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उत्तराखंड के इस मंदिर में निःसंतान दंपतियों की होती है मुराद पूरी! बैकुंठ चतुर्दशी को करना पड़ता है कठोर तप

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 25, 2023, 4:41 PM IST

Kamleshwar Temple Srinagar उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति का सुख मिलता है. इस मंदिर में पूरे देश से निसंतान दंपती पहुंचते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं इस खास मंदिर के बारे में..

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त्तराखंड के इस मंदिर में निःसंतान दंपतियों की होती है मुराद पूरी!

श्रीनगर: हर वर्ष कमलेश्वर मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन आयोजित होने वाले खड़े दीपक अनुष्ठान को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. इस साल ये अनुष्ठान 25 नवंबर को आयोजित किया जा रहा है. जिसको लेकर मंदिर प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है. रजिस्ट्रेशन में अब तक देश-विदेश से 90 से अधिक निसंतान दंपतियों ने अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के लोग शामिल हैं.

निसंतान दंपती को मिलता है संतान प्राप्ति का सुख: मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन जो भी निसंतान दंपती कमलेश्वर मंदिर में खड़े दीपक का अनुष्ठान में हिस्सा लेकर रात भर भगवान शिव की आराधना करता है. उसे संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है. इस वर्ष के अनुष्ठान को लेकर मंदिर प्रशासन मंदिर को संवारने में जुट गया है. इसके अलावा सुरक्षा को देखते हुए पूरे मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरों से भी इस बार नजर रखी जाएगी.

भगवान विष्णु ने महादेव की थी आराधना: मान्यताओं के अनुसार देवासुर संग्राम में जब देवताओं की हार होने पर भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, तो इस आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. इस पूजा को उस समय एक निसंतान दंपति भी देख रहा था, तब देवी पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वर दिया.

जामवंती और भगवान श्री कृष्ण ने किया था व्रत: द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की पत्नी जामवंती के कहने पर जामवंती और भगवान श्री कृष्ण ने बैकुंठ चतुर्दशी खड़े दीपक का व्रत रखा. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें भी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. बाद में यही पुत्र स्वाम नाम से प्रसिद्ध हुआ और इसी पुत्र ने बाणासुर का वध किया.
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90 से अधिक लोगों ने करवाया रजिस्ट्रेशन: कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पूरी ने बताया कि इस वर्ष 25 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी आ रही है, जिसको लेकर अभी से निसंतान दंपति खड़े दीपक के अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. अब तक 90 से अधिक रजिस्ट्रेशन किए जा चुके हैं. आगे की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि मंदिर को सजाने संवारने के कार्य में भक्त लगे हैं. सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की भी मदद ली जा रही है.
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त्तराखंड के इस मंदिर में निःसंतान दंपतियों की होती है मुराद पूरी!

श्रीनगर: हर वर्ष कमलेश्वर मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन आयोजित होने वाले खड़े दीपक अनुष्ठान को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. इस साल ये अनुष्ठान 25 नवंबर को आयोजित किया जा रहा है. जिसको लेकर मंदिर प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है. रजिस्ट्रेशन में अब तक देश-विदेश से 90 से अधिक निसंतान दंपतियों ने अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के लोग शामिल हैं.

निसंतान दंपती को मिलता है संतान प्राप्ति का सुख: मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन जो भी निसंतान दंपती कमलेश्वर मंदिर में खड़े दीपक का अनुष्ठान में हिस्सा लेकर रात भर भगवान शिव की आराधना करता है. उसे संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है. इस वर्ष के अनुष्ठान को लेकर मंदिर प्रशासन मंदिर को संवारने में जुट गया है. इसके अलावा सुरक्षा को देखते हुए पूरे मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरों से भी इस बार नजर रखी जाएगी.

भगवान विष्णु ने महादेव की थी आराधना: मान्यताओं के अनुसार देवासुर संग्राम में जब देवताओं की हार होने पर भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, तो इस आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. इस पूजा को उस समय एक निसंतान दंपति भी देख रहा था, तब देवी पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वर दिया.

जामवंती और भगवान श्री कृष्ण ने किया था व्रत: द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की पत्नी जामवंती के कहने पर जामवंती और भगवान श्री कृष्ण ने बैकुंठ चतुर्दशी खड़े दीपक का व्रत रखा. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें भी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. बाद में यही पुत्र स्वाम नाम से प्रसिद्ध हुआ और इसी पुत्र ने बाणासुर का वध किया.
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90 से अधिक लोगों ने करवाया रजिस्ट्रेशन: कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पूरी ने बताया कि इस वर्ष 25 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी आ रही है, जिसको लेकर अभी से निसंतान दंपति खड़े दीपक के अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. अब तक 90 से अधिक रजिस्ट्रेशन किए जा चुके हैं. आगे की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि मंदिर को सजाने संवारने के कार्य में भक्त लगे हैं. सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की भी मदद ली जा रही है.
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