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बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे प्रतिबंधित बांस के कोपले, हाथियों के चारे पर मंडरा रहा संकट

लैंसडाउन वन प्रभाग में इन दिनों प्रतिबंधित बस्किलों (बांस के कोपले) की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, बस्किलों को 80 से 100 रुपये किलो बेचा जा रहा है. जिससे आने वाले समय में हाथियों के चारा-पत्ती पर संकट मंडरा सकता है.

बाजार में 100 रुपये किलो बिक रहा प्रतिबंधित बस्किलो.
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Published : Sep 6, 2019, 5:18 PM IST

कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग में लंबे समय से प्रतिबंधित बस्किलों ( बांस के कोपले ) की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. जिसका असर यहां के हाथियों पर पड़ रहा है. हाथी का सबसे प्रिय भोजन बांस ही होता है. जंगल के आसपास रहने वाले लोग बांस की कोपलों (बस्किल) को तोड़कर सब्जी के लिए बाजार में 80 से 100 रुपये किलो तक बेच रहे हैं.

बता दें कि बांस के कोपलों से ही विशालकाय बांस के जंगल बनते हैं. साथ ही इन कोपलों से निकलने वाले पत्ते और डंडे हाथियों के मुख्य चारे में से एक हैं. ऐसे में अगर इन कोपलों को शुरू में ही तोड़ दिया जाएगा, तो बांस के जंगलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगेगा.

जानकारी देते रेंजर, ब्रिज बिहारी शर्मा.

वहीं इस मामले में लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में तैनात रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा ने बताया कि लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में बांस के घने जंगल हैं. जिन पर लगातार नजर रखी जाती है. हालांकि बस्किलों की बिक्री की शिकायतें कई बार आई हैं.

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उन्होंने कहा कि कहीं पर भी कोई व्यक्ति इन्हें तोड़ते या बेचते हुए पकड़ा नहीं गया है. जिसके चलते आसपास के बाजारों में भी नजर बनाए रखी जा रही है. यदि बस्किलों की बिक्री करते कोई पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग में लंबे समय से प्रतिबंधित बस्किलों ( बांस के कोपले ) की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. जिसका असर यहां के हाथियों पर पड़ रहा है. हाथी का सबसे प्रिय भोजन बांस ही होता है. जंगल के आसपास रहने वाले लोग बांस की कोपलों (बस्किल) को तोड़कर सब्जी के लिए बाजार में 80 से 100 रुपये किलो तक बेच रहे हैं.

बता दें कि बांस के कोपलों से ही विशालकाय बांस के जंगल बनते हैं. साथ ही इन कोपलों से निकलने वाले पत्ते और डंडे हाथियों के मुख्य चारे में से एक हैं. ऐसे में अगर इन कोपलों को शुरू में ही तोड़ दिया जाएगा, तो बांस के जंगलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगेगा.

जानकारी देते रेंजर, ब्रिज बिहारी शर्मा.

वहीं इस मामले में लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में तैनात रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा ने बताया कि लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में बांस के घने जंगल हैं. जिन पर लगातार नजर रखी जाती है. हालांकि बस्किलों की बिक्री की शिकायतें कई बार आई हैं.

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उन्होंने कहा कि कहीं पर भी कोई व्यक्ति इन्हें तोड़ते या बेचते हुए पकड़ा नहीं गया है. जिसके चलते आसपास के बाजारों में भी नजर बनाए रखी जा रही है. यदि बस्किलों की बिक्री करते कोई पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:summary लैंसडौन वन प्रभाग में इन दिनों प्रतिबंधित बस्किलो (बॉस के कोपले) की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मूकदर्शक बने हुए हैं, आने वाले समय में हाथियों के चार पत्ती पर संकट गहरा सकता है। 80 से 100 रुपये किलो बेचे जाते है बस्किल।


intro लैंसडौन वन प्रभाग में इन दिनों प्रतिबंधित बस्किलो ( बॉस के कोपलों )की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस और ध्यान देने के बजाय मूकदर्शक बने हुए है, अगर बॉस के कोपलों की बिक्री पर रोक नही लगाई गई तो वो दिन दूर नही होगा जब हाथियों के चार पत्ती पर संकट गहरा जायेगा, हाथी का सबसे प्रिय भोजन बॉस ही होता है , जंगल के आसपास के लोग इन बांस के कोपलों(बस्किल) को तोड़कर सब्जी के लिए बाजार में 80 से 100 रूपये तक बेच देते हैं, यही बॉस के कोपले आगे चलकर एक विशालकाय बांस के जंगल बनाते हैं, जिसमें हाथी विचलन करता है और इन कोपलों से निकलने वाले पत्तों और डंडो को चबाकर अपना पेट भरता है, लेकिन जब इन कोपलो को पहले ही तोड़ दिया जाएगा तो बांस के जंगल धीरे-धीरे खत्म होते जायेगे।


Body:वीओ- पूरे मामले पर लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज के रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा का कहना है कि लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में बांस का जंगल अधिक है इस पर लगातार नजर बनाए रखी रहती है, बस्किलो की बिक्री की शिकायतें तो लगातार बहुत आई है, लेकिन कहीं पर भी कोई तोड़ते हुए या बेचते हुए पकड़ा नहीं गया, आसपास के बाजारों में भी नजर बनाए रखी हुई है कि कहीं कोई बस्किल बेचते पकड़ा जाये, बस्किलो की बिक्री की धरपकड़ के लिए लगातार दबिश दी जाती है लेकिन अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया।

बाइट बृज बिहारी शर्मा रेंजर।


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