श्रीनगर गढ़वालः उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. प्रदेश के सबसे ज्यादा छात्र संख्या वाले महाविद्यालय डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून और हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के बीच रार देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं एनएनबी विवि ने देहरादून के चार महाविद्यालयों पर लापरवाही बरतने और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप भी लगाया है. वहीं, विवि ने इन महाविद्यालयों की संबद्धता खत्म करने को लेकर एमएचआरडी को पत्र भी लिखा है.
दरअसल, हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर ने देहरादून के चार महाविद्यालयों डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और एसजीआर कॉलेज पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है. विवि का कहना है कि महाविद्यालयों की कार्यप्रणाली से गढ़वाल विवि की छवि धूमिल हो रही है.
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आरोप है कि डीएवी कॉलेज के भूगोल विभाग ने एमए चतुर्थ सेमेस्टर के गलत अंक विवि को प्रेषित किए हैं. उधर, एमकेपी पीजी कॉलेज ने भी लापरवाही के साथ एमए हिंदी के अंक विवि को भेजें है. कुछ छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में अनुक्रमांक ही दर्ज नहीं किए गए हैं.
इतना ही नहीं एक ही प्रश्न पत्र में दो अलग-अलग छात्रों के एक ही अनुक्रमांक भी पाए गए हैं. डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून ने बीएससी द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा को साल 2019 की परीक्षा में छठे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल किया है. जबकि, छात्रा द्वितीय सेमेस्टर की है. यही हाल एसजीआर और डीबीएस पीजी कॉलेजों का भी है.
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वहीं, लगातार महाविद्यालयों की ओर से हो रही गलती के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटकता हुआ नजर आ रहा है. जिस कारण महाविद्यालयों को मान्यता देने वाले हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल केंद्रीय विवि की छवि पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में अब विवि मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा है.
मामले पर एनएनबी गढवाल विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल का कहना है कि उन्होंने इन महाविद्यालयों की संबद्वता खत्म करने को लेकर एमएचआरडी को पत्र भी लिखा है. विवि हर साल 1.5 लाख छात्रों की परिक्षाएं कराता है. ऐसे में संबंधित महाविद्यालय ही अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटेंगे और समय पर परिणाम नहीं भेजंगे तो इसका खामियााजा छात्रों को उठाना पड़ेगा.