पौड़ीः उत्तराखंड में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) को लागू करने की कवायद तेज हो गई है. सूबे के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की मानें तो एक जुलाई से नई शिक्षा नीति लागू की जा सकती है. इस नीति को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा. मंत्री रावत ने बताया कि पाठ्यक्रम आदि को लेकर लोगों से सुझाव मांगे जा रहे हैं.
पौड़ी में जूनियर शिक्षक संघ की कार्यकारणी में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में एनईपी (NEP in Uttarakhand) को लागू करने की योजना बनाई गई है. इससे प्रदेश के सभी छात्रों को लाभ मिलेगा. इसके लिए बुद्धिजीवियों और अभिभावकों से सुझाव भी मांगे जा रहे हैं.
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प्रदेश में करीब 34 फीसदी महिला शिक्षक कार्यरत हैं. इन शिक्षकों को समय-समय पर उन्हें मातृत्व अवकाश की जरूरत भी पड़ती है. जिससे स्कूलों में पठन पाठन का कार्य प्रभावित होता है, लेकिन सरकार ने अब मातृत्व अवकाश के दौरान स्कूलों का पठन-पाठन प्रभावित न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी की जा रही है.
मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि बेसिक में 15 बच्चे, जूनियर में 30 बच्चों और उच्च शिक्षा में 35 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती की जाएगी. बेसिक से लेकर इंटर तक की स्कूलों के लिए 5 से लेकर 15 हजार तक का बजट दिया जा रहा है. इसके अलावा जो शिक्षक उत्कृष्ट कार्य करेंगे, उन्हें सरकार प्रोत्साहित भी करेगी.
श्रीनगर विधानसभा में खुलेगा उत्कृष्ट विद्यालयः मंत्री रावत ने कहा कि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो सरकारी स्कूल भी प्राइवेट स्कूलों की तरह अपडेट हो सकेंगे. वह अपनी विधानसभा श्रीनगर से इस येाजना को अमलीजामा पहनाने की रणनीति बना रहे हैं. ऐसे में जल्द श्रीनगर विधानसभा से उत्कृष्ट स्कूल खोला जाएगा.
उन्होंने कहा कि योजना सफल हुई तो अन्य जगहों पर इसे लागू किया जाएगा. जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम हो गई है, उनका विलय किया जाएगा. यदि दूरी अधिक हुई तो बस की सुविधा भी दी जाएगी. इसके लिए अभिभावकों और ग्राम प्रधान से भी बात की जाएगी. उनकी सहमति के बाद यह कदम उठाया जाएगा.
वहीं, धन सिंह रावत को केदारनाथ धाम का नोडल मंत्री बनाया गया है. जिस पर उनका कहना है कि अब केदारनाथ में क्षमता से अधिक तीर्थयात्री नहीं जा सकेंगे. केदारनाथ में यात्रियों की संख्या को निर्धारित करने को लेकर सरकार ने कदम उठाएं है. अब केदारनाथ धाम में सभी यात्री ठीक से दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए वीआईपी व्यवस्था भी समाप्त की गई है.
क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति?: भारत सरकार ने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 आरंभ की है. जिसके अंतर्गत सरकार ने एजुकेशन पॉलिसी में काफी सारे मुख्य बदलाव किए हैं. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगी. इससे छात्रों का सर्वांगीण विकास तो होगा ही साथ ही छात्र अपने जीवन में स्वाबलंबी भी होंगे. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर लाई गई है. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है.
साल 1968 और 1986 के बाद भारत की तीसरी शिक्षा नीति है. अब मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाता है. नेशनल एजुकेशन पालिसी के अंतर्गत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (जीईआर) के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा. पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था, लेकिन अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव में बीजेपी की घोषणा पत्र में शामिल था.
क्या है 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम?
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के इस फॉर्मेट के तहत स्कूल के पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा एक और कक्षा दो समेत फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले 3 साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया गया है.
- कक्षा 6 से कक्षा 8 तक 3 साल मध्य चरण के होंगे और माध्यमिक अवस्था के 4 वर्ष यानी कि कक्षा 9 से 12 तक निर्धारित किए गए हैं. इसके तहत स्कूल में छात्र-छात्राओं को कला वाणिज्य, विज्ञान का कोई कठोर पालन नहीं करना होगा. छात्र-छात्राओं के पास यह स्वतंत्रता होगी कि वह अपनी इच्छा अनुसार कभी भी कोई भी पाठ्यक्रम चुन सकते हैं.
- इसके साथ ही नई शिक्षा नीति की एक और सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस नीति के तहत छात्रों को अब स्कूल लेवल पर ही व्यवसायिक शिक्षा भी दी जाएगी. जिससे किसी कारणवश यदि छात्र आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता है तो छात्र स्कूल में मिले व्यवसायिक ज्ञान के आधार पर अपना खुद का काम या किसी नौकरी की तलाश कर सकेगा.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से पहले कक्षा 11 से छात्र विषय चुन सकते थे. नई नीति लागू हो जाने से अब छात्रों को कक्षा 9 से विषय चुनने की आजादी होगी. 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बदलाव होगा. अब वर्ष में दो बार सेमेस्टर प्रणाली से ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्ट इस फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित की जाएगी. अब 6 साल की उम्र में पढ़ाई की शुरुआत की जगह 3 वर्ष की आयु से आंगनबाड़ी केंद्र से पढ़ाई शुरू होगी.
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इसके साथ ही उच्च शिक्षा में बदलाव देखने को मिलेंगे. वर्तमान में 3 या 4 साल के डिग्री कोर्स में यदि कोई छात्र किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे कोई डिग्री नहीं मिलती है. अब नई शिक्षा नीति में यह बदलाव हुआ अगर कोई छात्र स्नातक के 3 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में 1 वर्ष में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो 1 वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, 2 वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा और 3 वर्ष की पढ़ाई पर डिग्री का सर्टिफिकेट उन्हें मिलेगा.