विभागाध्यक्ष ही नहीं है. जबकि, 17 विभागों में 25 एसोसिएट प्रोफेसरों की कमी है. ऐसे में 23 विभागों को 43 असिस्टेंट प्रोफेसरों की आज भी आवश्यकता है. उक्त खाली पड़े पदों के भर जाने से एमबीबीएस से लेकर डिप्लोमा कोर्स कर रहे छात्रों को भी मदद मिलेगी.
वहीं, मामले में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीएमएस रावत का कहना है कि फैकल्टी की कमी के बारे में शासन को अवगत कराया जा चुका है. जल्द ही इस संबंध में उच्च स्तर से कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि श्रीकोट स्थित बेस अस्पताल में पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले से मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते उन्हें भी यहां रेफर होना पड़ता है.